भारतीय रेल में व्यापक सुधार की दरकार

Indian Rail in the clutches of Beggersनिर्मल रानी**,,
भारतीय रेलमंत्री पवन कुमार बंसल द्वारा पिछले दिनों रेल बजट संसद में पेश किया गया। परंपरा के अनुसार सत्तारुढ़ कांग्रेस द्वारा इसकी सराहना की गई तथा मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने बजट की आलेचना की। प्रत्येक रेल बजट की तरह इस बार भी पिछले सभी रेल मंत्री की तजऱ् पर वर्तमान रेल मंत्री पवन बंसल ने भी अपने क्षेत्र का कुछ ज़्यादा ही  ख्याल रखा। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबेरली पर भी विशेष नज़र-ए-इनायत की गई। किराए बढ़ाने के बजाए सरचार्ज लगाकर रेल यात्रा को और मंहगा कर दिया गया। जिन नई सुविधाओं को भारतीय रेल में शामिल करने की बात की जा रही है वह सुविधाएं तो यात्रियों को बाद में मिलेंगी परंतु सरचार्ज के रूप में टिकट की बढ़ी हुई कीमत तो तत्काल ही देनी पड़ेगी।

बहरहाल, रेलमंत्री ने इस वर्ष 24 हज़ार करोड़ रुपये के घाटे का बजट पेश किया है। सवाल यह है कि भारतीय रेल जिसको कि न सि र्फ हमारे देश की विकास की जीवन रेखा समझा जाता है बल्कि इसकी गिनती दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में भी की जाती है, को आ िखर हर वर्ष घाटा ही क्यों उठाना पड़ता है। और वह भी का फी बड़ा घाटा। निश्चित रूप से भारतीय रेल व्यवस्था दिनोंदिन आधुनिक,तेज़ र फ्तार व सुविधायुक्त होती जा रही है। जिस भारतीय रेल की पहचान ‘लेट लती फी’ के रूप में बनी हुई थी वही रेल अब का फी हद तक अपनी समय सारिणी के अनुसार निर्धारित समय पर चलती हुई दिखाई दे रही है। कहा जा सकता है कि जनता का विश्वास रेल व्यवस्था के प्रति पहले से अधिक मज़बूत हुआ है। ऐसे में देश हित में यह भी ज़रूरी है कि रेल बजट में होने वाले ज़बरदस्त घाटे पर नियंत्रण पाया जाए तथा कुछ ऐसे उपाय किए जाएं जिससे रेल बजट घाटे का नहीं बल्कि मुना फे के बजट के रूप में संसद में पेश हो सके। वैसे तो भारतीय रेल प्रणाली को संचालित करने में बड़े ही शिक्षित, अनुभवी व वरिष्ठ योजनाकार इसकी देखरेख में अपनी योग्यता का प्रदर्शन करते हैं। परंतु संभवत: रेलवे स्टेशन,रेलगाड़ी तथा रेल लाईनों से जुड़ी हुई बहुत सी ज़मीनी ह की कतें ऐसी हैं जिन पर या तो उन योजनाकारों की नज़र नहीं पड़ती या फिर वे इन बातों को कोई  खास अहमियत नहीं देते। पंरतु ह की कत यह है कि भारतीय रेल को चपत लगाने में यही बातें सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं जिनका निदान किया जाना यथाशीघ्र बहुत आवश्यक है। विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि ऐसी व्यवस्था होने के बाद रेलवे को होने वाला घाटा बहुत जल्द यदि समाप्त नहीं तो कम ज़रूर हो जाएगा।

