जबसे दुनिया बनी या शायद कुछ समय के बाद से ही महिलाओं के चरित्र को हर बार, बार –बार कसौटी पर खरा उतारने के लिये पुरुषवादी सभ्यता ने बहुत सारे मापदंड और सामाजिक बंधन बना डाले ! ऐसा नहीं है की सिर्फ आम औरत को ही अपने चरित्र को प्रमाणित करने के लिये दुनिया जहान की परीक्षाओं से गुज़रना पड़ा हो बल्कि भगवान राम की अर्धांग्नी माँ सीता को भी अपने चरित्र का प्रमाण देने के लिए अग्नि परीक्षा से गुज़रना पड़ा था !
महिलाओं का शोषण पुरुषवादी व्यवस्था में कोई नई बात नहीं है न थी बल्कि बहुत सारे ऐसे तमाम और भी प्रमाणित सच्चे किस्से किताबी दुनिया में भरे पड़े हैं जहां एक महिला ने दूसरी महिला का शोषण किया या करवाया !पर बहुत सारे ऐसे किस्सों के पीछे कोई न कोई नीजी स्वार्थ या कोई न कोई मजबूरी ज़रूर थी
!
आज 21 वी सदी में एक साध्वी और केन्द्रीय मंत्री जो की खुद एक महिला हैं उनकी भला क्या मजबूरी या निजी स्वार्थ हो सकता है जिन्होंने देश की 61.5% महिलाओं का चरित्र हनन कर डाला ? महिलाओं के आत्म-सम्मान के साथ साथ उनसे पैदा हुई उस पूरी आबादी को भी अवैध संतान बता डाला जिन्होंने इनकी ( रामज़ादे ) पार्टी या फिर उनके कुनबे को वोट नहीं किया है या फिर भविष्य में कभी रामज़ादे कुनबे को वोट नहीं करेगे, या फिर उनकी सोच के समर्थक नहीं हैं?
भाजपा की राज्यमंत्री के रामज़ादे और हरामज़ादे का बयान विवादित होने से ज़्यादा महिलाओं के चरित्र और आत्म सम्मान के साथ साथ इज़्ज़त को ज़ार ज़ार कर देने वाले बयान है ! पर कल लोक सभा और राज्य सभा के साथ साथ सभीअखबारों और खबरिया चैनल में जम के चर्चा और और खर्चा हुआ ! सभी खबरिया चैनल अपने अपने आकोओं को खुश करने के अलावा कुछ नही कर थे ! सभी अखबारी और चैनलिया पत्रकार सिवाए दर्शक बटोरने के अलाव कुछ करते नज़र नहीं आए !कांग्रेस अपने शहज़ादे के साथ महिलाओं के सरे आम हुए चरित्र हनन से और सम्मान से ज़्यादा भाजपा का यू टर्न गिनवाने में मशगूल थी ! सभी पोलिटिकल पार्टी इस मुददे को सिर्फ अपने अपने पोलिटिकल उल्लू सीधा करने के लिये इस्तेमाल करती नज़र आई !
कांग्रेस ,भाजपा आदी पार्टियो की कथनी और करनी में फर्क है, यह बात अब कब की किसी अखबार और कागज़ पर छप कर ,पुरानी होकर किसी कबाड़ी की दूकान से गुज़र कर किसी खोमचे वाले के मुरमुरो की प्लेट बनकर अब किसी कूड़ेदान की शोभा बड़ा रही होगी ! पर किसी पोलिटिकल पार्टी के किसी भी मंत्री ने आज तक देश की आधी आबादी के आत्म सम्मान के साथ साथ उसकी इज़्ज़त को इस तरह वोट बैंक के राजनीतिक कटघरे में नहीं घसीटा होगा !
