अंतराष्ट्रीय वृद्ध दिवस पर विशेष लेख : कोई पीछे ना छूटे, सबके लिए बने समाज को प्रोत्साहन

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rab{ *डॉ. एच. आर. केशवमूर्ति- }

“वृद्ध होना विकास से जुड़ा मुद्दा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्वस्थ वृद्ध व्यक्तियों के बारे में अपने 1996 के ब्रासीलिया घोषणापत्र में कहा कि स्वास्थ्य वृद्ध व्यक्ति अपने पूरे परिवार, अपने समुदाय और अर्थव्यवस्था के लिए संसाधन होता है। 24वें अंतराष्ट्रीय वृद्ध व्यक्ति दिवस (1 अक्टूबर) की यादगार में इस साल का विषय “कोई भी पीछे ना छूटेः सबके लिए बने समाज को प्रोत्साहन” है। इसमें भारत सरकार के दूरदर्शी नारे “सब का साथ, सब का विकास’’ की गूंज और भावना स्पष्ट सुनाई देती है।

जब तक वृद्ध व्यक्तियों के लिए सामाजिक न्याय और समानता सुनिश्चित नहीं की जाती तब तक केवल विकास के जरिये शांति और समृद्धि नहीं लाई जा सकती। स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में सुधार से स्त्री और पुरुषों के जीवन प्रत्याशा में निरंतर बढ़ोतरी देखी गयी है और इससे 60 साल से ज्यादा उम्र के व्यक्तियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। इस तरह जैस-जैसे विश्व, सामाजिक-आर्थिक रूप से विकास कर रहा है उसमें इन वृद्ध व्यक्तियों की संख्या के साथ-साथ इनका योगदान भी बढ़ेगा। जैसे सरकारी सेवाओं में, सम्मानीय नौकरियों में, ऐच्छिक कार्यों में, उनके अनुभवों और ज्ञान को साझा करने में,अपने परिवारिक जिम्मदारियों को उठाने में  और लाभप्रद रोजगारों में उनका योगदान भी बढ़ेगा। लेकिन विकास के लिए ऐसे योगदान तभी सुनिश्चित किये जा सकते हैं जब वृद्ध व्यक्ति पर्याप्त स्तर पर अपने को स्वस्थ रख पाएंगे, जिसके लिए उपयुक्त नीतियां बनाने की जरूरत है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 2002 में शुरू किए गए अंतर्राष्ट्रीय मैड्रिड कार्य योजना के एक दस्तावेज ‘‘एक्टिव एजिंग- ए पॉलिसी फ्रेमवर्क’’  में जीवन भर स्वास्थ्य वृद्धि के लिए तरीके और दृष्टिकोण से परिचित कराया गया।

भारत उप-महाद्वीप की जनसंख्या विश्व का 15 प्रतिशत है और यहां विकास कार्यक्रमों जैसे कई कारणों से इसमें धीरे-धीरे जनसांख्यिकी परिवर्तन हो रहा है। प्रजनन और मृत्यु दर में आई गिरावट के साथ बच्चों के जीवन और जीवन प्रत्याशा में वृद्धि से जनसांख्यिकी में परिवर्तन आया है। साथ ही एक महत्वपूर्ण कारक वृद्ध लोगों की बढ़ती हुई संख्या भी है। 1951 में 60 से ज्यादा उम्र के लोगों की जनसंख्या 20 मिलियन थी। तीन दशक बाद 1981 में यह संख्या 43 मिलियन तक पहुंच गई और वहीं आगे के दशकों, 1991 में यह 55.30 मिलियन तक पहुंच गई। 2001 में यह संख्या बढ़कर 76.5मिलियन तक और वर्ष 2011 में 103.2 मिलियन तक पहुंच गयी।

अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, कानूनी अधिनियम, संवैधानिक प्रावधानों आदि सभी का ज़ोर समानता लाने और वृद्ध लोगों को सशक्त बनाने की जरूरत पर बल देना है। भारत के संविधान में भी वृद्ध लोगों के हितों के लिए जनादेश मौजूद है। राज्य के नीति निर्देशक तत्व, धारा 41 के मुताबिक राज्य अपनी आर्थिक क्षमता और विकास के तहत वृद्ध लोगों के लिए सुरक्षा और जन सहयोग अधिकार के लिए प्रभावशाली प्रावधान बनाएगा। इसके अलावा भी अन्य प्रावधान मौजूद हैं जो राज्य को वृद्ध लोगों को एक नागरिक के बतौर उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के निर्देशित करता है। समानता का अधिकार, मौलिक अधिकार के रूप में वृद्ध व्यक्तियों को सामर्थ्य प्रदान करता है। सामाजिक सुरक्षा, संयुक्त जिम्मेदारी के रूप में केन्द्र और राज्य को सौंपी गई है।

वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए प्रमुख मंत्रालय के बतौर सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय को जिम्मेदारी सौंपी गयी है। वृद्ध व्यक्तियों पर राष्ट्रीय नीति (एनपीओपी), 1999 में वृद्धों के कल्याण के लिए सभी मुद्दे उठाये गये हैं और 60 साल व उससे ऊपर के व्यक्ति की पहचान वरिष्ठ नागरिक के बतौर की गयी है। एनपीओपी का अनुसरण करते हुए, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की अध्यक्षता में, 1999 में ही वृद्ध व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय परिषद (एनसीओपी) बनायी गयी जो कि नीतियों के कार्यान्वयन की देख-रेख करेगी। एनपीओपी के कार्यान्वयन के लिए एक अन्य समन्वय उपायों के अंतर्गत सामाजिक न्याय और सषक्तिकरण मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में एक अंतर मंत्रालयी समिति गठित की गई है जिसमें 22 मंत्रालय/विभाग शामिल हैं।

अभिभावक और वरिष्ठ नागरिक और भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 दिसम्बर 2007 से लागू है जो अभिभावकों और वरिष्ठ नागरिक की जरूरत के मुताबिक उनका भरण-पोषण और कल्याण सुनिश्चित करता है। अधिनियम में – अभिभावकों/वरिष्ठ नागरिकों को उनके बच्चों/संबंधियों द्वारा भरण-पोषण को अनिवार्य और ट्रिब्यूनल द्वारा कानूनी बनाया गया है। वरिष्ठ नागरिकों की उनके संबंधियों द्वारा अनदेखी करने पर उनकी संपत्ति का हस्तांतरण करा लिये जाने, निर्धन वरिष्ठ नागरिकों के लिए वृद्धा आश्रम बनाने, वरिष्ठ नागरिकों को उचित चिकित्सा सुविधा और सुरक्षा उपलब्ध कराने का भी प्रावधान इस अधिनियम में किया गया है।

मंत्रालय ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए निम्नलिखित योजनाओं को लागू किया है:

वरिष्ठ नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधाऱ, उनकी उत्पादकता बढ़ाने तथा बढ़ती उम्र में सक्रियता को बनाए रखने के मकसद से वृद्धजनों के लिए 1992 में एक एकीकृत कार्यक्रम (आईपीओपी) की शुरुआत की गई थी। इसके तहत उन्हें आवास, भोजन, चिकित्सा देखभाल और मनोरंजन के अवसर जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। इसमें सरकारी/गैर सरकारी संगठन/ पंचायती राज संस्थान/ स्थानीय निकाय और बड़े पैमाने पर अन्य समुदाय अपनी भूमिका अदा कर रहे हैं। योजना के तहत इस परियोजना के लिए गैर-सरकारी संगठनों को वृद्धाश्रम, डे केयर सेंटर और चलती फिरती चिकित्सा इकाइयों की स्थापना करने के लिए उनकी लागत का 90% तक की वित्तीय सहायता मुहैया कराई जाती है। इस योजना को 01-04-2008 को संशोधित किया गया था। मौजूदा परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता के लिए मुहैया कराई जाने वाली राशि में वृद्धि के अलावा, कई अभिनव योजनाओं को जोड़ा गया है।

पंचायती राज संस्थाओं/स्वैच्छिक संगठनों/ स्वयं सेवी संस्थाओं को वृद्धजनों के लिए वृद्धाश्रम,  बहु सेवा केंद्रों के निर्माण की खातिर सहायता को लेकर 1996-97 में एक गैर योजना शुरू की गई थी। हालांकि, कार्यान्वयन एजेंसियों को यह योजना पसंद नहीं आई। इसलिए इसे दसवीं योजना (2006-07) के अंत में बंद किया गया था। अब निर्धन वरिष्ठ नागरिकों के लिए वृद्धाश्रम की स्थापना के लिए सहायता देने को लेकर एक नई योजना तैयार की जा रही है।

केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने बुजुर्ग लोगों के लिए विभिन्न कल्याणकारी कदम उठाए हैं जिसमें में शामिल हैं (i) बीमा नियामक विकास प्राधिकरण (इरडा) ने 65 वर्ष के उम्र तक के लोगों को स्वास्थ्य बीमा योजना में शामिल करने को लेकर बीमा कंपनियों को निर्देश दिए हैं। (ii) वरिष्ठ नागरिकों के लिए 60 साल तक के बुजुर्गों को प्रति वर्ष 3 लाख रूपये से अधिक पर आयकर छूट का लाभ देना और 80 साल के वरिष्ठ नागरिकों के लिए प्रतिवर्ष 5.0 लाख रुपये से अधिक आय पर आयकर में छूट का लाभ देना शामिल है। धारा 80डी के तहत जो लोग अपने माता पिता के लिए चिकित्सा बीमा प्रीमियम का भुगतान करते हैं उन्हें 20,000 रुपये की आयकर में छूट दी जाती है। इसके अलावा एक आश्रित वरिष्ठ नागरिक के इलाज के लिए जो इस मद में 60,000 रुपये राशि खर्च करता है उसे इसका लाभ लेने की अनुमति दी गई है। साथ ही बैंक वरिष्ठ नागरिकों की बचत योजनाओं पर ब्याज की उच्च दरों को भी बढ़ा रहे हैं।

60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों को लाभ देने के मकसद से सीमित अवधि के लिए 15 अगस्त, 2014 से 14 अगस्त 2015 के लिए केंद्रीय बजट 2014-2015 में वरिष्ठ पेंशन बीमा योजना (वीपीबीवाई) के पुनरुद्धार की घोषणा की गई है। यह पेंशन योजना करीब एक दशक पहले शुरू की गई थी। वरिष्ठ पेंशन बीमा योजना (वीपीबीवाई) का मकसद 500 से लेकर 5000 रुपये तक प्रतिमाह देश के वरिष्ठ नागरिकों को मासिक पेंशन प्रदान करना है। इस योजना से सीमित संसाधनों के साथ जीवन यापन कर रहे समाज के कमजोर वर्ग को लाभ होगा। वरिष्ठ पेंशन बीमा योजना के पुनरुद्धार के तहत वरिष्ठ नागरिकों को वार्षिक या मासिक आधार पर तयशुदा पेंशन मिल जाएगी जिससे इस वर्ग को सामाजिक सुरक्षा मिल जाएगी। इस योजना के लिए 10,000 करोड़ रुपये से अधिक का कोष बनाने की संभावना है। इस प्रकार यह देश के विकास के लिए संसाधन जुटाने का एक महत्वपूर्ण स्रोत होगा। देश में भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को इस योजना को संचालित करने के लिए एकमात्र विशेषाधिकार दिया गया है।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दों को रेखांकित करने के क्रम में 11वीं योजना के दौरान बुजुर्गों की स्वास्थ्य देखभाल राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीएचसीई) का शुभारंभ किया था। इस कार्यक्रम को राष्ट्रीय नीति की सिफारिश पर माता पिता की देखभाल एवं कल्याण तथा वरिष्ठ नागरिक अधिनियम 2007 के तहत राज्य के दायित्व को लेकर शुरू किया गया था। 11वीं पंचवर्षीय योजना में शुरू किए गए इस योजना में मुख्य रूप से देश के विभिन्न हिस्सों में आठ क्षेत्रीय चिकित्सा संस्थानों (क्षेत्रीय वृद्धावस्था केंद्रों) की पहचान की गई थी जिनमें वृद्धावस्था विभाग के लिए 30 बिस्तरों की व्यवस्था होती है। इसके अलावा जिला अस्पतालों, केंद्रीय स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य क्रेंद्रों और 21 राज्यों के 100 चिन्हित जिलों के उपकेंद्रों में स्वास्थ्य देखभाल की सुविधा प्रदान की जा रही थी। शुरुआत में 11वीं पंचवर्षीय योजना में इस कार्यक्रम के लिए 21 राज्यों से 100 जिलों में चयन किया गया था। 12 वीं पंचवर्षीय योजना में इसके तहत और 225 जिलों को कवर करने और विकसित करने का प्रस्ताव था। इसमें देश के चयनित मेडिकल कॉलेजों में 12 अतिरिक्त क्षेत्रीय वृद्धावस्था केन्द्रों को चरणबद्ध तरीके से विकसित करना शामिल है। क्षेत्रीय वृद्धावस्था केन्द्र जिला अस्पतालों को तकनीकी सहायता प्रदान करेंगे तथा वे केंद्रीय स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के अलावा उपकेन्द्रों की गतिविधियों की निगरानी के साथ उनके बीच समन्वय का काम करेंगे।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस बारे में 27.0.2008 और 30.08.2013 को सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को विस्तृत परामर्श जारी किया है जो प्राथमिक तौर पर ऐसे अपराधों जिसमें की वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ अपराध भी शामिल है कि रोकथाम, खोजबीन, पंजीकरण, जांच, और अभियोजन के लिए जिम्मेदार है। गृह मामलों के मंत्रालय ने अपने परामर्श में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दी है कि वो वृद्ध लोगों के खिलाफ हर तरह की उपेक्षा, गलत व्यवहार और हिंसा से सुरक्षा के तरीके सुनिश्चित करे। इस तरह के तरीकों में वरिष्ठ नागरिकों की पहचान करना, उनकी सुरक्षा के लिए पुलिस को संवेदनशील बनाना, वृद्ध लोगों को सुरक्षा देना, बीट अधिकारी का वृद्ध लोगों के घर जाकर निरंतर हालचाल लेना, वरिष्ठ नागरिकों के लिए मुफ्त सहायता नंबर जारी करना, वरिष्ठ नागरिक सुरक्षा प्रकोष्ठ का गठन करना, उनके घरों में काम करने वाले नौकरों और ड्राइवरों की जांच करना आदि शामिल है। अभिभावक व वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 के अध्याय 5 वरिष्ठ नागरिकों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा प्रदान करता है। राज्य सरकारों को वरिष्ठ नागरिकों के जीवन और उनकी संपत्ति की सुरक्षा के लिए एक विस्तृत एक्शन प्लान बनाना चाहिए।

