दिल्ली ,
शीतकालीन सत्र शुरूआत सांप्रदायिक हिंसा (निवारण) बिल साथ हुई लेकिन मोदी की प्रधानमंत्री को लिखी गयी एक चिठ्ठी ने पूरे कार्यकर्म की हवा निकाल दी जहाँ एक बार फिर मोदी ने पूरी चर्चा को अपनी और आकर्षित कर लिया है तो वहीँ दूसरी और मनेरेगा ,फ़ूड सिक्यूरटी बिल के साथ ही सांप्रदायिक हिंसा (निवारण) बिल पर भी कांग्रेस के वक्ता प्रवक्ता मोदी को आड़े हाथो लेने से चूक गये है जिसका सीधा असर बिल के साथ साथ कांग्रेस की छवि पर भी पडेगा !
ये शीतकालीन सत्र देश के लियें बहुत ही अहमियत रखता है, क्योकि इस सत्र के 12 कार्यदिवसों में करीब 35 बिल लाएगी। लेकिन सरकार की भी राह राह आसान नहीं है। भाजपा, सपा, वाम दलों ने कई बिलों का विरोध करने के संकेत दिए हैं। विपक्ष महंगाई, भ्रष्टाचार, आंतरिक सुरक्षा, 2जी स्पेक्ट्रम और कोयला ब्लॉक मुद्दों पर भी सरकार को घेरेगा। संसद का शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर तक चलेगा। हो सकता है कि इसकी अवधि बढ़ा भी जाए। मंगलवार को हुई सर्वदलीय बैठक में सत्र बढ़ाने को लेकर सहमति थी। आम चुनाव से पहले यह अंतिम सत्र है। सरकार इसमें चालू वर्ष की पूरक अनुदान मांगों और रेलवे की पूरक अनुदान मांगों को भी पारित कराएगी। अगले बजट सत्र के दौरान मुख्य रूप से लेखानुदान ही पारित कराया जाएगा।
शीतकालीन सत्र का आगाज मोदी की दहाड़ के साथ – कांग्रेस के सेनापति फिर फेल
नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर कहा है कि सांप्रदायिक हिंसा (निवारण) बिल से केंद्र राज्य सरकार के कामकाज में दखल देगा। इससे देश के संघीय ढांचे पर असर पड़ेगा। इसी तरह का विरोध एआईएडीएमके सुप्रीमो और तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने भी किया है। शिवसेना भी इस मुद्दे पर बीजेपी के पाले में साथ खड़ी नज़र आई ,शिव सेना ने कहा की वह किसी भी कीमत इस बिल को पास नहीं होने देगी। सीपीआई (एम) ने भी केंद्र-राज्य के संबंधों का हवाला देते हुए प्रस्तावित बिल का विरोध किया है।