सुप्रसिद्ध लेखिका कौशल्या बैसंत्री का दिनांक २४.०६.११ को परिनिर्वाण हो गया । इस दुखद घटना पर प्रो. तुलसी राम ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि कौशल्या बैसंत्री जैसी सशक्त महिला रचनाकार का हमारे बीच में न रहना दलित साहित्य और समाज के लिए अपूर्णीय क्षति है । उनके लेखन में दलित महिलाओं के उत्पीड़न और संघर्ष की सशक्त अभिव्यक्ति मिलती है जो पुरुषवादी मानसिकता पर गहरा प्रहार करती है ।वहीँ प्रो. विमल थोरात ने अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि ’दोहरा अभिशाप’ दलित महिला आत्मकथा की लेखिका कौशल्या बैसंत्री ने अपनी आत्मकथा के माध्यम से दलित स्त्री मुक्ति के संघर्ष को मजबूत और विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है । उनके लेखन ने दलित महिला रचनाकारों को प्रेरणा और बल दिया । उनका निधन निश्चित ही हमारे लिए गहरी क्षति है ।