पेंशन और पेंशनदाता शिकायत विभाग ने एक पेंशन पोर्टल बनाया है जहां से वरिष्ठ नागरिक पेंशन के लिए अपने आवेदन की स्थिति, पेंशन की राशि, यदि कोई जरूरी दस्तावेज चाहिए तो उसकी सूचना ले सकते हैं। इस पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराने की सुविधा भी है। छठें वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक अतिरिक्त पेंशन भी दी जा रही है। वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रशासन द्वारा अलग-अलग दर पर निराश्रित वृद्धों को मासिक पेंशन दी जा रही है। देश में अदालतें वृद्ध लोगों के मामलों को प्राथमिकता के आधार पर देखती हैं और जल्द से जल्द उसका निपटारा सुनिश्चित करती हैं।

रेल मंत्रालय वरिष्ठ नागरिकों को निम्न सुविधाएं प्रदान करता हैः यात्रि आरक्षण व्यवस्था (पीआरएस) में अगर हर शिफ्ट में 120 टिकट की मांग है तो ऐसी जगहों पर 60 साल से ऊपर के वरिष्ठ नागरिकों के लिए अलग से टिकट खिड़की, 60 साल से अधिक उम्र के पुरुष यात्रियों व 45 साल व इससे अधिक की महिला यात्रियों के लिए नीचे की सीट देना, पुरुष (60 साल) व महिला (58 साल) यात्रियों के लिए क्रमशः 40% व 50% रेल किरायों में छूट। सभी जंक्शन, जिला मुख्यालय और अन्य महत्वपूर्ण स्टेशनों पर वृद्ध और जरूरतमंद लोगों की सुविधा के लिए व्हील चेयर उपलब्ध है। महत्वपूर्ण स्टेशनों के प्रवेश द्वार पर व्हील चेयर के लिए रैम्प भी उपलब्ध है। ट्रेनों में शारीरिक रूप से अशक्त लोगों के लिए खास तरह से बनाए गए कोच शामिल किए गए हैं जिसमें व्हील चेयर के लिए जगह बनी है, हैंड रेल लगा है और खास तरह से बनाए गए शौचालय बने हुए हैं।