उदाहरण के तौर पर देश के सभी रेलवे स्टेशन को चीन की तजऱ् पर पूरी तरह सुरक्षित बना दिया जाना चाहिए। अर्थात् जिस समय जिस गंतव्य की ट्रेन आ रही हो उस समय निर्धारति समय पर ही यानी ट्रेन के प्लेट फार्म पर पहुंचने से मात्र दो मिनट पहले केवल उसी ट्रेन के यात्रियों को ही निर्धारित प्लेट फार्म की ओर जाने की अनुमति दी जानी चाहिए। टिकटधारी यात्रियों के अतिरिक्त कोई भी दूसरा व्यक्ति स्टेशन में प्रवेश करने हेतु अधिकृत नहीं होना चाहिए। प्लेट फार्म पर दी जाने वाली सारी सुविधाओं को रेलवे स्टेशन के बाहरी भाग में सीमित कर दिया जाना चाहिए। चलती ट्रेन में केवल रेल विभाग से जुड़े वर्दीधारी और अपने नाम की प्लेट लगाए हुए वेंडर अथवा हॉकर को ही सामान बेचने की अनुमति दी जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त रेल के डिब्बों में उन्हीें लोगों को प्रवेश मिलना चाहिए जिनके पास निर्धारित रेल व यात्रा का समुचित टिकट है। रेलवे स्टेशन को अवांछित लोगों की आरामगाह बनने से रोकना चाहिए। इसमें कोई शक नहीं कि भारतीय रेल को होने वाले घाटे की सबसे बड़ी वजह यही है कि रेल व्यवस्था अवांछित व असामाजिक तत्वों के हाथों में जा रही है। प्लेट फार्म पर अनाधिकृत रूप से पड़े रहने वाले तमाम लोग जिनमें पीला वेश धारण करने वाले बाबा रूपी तमाम शराबी,जुआरी,अपराधी,भगौड़े, नशेड़ी व अय्याशी करने वाले लोग शामिल हैं किसी न किसी प्रकार से भारतीय रेल को चूना लगाते रहते हैं। इनके साथ कुछ रेलकर्मियों विशेषकर स्थानीय रेलवे पुलिस के मिले-जुले नेटवर्क से स्टेशन पर रेलवे की इधर-उधर पड़ी संपत्ति चोरी होती है। इसके अतिरिक्त धड़ल्ले से बेटिकट यात्रा करने, ट्रेन में तोडफ़ोड़ करने व प्लेट फार्म पर नशीले पदार्थों का व्यापार करने तक का काम इनके द्वारा अंजाम दिया जाता है।

इन सबका एक ही इलाज है कि देश के प्रत्येक रेलवे स्टेशन को अवांछित लोगों के लिए एक प्रकार से सील कर दिया जाए।  गैरज़रूरी लोग तो क्या कुत्ता-बिल्ली तक भी प्लेट फार्म पर पहुंच न सके। इसके अतिरिक्त ट्रेन से लेकर प्रत्येक स्टेशन के प्रत्येक प्लेट फार्म पर बड़ी संख्या में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। प्राय: देखा जाता है कि रेलवे स्टेशन के पास-पड़ोस के लोग पानी भरने हेतु या शौचालय का प्रयोग करने हेतु रेलवे प्लेट फार्म पर आते हैं। इससे एक तो रेल यात्रियों को असुविधा होती है। दूसरे घरेलू इस्तेमाल के लिए पानी ले जाने व शौचालय जाने वालों की लंबी लाईन अनधिकृत रूप से प्लेट फार्म पर लगी रहती है। इसी बीच इन्हीं बाहरी लोगों द्वारा अक्सर कोई न कोई पानी की टोंटी  खराब कर दी जाती है या फिर आसामाजिक तत्व वह टोंटी खोलकर ले जाते हैं। नतीजतन पानी की धार बेवजह बहती रहती है और  फुज़ूल में बहता हुआ यह पानी प्लेट फार्म से होकर रेलवे लाईन तक पहुंचता है और लाईन के नीचे की मिट्टी को नम करता है जोकि रेल संचालन के लिए अच्छा लक्षण नहीं है। एक अनुमान के अनुसार इस समय साधारण व एक्सप्रेस गाडिय़ों में लगभग तीस प्रतिशत यात्री आज भी बिना टिकट यात्रा करते हैं जिनमें बाबारूपी भिखारियों की संख्या सबसे अधिक है। और ऐसे ही तमाम लोग चलती ट्रेनों में नु कसान भी पहुंचाते हैं। तमाम प्रमुख स्टेशन जहां रेल रैक पार्क किए जाते हैं वह स्थान भी आम लागों की पहुंच के भीतर ही होते हैं। लिहाज़ा तमाम आसामाजिक तत्व उन खड़े रैक में घुसकर डिब्बों में बल्ब, पंखा, स्विच,सीट उनके शौचालय में लगे यात्रियों की ज़रूरत के सामान जैसे पानी की टोंटी,वाशबेसिन,शीशा,यहां तक कि पानी गिराने वाला लोहे का मोटा पाईप तक तोड़-मरोड़ कर खोलकर ले जाते हैं। हद तो यह है कि इसी प्रकार के यात्री कभी-कभी चलती ट्रेन में भी रेल संपत्ति को नु कसान पहुंचाते चलते हैं और रेलवे के सामान को तोड़ते व रास्ते में फेंकते रहते हैं।

