जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024 के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपनी पहली सूची जारी कर दी है, जिसमें 44 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की गई है। इस बार की सूची में सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि भाजपा ने मुसलमान उम्मीदवारों को दिल खोल कर टिकट दिए हैं। पहली बार ऐसा हुआ है कि पार्टी ने अपनी पहली ही सूची में इतने बड़े पैमाने पर मुस्लिम समुदाय को प्रतिनिधित्व प्रदान किया है।
मुसलमानों को प्रमुखता: भाजपा का नया चेहरा
जम्मू-कश्मीर की राजनीति में भाजपा का यह कदम एक बड़ा परिवर्तन दर्शाता है। पार्टी ने इस बार मुसलमान उम्मीदवारों को प्राथमिकता देते हुए जम्मू-कश्मीर के विभिन्न क्षेत्रों से उन्हें टिकट दिए हैं। यह कदम भाजपा की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिससे वह जम्मू-कश्मीर के मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ मजबूत कर सके।
प्रथम चरण: महत्वपूर्ण क्षेत्रों में मुस्लिम उम्मीदवारों की भागीदारी
पहले चरण के चुनाव के लिए घोषित 15 उम्मीदवारों में से कई मुसलमान उम्मीदवार हैं, जो कि इस क्षेत्र में पार्टी की रणनीतिक सोच को दर्शाता है। इंजीनियर सैयद शौकत को पांपोर से, अर्शीद भट को राजपोरा से, और जावेद अहमद कादरी को शोपियां से टिकट दिया गया है। इसके अलावा, मोहम्मद रफीक वानी को अनंतनाग पश्चिम से और एडवोकेट सैयद वजाहत को अनंतनाग से चुनाव मैदान में उतारा गया है।
दूसरे और तीसरे चरण में भी जारी मुस्लिम समुदाय की प्रमुखता
दूसरे चरण के लिए 10 और तीसरे चरण के लिए 19 उम्मीदवारों की घोषणा की गई है। इनमें से भी कई मुस्लिम उम्मीदवार प्रमुख हैं, जो कि भाजपा के आगामी चुनावी रणनीति का हिस्सा है। भाजपा ने इस बार हर चरण में मुस्लिम उम्मीदवारों को मौका देकर यह साबित किया है कि वह राज्य के सभी समुदायों को समान रूप से प्रतिनिधित्व देना चाहती है।
वरिष्ठ नेताओं की अनुपस्थिति: अगली सूची पर सबकी नजरें
इस सूची में पूर्व डिप्टी सीएम निर्मल सिंह और पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंद्र गुप्ता का नाम न होना चौंकाने वाला है। 2014 में निर्मल सिंह ने बिलावर विधानसभा सीट से जीत दर्ज की थी, लेकिन इस बार उन्हें टिकट नहीं दिया गया है। इसी तरह, कविंद्र गुप्ता को भी इस सूची में जगह नहीं मिली है, हालांकि यह संभावना जताई जा रही है कि उन्हें अगली सूची में स्थान मिल सकता है।
इसके साथ ही भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रविंद्र रैना का भी नाम इस सूची में नहीं है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि पार्टी की रणनीति में कुछ खास बदलाव किए गए हैं।
जम्मू-कश्मीर की राजनीति में नया मोड़
भाजपा ने इस सूची के माध्यम से यह संदेश देने का प्रयास किया है कि वह जम्मू-कश्मीर में एक सशक्त और समावेशी सरकार बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इस सूची में मुस्लिम समुदाय को इतना बड़ा प्रतिनिधित्व देना इस बात का संकेत है कि भाजपा राज्य में सभी समुदायों को एक साथ लेकर चलने की योजना बना रही है।
भाजपा की चुनावी रणनीति: ‘करो या मरो’ की स्थिति
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए करो या मरो की स्थिति के समान है। पार्टी हर हाल में जम्मू-कश्मीर में अपनी सरकार बनाना चाहती है, चाहे इसके लिए उन्हें कुछ भी करना पड़े। इस बार की सूची यह भी बताती है कि पार्टी ने समाज के सभी वर्गों को शामिल करने का निर्णय लिया है, जिससे वह राज्य में अधिकतम समर्थन प्राप्त कर सके।
आने वाले दिनों में और भी हो सकती हैं चौंकाने वाली घोषणाएं
इस पहली सूची के जारी होने के बाद राजनीतिक गलियारों में कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा की अगली सूची में और भी कई चौंकाने वाले नाम हो सकते हैं। भाजपा की यह सूची संकेत देती है कि पार्टी राज्य में सभी समुदायों को समान प्रतिनिधित्व देकर एक नई राजनीतिक धारा स्थापित करना चाहती है।
समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलने का प्रयास
भाजपा ने इस बार मुस्लिम उम्मीदवारों को अधिक संख्या में टिकट देकर यह साबित कर दिया है कि वह जम्मू-कश्मीर के सभी वर्गों को साथ लेकर चलने के लिए तैयार है। पार्टी का यह कदम एक बड़ी राजनीतिक चाल के रूप में देखा जा रहा है, जो कि जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है।
भाजपा का नया चेहरा और जम्मू-कश्मीर की नई राजनीति
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024 में भाजपा की यह पहली सूची यह दर्शाती है कि पार्टी राज्य में एक समावेशी और सशक्त सरकार बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इस सूची में मुसलमान उम्मीदवारों को अधिक संख्या में टिकट देकर पार्टी ने यह संदेश दिया है कि वह राज्य के सभी समुदायों के हितों को ध्यान में रखकर अपनी चुनावी रणनीति तैयार कर रही है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा की अगली सूचियों में कौन-कौन से नाम शामिल होते हैं और पार्टी की आगे की रणनीति क्या होती है।