लखनऊ,,
आर0एस0एस0 प्रमुख श्री मोहन भागवत ने जिस तरह से आदिवासी महिलाओं से पैर धुलवाए हैं, उससे एक बार फिर इस संगठन और उसके नेताओं का असली चेहरा उजागर हो गया है। संघ प्रमुख सुदूर पूर्वोत्तर संघाई आदिवासी महिलाओं से पैर धुलवाकर अपने संगठन एवं अनु”ाांगिक संगठनों सहित भाजपा को क्या संदे’ा देना चाहते हैं\ यह इस बात का भी सुबूत है कि आर0एस0एस0 व्यक्ति पूजा में किस तरह वि’वास रख़ता है और उसकी आचार संहिता में नारी’ाक्ति सम्मान के लिए क्या जगह है\ मर्यादा पुरू”ाोत्तम की नगरी में आर0एस0एस0 प्रमुख ने जिस तरह से मर्यादा की धज्जियां उड़ाई हैं, संस्कारों को तार-तार किया है उससे यह भी सोचने वाली बात है कि भगवान राम का नाम लेकर राजनीति करने वाला संघ परिवार राम की मर्यादाओं के प्रति कितनी आस्था रख़ता है। इतना ही नहीं अब तो सबसे बड़ा सवाल यह है कि भारत माता की photo रख पुजावा कराने वाली आर0एस0एस0 और उसके अन्य संगठन के पास कहने के लिए कुछ है कि नहीं हैं, कि आखिर उस मूर्ति के प्रति उनका कितना सम्मान है। इससे संघ परिवार का पाखण्ड और पोंगापंथ उजागर होता है। सबसे आ’चर्य की बात है कि अभी तक भाजपा के वरि”ठ नेताओं का आरएसएस प्रमुख के इस कृत्य पर प्रतिक्रिया नहीं आयी, जो बात -बात पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते रहते हैं। प्रदे’ा कंाग्रेस के प्रवक्ता द्विजेन्द्र त्रिपाठी ने आज यहां प्रदे’ा कंाग्रेस मुख़यालय से जारी बयान में कहा कि सवाल उठता है कि सुदूर पूर्वाेत्तर इलाके से रामकथा प्रि’ाक्षण के लिए बुलाई गई आदिवासी महिलाओं के साथ किस तरह का सलूक किया जा रहा होगा, अब यह गम्भीर प्र’न बन चुका है | इस घटना से यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि आर0एस0एस0 प्रमुख जब संघ कार्यकर्ताओं के परिवारों में जाते हैं तो क्या उनके परिवार में रहने वाली महिलाओं से भी पैर धुलवाने का पुजावा करवाते हैं। कायदे से आर0एस0एस0 प्रमुख श्री मोहन भागवत के अन्दर महिलाओं के प्रति आदर सम्मान होता तो वह भोलीभाली साित्वक महिलाओं को नारी `सर्वत्र पूज्यन्ते´ की भावना के तहत खुद उनका पैर धुलते। मगर लगता है कि वह उनके मनुवादी सोच के खिलाफ होता।