वाड्रा को बचने के लिए हरियाणा सरकार की बयानबाजी?

आई.एन.वी.सी,,
हरयाणा,,
हरियाणा के चार जिलों नामतः गुड़गांव, फरीदाबाद, पलवल तथा मेवात के उपायुक्तों ने अपने-अपने जिलों में श्री रॉबर्ट वाड्रा द्वारा या उनकी कम्पनियों की ओर से एक जनवरी, 2005 से लेकर अब तक विक्रेता के रूप में या खरीददार के रूप में किए गए डीडस के सभी पंजीकृत दस्तावेजों की जांच की तथा प्रमाणित किया है कि किसी भी डीड का रजिस्ट्रेशन अल्पमूल्यांकन पर नहीं किया गया। एक सरकारी प्रवक्ता ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि जांच के दौरान यह पाया कि अदा की गई स्टैम्प डयूटी जिला कलैक्टर द्वारा पूर्ण रूप से अधिसूचित की गई कलैक्टर दरों से कहीं अधिक पाई गई हैं। इस प्रकार इन बिक्री सौदों से राज्य को किसी भी प्रकार के राजस्व का नुकसान नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि सम्बन्धित उपायुक्तों द्वारा ये जांच महानिदेशक, चकबन्दी एवं भू-रिकार्ड-कम-महानिरीक्षक रजिस्ट्रेशन के आदेशों की अनुपालना में की गई हैं। उल्लेखनीय है कि महानिदेशक, चकबन्दी एवं भू-रिकार्ड-कम-महानिरीक्षक रजिस्ट्रेशन ने 12 अक्तूबर, 2012 को जारी अपने आदेशों में उपरोक्त चार जिलों के जिला उपायुक्तों को श्री वाड्रा या उनकी कम्पनियों द्वारा एक जनवरी, 2005 से अब तक रजिस्ट्रड सभी दस्तावेजों के जांच करने के निर्देश दिए थे। उन्होंने ये भी निर्देश दिए थे कि अल्पमूल्यांकन की स्थिति में मामले को भारतीय स्टैम्प डयूटी अधिनियम की धारा 47-ए के तहत अदा की जाने वाली स्टैम्प डयूटी के सही आंकलन के लिए सम्बन्धित कलैक्टर के पास भेजा जाए।        उन्होंने कहा कि गुड़गांव के जिला उपायुक्त ने सरकार को भेजी गई अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि मानेसर के तहसीलदार-कम-उप रजिस्ट्रार से मैसर्ज स्काई लाइट हॉस्पिटेलिटी  प्राईवेट लिमिटेड तथा मैसर्ज डीएलएफ यूनिवर्सल के बीच अल्पमूल्यांकन सम्पति के रजिस्ट्रेशन के सम्बन्ध में विस्तृत रिपोर्ट प्राप्त की गई तथा उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा कि शिकोहपुर गांव के खसरा नम्बर 730 में 3.53 एकड़ भूमि की खरीद के लिए सेल डीड नम्बर 4928 दिनांक 12 फरवरी, 2008 को की गई तथा इसकी कीमत 7.5 करोड़ रुपये आंकी गई। वर्ष 2007-08 के दौरान इस जमीन के कलैक्टर दरें 50 लाख प्रति एकड़ की दर से थी। सर्कल दर तथा कलैक्टर दरों के अनुसार 3.53 एकड़ जमीन की कुल स्टैम्प डयूटी 10,50,300 रुपये बनती है, जबकि खरीददार ने इस सेल डीड के लिए कुल स्टैम्प डयूटी के रूप में 45 लाख रुपये की अदायगी की है, जो  सर्कल दर तथा कलैक्टर दरों से कहीं अधिक है। तदानुपरांत 18 सितम्बर, 2012 को सेल डीड नम्बर 1435 के तहत भूमि के हस्तांतरण के लिए की गई 58 करोड़ रुपये की डीड के लिए 2012-13 की 1.55 करोड़ रुपये प्रति एकड़ की कलैक्टर दरों के अनुरूप स्टैम्प डयूटी 25.97 लाख रुपये होनी चाहिए, जबकि स्टैम्प डयूटी की अदायगी 2.90 करोड़ रुपये की गई है जो एक बार पुनः कलैक्टर दरों से कहीं अधिक है। इस प्रकार इन सेल डीडों से राज्य को राजस्व का कोई नुकसान नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि उपरोक्त सेल डीडों का रजिस्ट्रेशन चकबन्दी अधिकारी की स्वीकृति के बिना करने के सम्बन्ध में मानेसर के तहसीलदार-कम-उप रजिस्ट्रार ने कहा है कि तहसीलदारों को 11 जनवरी, 2008 को जारी अधिसूचना अनुसार पूरे राज्य में चकबन्दी अधिकारी की शक्तियां प्रदान हैं। इस प्रकार, तहसीलदार जोकि पंजीयन प्राधिकारी के साथ-साथ चकबन्दी अधिकारी भी है  इसलिए इस सम्बन्ध में अलग से कोई अनुमति लेना आवश्यक नहीं है।  