अंजू अग्निहोत्री,
आई एन वी सी,
लखनऊ,
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि साहित्यकारों ने अपनी लेखनी के माध्यम से सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि साहित्यकारों ने अपने विचारों व रचनाओं द्वारा समाज को सही रास्ता दिखाया। उन्होंने उम्मीद जतायी कि साहित्यकार भविष्य में भी इसी प्रकार अपनी रचनाधर्मिता से समाज को लाभान्वित करते रहेंगे। मुख्यमंत्री आज यहां उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान में आयोजित सम्मान समारोह में साहित्यकारों को सम्मानित करने के बाद अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने इस अवसर पर साहित्यकारों को भारत-भारती सम्मान, महात्मा गांधी साहित्य सम्मान व हिन्दी गौरव सम्मान से सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि हिन्दी संस्थान द्वारा दिए जाने वाले ये सम्मान पिछली सरकार द्वारा रोक दिए गए थे, जिन्हें अब पुनः शुरु किया गया है। समारोह में मुख्यमंत्री ने भारत-भारती सम्मान (वर्ष 2009) से डॉ0 महीप सिंह, भारत-भारती सम्मान (वर्ष 2011) से गोविन्द मिश्र, महात्मा गांधी साहित्य सम्मान (वर्ष 2009) से डॉ0 कमल किशोर गोयनका, महात्मा गांधी साहित्य सम्मान (वर्ष 2010) से श्रीमती मैत्रेयी पुष्पा, महात्मा गांधी साहित्य सम्मान (वर्ष 2011) से श्रीमती नासिरा शर्मा, हिन्दी गौरव सम्मान (वर्ष 2009) से डॉ0 सरला शुक्ल, हिन्दी गौरव सम्मान (वर्ष 2010) से के.पी. सक्सेना तथा हिन्दी गौरव सम्मान (वर्ष 2011) से श्रीकृष्ण तिवारी को सम्मानित किया। डॉ0 कैलाश बाजपेई भारत-भारती सम्मान (वर्ष 2010) प्राप्त करने हेतु अस्वस्थता के कारण सम्मान समारोह में उपस्थित नहीं हो सके। भारत-भारती सम्मान से सम्मानित साहित्यकारों को गंगा जी की प्रतिमा, ताम्र पत्र व 02 लाख 51 हजार रुपए की धनराशि मुख्यमंत्री ने प्रदान की। महात्मा गांधी साहित्य सम्मान व हिन्दी गौरव सम्मान से सम्मानित साहित्यकारों को गंगा जी की प्रतिमा, ताम्र पत्र व 02 लाख रुपए की धनराशि मुख्यमंत्री द्वारा प्रदान की गई। समारोह के प्रारम्भ में मुख्यमंत्री का स्वागत उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह ने किया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के निदेशक डॉ0 सुधाकर अदीब सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार एवं पत्रकार आदि उपस्थित थे।