इंडियन एयरलाइंस सभी घरेलू यात्रि उड़ानों में ऐसे भारतीय वरिष्ठ नागरिक जिन्होंने 65 साल (पुरुष) और 63 साल (महिला) उम्र पूरी कर ली है उन्हें कुछ शर्तों के साथ साधारण इकोनॉमी श्रेणी के किराए में 50 प्रतिशत की छूट दे रहा है। एयर इंडिया 60 साल से अधिक की उम्र के वरिष्ठ नागरिकों को यूएसए, यूके और यूरोप की उड़ानों में छूट देता है।

अंत्योदय योजना में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे परिवारों जिसमें की वृद्ध व्यक्ति भी शामिल हैं उन्हें हर परिवार के हिसाब से 35 किलो अनाज हर महीने मुहैया कराया जा रहा है। इसमें 3 रुपया किलो चावल और 2 रुपया किलो गेंहू दिया जाता है। बीपीएल श्रेणी के 60 साल से अधिक उम्र के व्यक्ति को पहचान में प्राथमिकता दी जाती है। राज्य/केंद्रशासित प्रशासन द्वारा लागू की जाने वाली अन्नपूर्णा योजना के अंतर्गत वृद्धावस्था पेंशन से वंचित रह गए वरिष्ठ नागरिकों के लिए हर महीने 10 किलो अनाज दिया जाता है। राज्य सरकारों के निर्देश दिया गया है कि 60 साल से अधिक उम्र के राशनकार्ड धारकों को उचित मूल्य की दुकानों पर राशन देते समय वरीयता दी जाए।

ग्रामीण विकास मंत्रालय इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना चला रहा है जिसमें केंद्र की तरफ से गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों के 60 साल से अधिक उम्र के व्यक्ति के लिए 200 रुपये हर माह पेंशन और 80 साल से अधिक उम्र के व्यक्ति के लिए हर माह 500 रुपये पेंशन दी जाती है। इसमें इतनी ही राशि राज्य सरकारों की तरफ से भी दी जाती है।

राज्य सड़क परिवहन उपक्रमों की बसों में अगली कतार में दो सीट वरिष्ठ नागरिकों के लिए आरक्षित होती है, कुछ राज्य सरकारें राज्य सड़क परिवहन उपक्रमों की बसों के किरायों में भी वरिष्ठ नागरिकों को छूट दे रही हैं। कुछ राज्यों ने नई तरह की बसें चलाई हैं जो वृद्ध लोगों के लिए सुविधाजनक हैं। अस्पतालों में पंजीकरण और जांच के लिए वृद्ध लोगों के लिए अलग लाइन की व्यवस्था है। वरिष्ठ नागरिकों के आरोप/शिकायतों को वीआईपी तमगे के साथ वरिष्ठ नागरिक श्रेणी में रखा जाता है और उसे खास प्राथमिकता दी जाती है। वरिष्ठ नागरिक अपने टेलीफोन कनेक्शन एन-ओवाईटी (N-OYT)की विशेष श्रेणी में दर्ज करा सकते हैं जो प्राथमिकता की श्रेणी है।

इन सभी प्रयासों के अलावा, भारत सरकार ने वृद्ध लोगों के हित में काम करने वाले वरिष्ठ नागरिकों,संस्थाओं के बेहतर समर्पित सेवाओं का सम्मान करने के लिए राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक अवार्ड देना शुरू किया गया है। ये वयोश्रेष्ठता सम्मान हर साल 13 श्रेणियों में दिया जा रहा है।

“बाकी दूसरे देशों की तरह फिर से चुनौती और समस्या है। हमारी जरूरत है कि लोग चाहे वो जिस उम्र के हों स्वस्थ रहे और काम करें। अगर वो काम करते हैं तो आधी समस्या ऐसे ही हल हो जाएगी। हमें उनकी क्षमता, शिक्षा और स्वास्थ्य को बढ़ाने की जरूरत है, मुख्य बात ये है कि वो ही विकास के लिए नई ताकत हैं।”

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डॉ. एच.आर. केशवमुर्ति 

 निदेशक  एम एंड सी भारत सरकार , अभी कोलकाता में कार्यरत हैं

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