अब सवाल यह उठता है कि हमारी मिडिया और पोलिटिकल पार्टी हरामज़ादे का मतलब नहीं समझते या फिर अनपढ़ हैं ! चलो एक बार मान लेते हैं फिर भी सवाल उठता है कि क्या इन सभी को आज के इस आधुनिक युग में ” गूगल “के बारे भी नहीं पता है ! हो सकता है उपरोक्त जमात ऐसा कह कर अपनी ज़िम्मेदारी से पीछा छुडाना चाहे पर मै इस बात पर बिलकुल भी यकीन करने को तैयार नहीं हूँ ! अगर गूगल पर जाकर भी देखे तो हरामज़ादे का सीधा -सीधा से और बहुत सारे मतलब निकलते हैं ” हरामज़ादा यानी अवैध संताने , दोगला ,अगर दुनयावी भाषा यानी सबकी माई इंग्लिश में इसका मतलब देखे तो …हरामज़ादे यानी bastard .bastard, cross breed, hybrid, love begotten,
quadroon, Base ,forbidden, bastard ,illegal, illegitimate, lawless, clandestine, bastard, dirty bastard, stupid bastard, bastard slip…ect.
अब अगर हरामी की इंग्लिश में संज्ञा लिखे तो कुछ यूँ है की – :
Definitions of bastard ( noun )
a person born of parents not married to each other.
“He talked to him and convinced him that this wedding should take
place as soon as possible because his bride does not want their son to
be born a bastard.”
Synonyms: illegitimate child, child born out of wedlock, love child,
by-blow, natural child/son/daughter
an unpleasant or despicable person.
synonyms: scoundrel, villain, rogue, rascal, weasel, snake, snake in
the grass, miscreant, good-for-nothing, reprobate, lowlife,
creep,nogoodnik, scamp, scalawag, jerk, beast, rat, ratfink, louse,
swine,dog, skunk, heel, slimeball, son of a bitch, SOB,
scumbag,scumbucket, scuzzball, scuzzbag, dirtbag, sleazeball,
sleazebag,hound, cad, blackguard, knave, varlet, whoreson
Adjective
born of parents not married to each other; illegitimate .a bastard child”
synonyms – : illegitimate, born out of wedlock, natural
अब जब सबसे आसान और सुलभ ज्ञान देने वाला साधन ” गूगल ” आज हर किसी पोलिटिकल पार्टी के साथ साभी मीडिया दफ्तरों में लगभग फ्री में ही मौजूद है तो क्या इन सभी को इतनी भी ज़हमत नहीं हुई की एक बार इस शब्द की व्याख्या पढ़ कर ही संसद में सवाल उठाएं ,खबर लिखे या फिर अपनी चर्चा का विषय बनाएं ! भाजपा को इस लोकसभा इलेक्शन में 282 सीट और 31% मिले अगर रामज़ादों के पूरे कुनबे के वोट प्रतिशत को भी जोड़ लिया जाए तब रामज़ादो को मात्र 38.5% वोट ही मिला यानी 61.5% भारतवासी जिन्होंने रामज़ादे संगठन को वोट नहीं किया है वह सभी हरामज़ादे हैं? सभी वह पोलिटिकल पति जो भाजपा के कुनबे में नहीं हैं वह सभी और उनके समर्थक भी हरामज़ादे हैं ? यानी कुल मिलाकर देश की 61.5% आबादी को पैदा करने वाली महिलायों के चरित्र साथ उनके आत्म सम्मान और उनकी परिवारिक पृष्ठभूमि पर सवालिया निशान खड़ा करता सवाल है !
