रंजू भाटिया की चार कविताएँ

नित्यानन्द गायेन की टिप्पणी  :  रंजू  भाटिया की कविताओं में जीवन के सभी रंग मौजूद हैं।  वे कई सम्मानों से सम्मानित हैं मतलब उनकी रचनाएँ पाठकों को पसंद हैं।  आइये यहाँ उनकी कुछ और रचनाओं को पढ़ते हैं !

 रंजू भाटिया की चार कविताएँ

1.ऐ ज़िन्दगी

ऐ ज़िन्दगी
कभी तू पढ़ लिया करती थी
मेरे उन अनकहे सफों को भी
जो आँखों के कोनो में
सिमट कर बिखर जाया करते थे
समेट लेती थी तब उन्हें
अपने इस अंदाज़ से
कि दिल के हर कोने के
अँधेरे ,उजाले में
बादल जाया करते थे
बदलते मौसम के
बिखराव की तरह
रोज़ पीले गिरते पत्ते
हरियाले और नयी कलियों की
उम्मीद में सज जाया करते थे
सोचती हूँ अब ….
तू मिले जो कहीं
तो तुझसे पूछु
छोडे थे हमने जो फासले
खुशगवार लम्हों के
प्यार की सोगातों के
और मदभरी शिकायतों के
वो ठिठके हुए हैं
आज भी किसी
रुकी हुई झील की तरह
क्या आज भी …
दो किनारों पर खड़े हम
एक एक कदम बड़ा कर
कम कर सकते हैं इन एहसासों को
जम गए हैं जो किसी बर्फ की तरह
क्या आज भी
उन भावनाओं को संवेदनाओं को
एक दूजे के छूने से
पिघला सकते हैं ??

2. देखती हूँ ज़िंदगी को

देखती हूँ ज़िंदगी को मैं अक्सर
यूँ ही लंबे सफ़ेद कैनवस पर
और फिर देखते ही देखते इन में
कई रंग से जैसे बिखर जाते हैं
तब हर गुज़रता लम्हा बन जाता है
एक अनदेखी सी तस्वीर कोई
और उसमें कई रंग
यूँ ही कभी संवरते
कभी धूंधले से चमक जाते हैं
प्रेम के रंग खिलता है जब गुलाबी हो कर
दर्द के घने अंधेरे छटा जाते हैं
ज्ञान का सफ़ेद सा उजाला खोल देता है
जब मन की खिड़कियाँ सारी
रूह के कोने कोने में
जैसे आशा के  दीप सैंकड़ों  झिलमिलाते हैं
जीवन तो नाम है कभी धूप ,कभी छावं का
पीले पतझर से यह पल हर पल मुरझा के फिर हरे हो जाते है
उड़ने दो अपने दिल की हर धड़कन को नीले मुक्त गगन में
अनूठे   संगीत के सुरो से सजे यह ज़िंदगी के रंग
कोरे कैनवस पर अपनी हर अदा से मुस्कराते हैं !!

3. क्यों बंधना चाहते हो तुम मुझे

क्यों बंधना चाहते हो तुम मुझे
क्यों रंग देना चाहते हो अपने ही रंग में?
क्यों नही उड़ने  देना चाहते मुझे
शबदो ,गीतों के उस जहान में
जहाँ कोई शब्दों की सीमा नही
कोई गीत या गजल का
बन्धन नही ,
सिर्फ़ शब्द हैं मेरे जो बन के
मेरे दिल की आवाज़ ढल जाते हैं
कभी गजल ,कभी गीत
कभी नजम और कभी
कुछ यूं ही में ढल जाते हैं
जानती हूँ तुम्हे
मेरा हर रूप भाता है
पर न जाने क्यों कभी कभी
तुम्हारे अन्दर का पुरुष्तव
क्यों बाहर आ के अपनी झलक
दिखा जाता है
जितना जाना है तुम्हे मैंने
तुम्हारा वह रूप जिस में
मैंने ख़ुद का अक्स देखा है
और देखा है तुम्हे भी उसी रूप में
जहाँ तुम्हे  भी कोई बन्धन पसंद नही
जीना चाहता है तुम्हार दिल भी
उस हर लम्हे को जो प्यार में डूबा है
नही जान पाती हूँ किसी पल तुम्हे
दिल घबराने लगता है
सच कहू तब प्यार से
यह दिल भागने लगता है
तुमको कहा है मैंने ख़ुद से
अपना ही आईना
नही छिपा पाती हूँ अपने दिल के वह सब भाव
जो अक्सर तुम्हे ले कर मेरे में रहते हैं
सुनो मुझे यूं ही निर्बाध गति सा बहने दो
संग बहो मेरे
तुम भी
पर उड़ान अपनी  अपनी हो
अपने ही प्यार में डूबे हम
बस कहीं तो अपने मन की हो …

अपने मन की जमीन हो
जिसमें उपजे बस वही
जो हम दोनों का दिल चाहे
मिटे फर्क हर तरह का
बस रूह को रूह नज़र आए
माना सिर्फ़ अशरीरी रूहानी प्यार
कागज के फूल सा  झूठा है
जिस में न गंध है
न कोई रस न मिटटी से जुड़ी कोई बास
पर यह प्यार सच कहूँ सबसे अनूठा है !!

4. पतंग

सुदूर कहीं
गहरे नीले आसमान में
लहरा उठती है
“ढेरों पतंगे ”
और नीचे धरती पर
झूमती आँखों में
चमक जाते हैं ” कई सूरज ”
धीरे धीरे  धूमती  रहती है
धरती अपनी धुरी पर यूँ ही
और साथ ही घूमते रहते हैं
नक्षत्र अपनी गति से
और इन सबके बीच में
झुक आती है फिर संध्या
किसी आँचल के छाँव सी
उड़ते रहते है
न जाने कितने पाखी मन के
होले  से उन कटी  पतंगों की छांव में
फिर फिर बुनते रह जातें सपने
कुछ अनदेखे,अनकहे से
रात की बीतती वेला में
अधखुली आँखों के
पतंगों के पेच से
शोर करते मन में देते हुए शब्द
वो काटा !! वो काटा //

  प्रस्तुति
नित्यानन्द गायेन
Assitant Editor
International News and Views Corporation

ranju bhatiya invc newsपरिचय 

रंजू भाटिया

शिक्षा –बीएड डिप्लोमा इन जर्नलिज्म

लेखन –पत्र पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन दो निजी काव्य संग्रह  “कुछ मेरी कलम से ( हिन्द युग्म प्रकाशन ) साया ( अयन प्रकाशन ) साझे काव्य संग्रह पगडण्डीयाँ (का संपादन ) पुष्प पांखुरी। स्त्री हो कर सवाल करती है ,नारी विमर्श ,आदि आने वाले काव्य संग्रह गुलमोहर ( हिन्द युग्म प्रकाशन ) सिर्फ तुम (आगमन )आदि हैं

सम्मान  व्  उपलब्धियां 

2007 तरकश स्वर्ण कलम विजेता
२००९ में वर्ष की सर्व श्रेष्ठ ब्लागर
२००९ में बेस्ट साइंस ब्लागर एसोसेशन अवार्ड
२०११ में हिंद युग्म शमशेर अहमद खान बाल साहित्यकार सम्मान
२०१२ में तस्लीम परिकल्पना सम्मान चर्चित महिला ब्लागर

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