इन सब का समस्याओं से निपटने का मात्र एक ही इलाज है और वह यह कि रेल को ऐसे तत्वों की पहुंच से दूर कर दिया जाए। और रेल के निकट केवल वही व्यक्ति आ सके जिसके पास उसी गाड़ी का निर्धारित टिकट है। प्रत्येक स्टेशन पर चीन की ही तजऱ् पर बना हुआ एक ऐसा सर्वसुविधायुक्त प्रतीक्षालय होना चाहिए जहां खानपान,शौचालय,सिगरेट-बीड़ी, मनोरंजन, विश्रामगृह,टिकट बुकिंग,पूछताछ्र, रिज़र्वेशन,कंप्यूटर,एटीएम,बुकस्टोर,दवा खाना आदि की समुचित सुविधाएं हों। और इसी क्षेत्र में स फाई, निगरानी, सुरक्षा तथा यात्रियों को पहुंचने वाली दु:ख-तकली फ व आराम आदि का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए। रेलवे प्लेट फार्म का संबंध केवल निर्धारित ट्रेन व उस ट्रेन पर यात्रा करने वाले मुसा िफरों के बीच होना चाहिए। ट्रेन से उतरने वाले मुसा िफरों को भी मैट्रो रेल व्यवस्था की तजऱ् पर तत्काल प्लेट फार्म छोडक़र बाहर निकलने का निर्देश दिया जाना चाहिए। असहाय व अपाहिज व्यक्ति के लिए रेलवे द्वारा व्हील चेयर तथा एक सहयोगी व्यक्ति की व्यवस्था करनी चाहिए। रेलमंत्री ने रेल टिकट को आधार के साथ जोडऩे की बात कही है। निश्चित रूप से यह भी एक बहुत अच्छा व सराहनीय  कदम है। यथाशीघ्र ऐसी व्यवस्था ज़रूर की जानी चाहिए कि प्रत्येक साधारण टिकट लेने वाला यात्री अथवा आरक्षण टिकट लेने वाला यात्री सभी को उसका पहचान पत्र टिकट खिडक़ी पर देख कर ही रेल टिकट दिया जाए। इतना ही नहीं बल्कि प्रत्येक टिकट बुकिंग काऊंटर पर चीन की तजऱ् पर स्केनिंग मशीन व कैमरे आदि लगे होने चाहिए जिससे कि टिकट लेने वाले यात्री की पूरी पहचान हासिल की जा सके।

यदि उपरोक्त साधारण उपाय भारतीय रेलवे ने अपना लिए तो यह दावे के साथ कहा जा सकता है कि भारतीय रेल को होने वाला घाटा मात्र इन्हीं उपायों को अपनाने से का फी हद तक कम ज़रूर हो जाएगा। इसके अतिरिक्त उपरोक्त उपायों को अपनाने से रेलवे स्टेशन व प्लेट फार्म ,ट्रेन आदि साफ़-सुथरे, आकर्षक तथा पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने वाले बन सकेंगे। बिना टिकट यात्रियों की संख्या इन उपायों से कम ही नहीं बल्कि समाप्त हो जाएगी। रेलवे को होने वाले नु कसान विशेषकर चोरी की घटनाओं में भी का फी कमी आएगी। भारतीय रेल को उपरोक्त सुधारों के अतिरिक्त और भी तमाम व्यापक स्तर पर किए जाने वाले सुधारों की दरकार है। और यही कमियां भारतीय रेल बजट में होने वाले भारी घाटे का मुख्य कारण बनती हैं।

*******

Nirmal Rani*निर्मल रानी
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर निर्मल रानी गत 15 वर्षों से देश के विभिन्न समाचारपत्रों, पत्रिकाओं व न्यूज़ वेबसाइट्स में सक्रिय रूप से स्तंभकार के रूप में लेखन कर रही हैं.Nirmal Rani (Writer)
1622/11 Mahavir Nagar
Ambala City 134002 Haryana
phone-09729229728

*Disclaimer: The views expressed by the author in this feature are entirely her own and do not necessarily reflect the views of INVC.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here