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हरियाणा,,
हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने आज कहा कि हरियाणा साहित्य अकादमी प्रदेश की रचनाशीलता की राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दर्ज करवाने में महती भूमिका अदा कर रही है और इसके प्रयासों से प्रदेश में साहित्यिक एवं सांस्कृतिक पुनर्जागरण एक नई करवट ले रहा है। यह उद््गार मुख्यमंत्री ने पंचकूला में हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित हरिगंधा पत्रिका के हरियाणा विशेषांक का लोकार्पण करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि प्रदेश सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य के साथ-साथ कला, साहित्य एवं संस्कृति के क्षेत्र में भी अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करवा रहा है। प्रदेश में स्थापित विभिन्न अकादमियां सांस्कृतिक परिदृश्य की समृद्धि में निरन्तर प्रयासरत् हैं। इस अवसर पर मौजूद अकादमी के कार्यकारी उपाध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव, डॉ. के.के. खंडेलवाल ने कहा कि हरियाणा की साहित्यिक व सांस्कृतिक परंपरा अत्यन्त समृद्ध रही है। यह परंपरा महर्षि वेदव्यास से आरम्भ होकर भक्तकवि संत सूरदास, हाली पानीपती व बाबा फरीद से होती हुई समकालीन रचनाशीलता तक पहुंचती है। हरिगंधा का प्रस्तुत हरियाणा विशेषांक प्रदेश की बहुआयामी सृजनात्मक रचनाशीलता का सशक्त प्रमाण है। अकादमी निदेशक डॉ. श्याम सखा ‘श्याम’ ने बताया कि हरियाणा का जनमानस प्राचीन काल से ही स्वतंत्रताप्रिय व जुझारू रहा है। यह विलक्षणता ही उसकी कर्मठता को सबसे अलग पहचान देती है। इसका प्रमाण हमें देश की अखंडता के लिए शहीद होने वाले प्रदेश के रणबांकुरों की विलक्षण परंपरा में मिलता है। पत्रिका के विशेषांक के विशेष आकर्षण डॉ. के.के. खंडेलवाल, राजकिशन नैन, पुण्यमचंद मानव, विजय वर्धन, रामफल चहल, सावित्री वशिष्ठ, सुधीर शर्मा, पूर्णचंद शर्मा, डॉ. अतुल यादव और कृष्णा आर्य के आलेख जहां हमें हरियाणा की कला, संस्कृति व लोक साहित्य की समृद्ध विरासत का दिग्दर्शन कराते हैं, वहीं राज्य कवि उदयभानु हंस, सुनीता जैन, धीरा खंडेलवाल, राणा प्रताप गन्नौरी, सुरेखा शर्मा, रूप देवगुण, मंजु जैडका, सुदर्शन रत्नाकर, जसविन्दर शर्मा की रचनाएं प्रदेश की प्राचीन साहित्यिक पंरपरा का प्रतिनिधित्व करती हैं। प्रदेश की संस्कृति एवं लोक साहित्य को अन्तराष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित करने के उद्देश्य से हरिगंधा के इस विशेषांक से अंग्रेजी भाषा की रचनाओं का प्रकाशन भी आंरभ किया किया गया है। इस खंड में समीक्षात्मक आलखों के साथ-साथ अंग्रेजी में सृजनात्मक लेखन को भी प्रोत्साहित किया जायेगा ताकि प्रदेश की युवा पीढ़ी की रचनाशीलता को भी एक मंच प्रदान किया जा सके। हरियाणा के निर्माण में जिन विभूतियों का अद्भुत योगदान रहा है उनके चित्र भी इस अंक में ‘हरियाणा का गौरव’ शीर्षक के अन्तर्गत प्रकाशित कर उनकी पावन स्मृति को नमन् किया गया है। हरिगंधा का 350 पृष्ठ का यह विशेषांक सुधी पाठकों को समर्पित है।