जिले में 17 जुलाई, 2012 को अलग से एक चकबन्दी अधिकारी की नियुक्ति की गई परन्तु उसको चकबन्दी अधिकारी की शक्तियां प्राप्त नहीं थी। इस सम्बन्ध में 14 अगस्त, 2012 को एक अधिसूचना जारी की गई परन्तु जिला गुड़गांव में चकबन्दी अधिकारी की शक्तियों के सम्बन्ध में स्पष्टीकरण 1 अक्तूबर, 2012 को महानिदेशक, चकबन्दी, हरियाणा के कार्यालय से जारी किया गया। इसीलिए दस्तावेजों के पंजीकरण की तिथि, जो 18 सितम्बर, 2012 है, तहसीलदार एवं उप-रजिस्ट्रार, मानेसर के पास हरियाणा सरकार की अधिसूचना दिनांक 11 जनवरी, 2008 के तहत चकबन्दी अधिकारी की शक्तियां हैं। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 18 सितम्बर, 2012 को सेल डीड के समय भूमि का उपयोग बदलने के लिए विशिष्ट नम्बर पर प्रदान किये गए लाईसैंस के अनुसार भूमि कृषि उदेश्यों के लिए नहीं थी। इसके अलावा सहायक चकबन्दी अधिकारी द्वारा इन्तकाल की स्वीकृति के सम्बन्ध में चकबन्दी अधिकारी, गुड़ागांव से रिपोर्ट प्राप्त की गई। उन्होंने बताया कि ईस्ट पंजाब होल्डिंग (कन्सोलीडेशन एण्ड प्रीवेशन ऑफ फ्रेगमेंटेशन) रूल्स, 1948 के तहत 1989 में प्रकाशित चतुर्थ संस्करण के पेज नम्बर 7 पर दिए भूमि सैटलमेन्ट मैन्यूवल दिशा-निर्देशों के अनुसार सहायक चकबन्दी अधिकारी चकबन्दी की योजना तैयार करने और उसे तदानुसार अपडेट करने से पूर्व रिकार्डों के अनुसार सभी लम्बित इन्तकालों को स्वीकृत करने के लिए प्राधिकृत होता है। सहायक चकबन्दी अधिकारी को इन्तकाल स्वीकृत करने की शक्तियों के सम्बन्ध में स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि इन्तकाल 4 अक्तूबर, 2012 को ही जारी किया गया और तदानुसार उसका अनुसरण किया गया। सहायक चकबन्दी अधिकारी, गुड़गांव ने धारा 14 (1) के तहत अधिसूचना जारी करने के उपरान्त लगभग 15 महीनों की अवधि में इस इन्तकाल के साथ-साथ गांव शिकोहपुर के लगभग 150 इन्तकाल स्वीकृत किएं हैं। फरीदाबाद के उपायुक्त ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उप-रजिस्ट्रार फरीदाबाद तथा बल्लबगढ़ व संयुक्त उप-रजिस्ट्रार सोहना के माध्यम से उन द्वारा की गई जांच में भी पाया गया कि उप-रजिस्ट्रार फरीदाबाद कार्यालय में ये डीडस सही पाई गई। उप-रजिस्ट्रार बल्लबगढ़ तथा संयुक्त उप-रजिस्ट्रार के कार्यालय में भी पाया गया कि उपरोक्त कम्पनी या व्यक्ति के नाम से कोई डीड नहीं हुई। इस कारण कनवैंस डीड पर फरीदाबाद जिले में स्टैम्प डयूटी या रजिस्ट्रेशन फीस का नुकसान नहीं हुआ है। उन्होंने कहा है कि मेवात के उपायुक्त ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि श्री वाड्रा द्वारा मैसर्ज  रियल अर्थ स्टेट प्राईवेट लिमिटेड के निदेशक के रूप में शकरपुरी गांव में खरीद की गई 229 कनाल 7 मरला जमीन की स्टैम्प डयूटी तथा रजिस्टेशन फीस की पूर्ण रूप से अदायगी की गई है। इसी प्रकार पलवल के उपायुक्त ने भी अपनी रिपोर्ट में पाया है कि पलवल, होडल व हथीन के उप-रजिस्ट्रारों से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार सभी दस्तावेजों का रजिस्ट्रेशन सर्कल दरों के अनुरूप स्टैम्प डयूटी की अदायगी उपरांत किया गया है तथा राज्य को किसी भी प्रकार के वित्तीय घाटा नहीं हुआ है।

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