सवालिया निशान तो उन सभी ” सो कॉल्ड ” बुद्धिजीविओं ,ज़रा ज़रा सी बात बात पर कोर्ट पहुँचने वाले सामाजिक कार्यकर्त्ताओ ,खुद से संज्ञान लेने वाली न्यायपालिका ,महिलाओं के हक़ की लड़ाई लड़ने के नाम पर दुनिया भर का फंड डकारने वाले एन जी ओ के अलावा उन सभी महिलाओं पर जो खबरिया चैनल पर चर्चा करके ,अखबारों में लेख लिख कर सुकून की साँस लेती हैं और उस जमात से भी जो जंतर – मंतर पर डेरा जमाएं रहती हैं ! क्या अब ये पूरी जमात 61.5% आबादी को पैदा करने वाली महिलाओं के हुए चरित्र हनन पर किसी कोर्ट या फिर जंतर मंतर का रुख करेंगी ? या फिर सरकार से लाभ प्राप्ती के लिये एक बार फिर अंजान बनने की कोशिश करेंगी ?
प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी सबका सम्मान सबका विकास और 125 करोड़ देशवासियों का खुद को प्रधानमंत्री न बता कर प्रधान सेवक बताते हैं ! अब सवाल प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी पर पर भी तो बनता ही हैं कि देश की 61.5% आबादी जिसने भाजपा कुनबे को वोट नहीं दिया है इस पूरी आबादी के आत्म सम्मान और महिलाओं के चरित्र पर लगे इस दाग को धोने के लिये क्या करते हैं ?
” ये मेरी अभिव्यक्ति की आज़ादी है और एक महिला होने के नाते जब कोई भी महिलाओ का चरित्र हनन करेगा या करेगी , या फिर एक बयान ही क्यों न दे तो अपने मान सम्मान की रक्षा हेतु और एक महिला की गरिमा को बरकरार रखने के लियें लेख लिखना ,,आवाज़ उठाना और समाज के साथ साथ न्यायपालिका व् सरकार से सवाल पूछना मेरा जन्मसिद्ध ,कानूनी और सवैंधानिक अधिकार भी हैं ! “
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सोनाली बोस
उप – सम्पादक
इंटरनेशनल न्यूज़ एंड वियुज़ डॉट कॉम
व्
अंतराष्ट्रीय समाचार एवम विचार निगम
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Sub – Editor
international News and Views.Com
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संपर्क – : sonali@invc.info & sonalibose09@gmail.com
सोनाली जी ने बहुत बढ़िया विश्लेषण किया है. उनकी कलम को सलाम. हमें यह भी देखना पड़ेगा कि यह सारा विवाद एक महिला मंत्री द्वारा खड़ा किया गया है और सोच -समझकर ऐसी भाषा का प्रयोग किया गया था. मनुष्य की पहचान उसकी भाषा से होती है यह हम जानते हैं. भारतीय राजनीति में ये कोई पहली घटना नहीं है. उधर कोलकाता में ममता बनर्जी ने ‘बांस’ शब्द का प्रयोग किया .आखिर ये लोग चाहते क्या हैं ? यह हमें समझने की जरुरत है .
बहरहाल मैं सभी आदरणीय पाठकों से विनम्र निवेदन करता हूँ कि वे भी यहाँ टिप्पणी करते समय अपनी भाषा और शब्दों के चुनाव पर संयम रखें और ध्यान दें . सादर .
महिलाओं के हक़ में कुछ भी कहना लिखना ,पढ़ना और उस पर अपनी प्रतिक्रिया लिखना भी अब इस देश में गैरक़ानूनी या असवैंधानिक हो गया हैं क्या ? आपके सभी लेख पढ़े हैं ,आप वहां से लिखना शुरू करती हैं जहां आकर सभी लेखको सोच आकर खत्म हो जाती हैं ! amit jha जी अनुरोध हैं की आप अगर हमारे हक़ में नहीं आ सकते तो कोई बात नहीं पर आप कृपया करके आप मुददे को न भटकायें !
हरामज़ादे और हरामखोरो के बीच का फर्क समझो फिर बात करो ! सोनाली जी मैं एक महिला और माँ होने के नाते आपके लेख के साथ साथ आपकी कलम को भी सालाम करती हूँ ! अब ये चर्चा बहुत आगे तक जा सकती हैं इसमें कोई शक नहीं हैं ! आपको उन सभी महिलाओं का समर्थन प्राप्त हैं जिनका चरित्र हनन हुआ हैं और जो चुप नहीं बैठ सकती अपने चरित्र पर उठे सवालों को लेकर !
