राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

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दिल्ली,

फिलहाल राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई होना मुमकिन नहीँ होगा क्योंकि इन हत्यारोँ की तमिलनाडु सरकार द्वारा की जाने वाली रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी है। इस मामले की अगली सुनवाई छह मार्च को होगी। इस मामले में तमिलनाडु सरकार ने तीनों दोषियों संथम, पेरीवलन और मुरुगन को रिहा करने की बात कही थी। राज्य सरकार के इस फैसले के खिलाफ केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। वहीं, तमिलनाडु सरकार ने यह कहते हुए इस पर विरोध जताया है कि केंद्र सरकार का यह अपरिपक्व कदम है, क्योंकि राज्य सरकार की तरफ से दोषियों की रिहाई के लिए कोई आदेश अभी तक नहीं जारी किया गया है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि रिहाई पर रोक किसी के पुनर्विचार याचिका पर नहीं लगाई गई है, बल्कि सुनवाई के दौरान जो तथ्य छूट गए थे उन पर सुनवाई करने के लिए रोक लगाई गई है। उधर, केंद्र सरकार ने कहा है कि तमिलनाडु सरकार सभी 7 दोषियों को रिहा करने जा रही है। इसलिए सभी की रिहाई पर रोक लगनी चाहिए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि यह रोक केवल तीन दोषियों की रिहाई पर लगाई गई है।

उच्चतम न्यायालय द्वारा राजीव गांधी हत्या मामले के तीन दोषियों की रिहाई पर रोक लगाये जाने के बीच केन्द्रीय मंत्री राजीव शुक्ला ने आज कहा कि तमिलनाडु सरकार का पर्दाफाश हो गया है क्योंकि वह इस मुद्दे पर राजनीतिक वजहों से काम कर रही है। संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव शुक्ला ने कहा कि यह अच्छी बात है कि उच्चतम न्यायालय ने रिहाई पर रोक लगा दी। जयललिता सरकार की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि तमिलनाडु की मुख्यमंत्री राजनीतिक वजहों से कार्य कर रही हैं।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने कहा कि मौत की सजा माफ करने का यह मतलब नहीं है कि किसी को निर्दोष करार दिया गया हो। राजीव गांधी की बर्बर हत्या को भूला नहीं जा सकता। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री के फैसले को लेकर किये गये एक सवाल पर शर्मा ने कहा कि जयललिता को स्पष्ट करना होगा कि आतंकवाद और लिटटे के मुद्दे पर उनकी स्थिति क्या थी और अब वह क्या कर रही हैं। शर्मा ने कहा कि तमिलनाडु के अन्य लोग भी राजीव गांधी पर हुए हमले में मारे गये थे इसलिए इस बारे में उचित नजरिये के लिए मामला उच्चतम न्यायालय पर छोड देना चाहिए। उच्चतम न्यायालय ने आज तीन दोषियों संथन, मुरूगन और पेरारिवालन की रिहाई पर रोक लगा दी।

ग़ौर तलब है कि खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी जयललिता द्वारा दोषियों को रिहा करने के फैसले को गलत बताया है। वहीं केंद्र की ओर से इसी मामले में एक पुनर्विचार याचिका भी दायर की गई है। यह याचिका सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीनों दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने के फैसले के खिलाफ है।

अपने पिता के दोषियों की सज़ा माफी और उनकी रिहाई की खबरों पर कांग्रेस उपाध्यक्ष ने भी नाराज़गी जताई है। राहुल ने कहा है कि यदि उनके पिता के हत्यारों को सज़ा दिलाने पर उन्हें न्याय नहीं मिला तो आम आदमी को कैसे न्याय मिलेगा। वहीं इस जघन्य अपराध को करने वाले दोषियों में एक मुरुगन-नलिनी की बेटी हरिथ्रा ने राहुल गांधी से अपने माता-पिता के किए गए गुनाहों के लिए माफी मांगी है। उसने कहा है कि वह राहुल का दर्द जानती है क्योंकि वह भी बचपन से ही अपने मां-बाप से दूर रही है। साथ ही उसने सोनिया गांधी को भगवान बताया है जिसकी बदौलत उसकी मां की फांसी की सज़ा को उम्रकैद में बदला जा सका था।

गौरतलब है कि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की दया याचिका के लंबे समय से अधिक लंबित होने की वजह से तीनों की फांसी की सज़ा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया था। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में यह तर्क दिया था कि पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या में शामिल मुरुगन, पेरीवलन और संथन की दया याचिका में देरी की वजह प्रक्रिया रही है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की किसी दलील को नहीं माना। इसके बाद ही तमिलनाडु सरकार ने सभी तीन दोषियों को रिहा करने की मांग उठाई थी।

डीएमके प्रमुख एम करुणानिधि ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जताते हुए तीनों दोषियों को तुरंत रिहा करने की मांग की है। वहीं तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने भी केंद्र सरकार को तीन दिन का समय देते हुए कहा है कि यदि केंद्र दोषियों की रिहाई संबंधित कोई फैसला नहीं लेती है तो वह तीनों दोषियों को रिहा कर देगी।

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