मंजरी जी आपने मेरी पोस्ट ठीक से नहीं पढ़ी और न ही सोनाली जी की उनके लेख में जो हरामजादे शब्द के पर्यायवाची हैं वह हरामखोर से मिलते जुलते हैं। अपनी पोस्ट में मैंने हरामजादे और हरामखोर को किताबी ज्ञान से हटकर अपने समझ और अनुभव से लिखा है। सृजन कभी किताबी ज्ञान से जन्म नहीं लेता , अनुभव और ज्ञान से लेता है. किताबी ज्ञान सिर्फ आपको सक्षम बनाते हैं की आप अपनी समझ का विकास करें। रही बात मेरे पोस्ट की तो बता दूँ की मैंने आज जो समाज में चल रहा है उसपर लिखा है। यह पोस्ट किसी भी तरह से न तो महिला विरोधी है न ही पुरुष विरोधी। अगर इसमें मैंने विरोध किया है तो हम सभी की बुरी सोच का विरोध किया है। हरामखोर और हरामजादे में जो सम्बन्ध है उस पर अपनी राय राखी है साथ ही साफ़ लिखा है की जिनकी मानवीय नैतिकता ख़त्म हो चुकी है वह लोग ऐसे हैं। साफ लिखा है मैंने -” बदलते वक़्त के साथ हरामजादे का मतलब परस्त्री – पुरुष गमन से पैदा हुई अौलाद ही नहीं जिनकी मानवीय नैतिकता भी मर चुकी हो वह भी हरामजादा है.”
सोनाली जी आपके और आपके लेख पर मुझे और मेरे परिवार के साथ साथ सभी उन महिलाओं का समर्थन हैं जिनके चरित्र का हनन हुआ हैं ! आप लिखती रहिए ! हम सब आपके साथ साथ ,हो सकता हैं कुछ संगठन और कम अकल मर्दों को आपकी कलम की धार से मुश्किल हो पर क्या महिला हक की बात करना भी अब क्या गैरक़ानूनी या असवैंधानिक हो गया हैं क्या ?
सोनाली जी आपने जो 61.5 प्रतिशत भारतीय आबादी को पैदा करने वाली महिलाओं के चरित्र पर हुए हमले पर जो प्रहार किया हैं उस पर हर माहिला को गर्व करना चाहियें ! मुझे आप पर और आपके लेख पर गर्व हैं !
amit jha जी अब आपको क्या कहें की जब आपको हरामज़ादों और हरामखोरो में कोई फर्क ही नज़र आता हैं ! सोनाली जी आपकी सोच के साथ साथ आपकी कलम को भी सलाम …आपने 61.5 प्रतिशत भारतीय आबादी को पैदा करने वाली महिलाओं के चरित्र पर हुए हमले पर जो प्रहार किया हैं उस पर हर महिला को गर्व करना चाहियें
amit jha जी … सभी कुछ तो साफ़ साफ़ लिखा हैं ! किसी को देश की कुल 61.5 प्रतिशत भारतीय आबादी को पैदा करने वाली महिलाओं का चरित्र हनन करने का
अधिकार यहाँ क़ानूनी या सवैंधानिक कब किसको दे दिया हैं ! मैं मेरा परिवार भाजपा को वोट नहीं करता हैं तो क्या हम सब ……हो गयें हैं ?
अलका जी, मेरी पोस्ट किसी पर निजी हमला करने जैसी नहीं है अगर आपको ऐसा लगा तो तहे दिल से क्षमा प्रार्थी हु। मैंने आज जो समाज में चल रहा है उसपर लिखा है। यह पोस्ट किसी भी तरह से न तो महिला विरोधी है न ही पुरुष विरोधी। अगर इसमें मैंने विरोध किया है तो हम सभी की बुरी सोच का विरोध किया है। हरामखोर और हरामजादे में जो सम्बन्ध है उस पर अपनी राय राखी है साथ ही साफ़ लिखा है की जिनकी मानवीय नैतिकता ख़त्म हो चुकी है वह लोग ऐसे हैं। साफ लिखा है मैंने -” बदलते वक़्त के साथ हरामजादे का मतलब परस्त्री – पुरुष गमन से पैदा हुई अौलाद ही नहीं जिनकी मानवीय नैतिकता भी मर चुकी हो वह भी हरामजादा है.”
थोड़ा ये क्लियर कीजिये की उन्होंने क्या कहा था ,” दिल्ली में रामजादों की सरकार चाहिए या हरामजादों की” या ये कहा की “दिल्ली में रामजादों की सरकार नहीं लाने वाले हरामजादे ” या रामजादों को सपोर्ट नहीं करने वाले हरामजादे “. हम शब्दों से खेलने वाले अर्थों को कहाँ से कहाँ ले जाते हैं. अब हरामजादों की बात उठी है तो मुझे हरामजादे और हरामखोर में ज्यादा फर्क नज़र नहीं आता। मेरे हिसाब से परस्त्रीगमन और परपुरुषगमन भी हरामखोरी में ही आता है। इस हरामखोरी में जब स्त्री पुरुष साथ होते है तो हरामजादे पैदा होते हैं. अब हरामखोरी धन की हो या तन की हरामखोरी ही होती है. और आज राजनीती में नौकरशाही में और अब समाज में ये धर्म हो चूका है। और समाज हम लोगो से बना है , हमसे सरकार बनती है हमसे नेता बनते हैं और फिर हम ही हरामखोरी की दुहाई देते हैं.
ये तो जाहिर है वोट हम उन्ही को देते है जिन्हे हम पसंद है और नापसंदगी के लिए चुनाव आयोग का धन्यवाद जो नोटा का विकल्प दे दिया। पर नोटा का प्रतिशत कितना काम है ये भी देखिये। सरकार किसी की भी आये पर हरामखोरी (भ्रष्टाचार) ख़त्म नहीं होगी क्यूंकि हम सभी अंदर से हरामखोर हो चुके हैं और हमारी आने वाली नस्ल हरामजादे ही कहलाएगी क्यूंकि बदलते वक़्त के साथ हरामजादे का मतलब परस्त्री – पुरुष गमन से पैदा हुई अौलाद ही नहीं जिनकी मानवीय नैतिकता भी मर चुकी हो वह भी हरामजादा है. असली रामजादे तो नोटा वाले लगते है।
सोनाली बोस जी आप जो भी लिखती हैं वह लेखन चर्चा का रुख बदल कर रख देता हैं ! आप सच में वह लेखक हैं जिसे सर आखों पर बैठाया जा सकता हैं !
शानदार लेख ! सवाल सही हैं !
khub bhalo likhecho…keep it up..
जितनी तारीफ़ की जाए कम हम ! आपने महिला लेखन को एक नया आयाम दिया हैं ! साभार
सोनाली जी ,हालाकि माफ़ी मांग ली गई हैं ! पर सभी महिलाओं के चरित्र हनन की भरपाई हो पायेगी ? आपके सवाल वाजिब हैं ! इस मुद्दे पर ओर कई महिलाओं को लेख लिखना चाहियें !
सोनाली जी आप के लेख बहुत ही कम पढ़ने को मिलते हैं पर हर लेख किसी न किसी मुद्दे को उठाता हैं और समाप्ती की ओर इशारा करता हैं ! आपकी कलम कलम और सोच को सलाम !
सोनाली जी आपके नज़रिय को सलाम ! आपने सच में वहां से सोचना और लिखना शुरू करती हैं जहाँ हर बिद्धिजिवी आकर रुक जाता हैं !