{ अमरेन्द्र यादव ** } ‘फारवर्ड प्रेस, दिल्ली के संवाददाता जितेंद्र ज्योति बर्खास्त’ की खबर प्रकाश में आने के बाद एक सज्जन ने कमेंट करते हुए बिहार से संबंधित पत्रकारों को ब्लैकमेलर और भ्रष्ट बता दिया. इस सज्जन ने भड़ास फोर मीडिया पर खबर चलने के बाद लिखे कमेंट में एक के बहाने बिहारी के सभी पत्रकारों पर उंगली उठाते हुए अपने दब्बूपन के शिकार क्षेत्रवादी मानसिकता को सार्वजनिक करने का सराहनीय प्रयास किया है. अगर यह अपने आप में पाक-साफ है तो बताएं कहां के पत्रकार सत् प्रतिशत सही है. गौरतलब है कि पत्रकारिता को पाक-साफ औैर सम्मानीत नजरिये से देखने का काम सबसे ज्यादा बिहार में ही होता है. बिहारी फोबिया से ग्रसित इस सज्जन यानी धीरज जी को लगता है कि अगर जितेंद्र ज्योति नामक पत्रकार सही में भ्रष्ट और ब्लैकमेलर है और पिछले दिनों दिल्ली में एक ट्रैफिक पुलिस वाले से हफ्ता वसूलते हुए ट्रैफिक एसपी द्वारा पकडा गया था, तथा ट्रैफिक पुलिस वाले समेत इसे हवालात की हवा खानी पडी थी तो आपके ‘इस प्रगतिशील खेमे के एक बेहद शरीफ रंगकर्मी’ यानी अरविंद गौड़’ को ‘‘पैरवी’’ कर उसे हवालात जाने से बचाने की क्या पड़ी थी. यह बात अरविन्द गौड़ ने एक रंगमंच के कार्यक्रम में इस बिंदू पर बातचीत के दौरान खुद स्वीकार किया था. जब जितेन्द्र वीडियो के बल पर ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रहा था तो सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हुए भी आप और आपके सभी साथी असलीयत सामने लाने का प्रयास क्यों नहीं किया .अगर आपके पास जितेन्द्र ज्योति के द्वारा झूठी फैलाई कोई खबर है तो क्या आप हमे बता सकते है ! और अंततः आपके जानकारी, अनुभव और सूचना के अनुसार ‘ऐसे ब्लैकमेलरों के कारण ही बिहार के पत्रकार बदनाम होते रहे हैं’. एक बार आपकी बात मान भी लिया जाए तो क्या आलू से भरी बोरी में से एक आलू खराब या सड़ जाएं तो इसके कारण बोरी की पुरी आलू ही सड़ी मान ली जाती है…. भड़ास फोर मीडिया पर जितेन्द्र की बर्खास्तगी की खबर चलने के बाद आपके द्वारा लिखे कमेंट में एक के बहाने बिहारी के सभी पत्रकारों पर उंगली उठाई है. यह कहां तक सही है. अगर यह बिहारी पत्रकारों के प्रति दूरभावना नहीं है तो भड़ास फोर मीडिया पर ही उन सभी ब्लैकमेलर और भ्रष्ट बिहारी पत्रकारों की लिस्ट सार्वजनिक करें जो आपके जानकारी में हैं या दूषित क्षेत्रवादी मानसिकता को सुधारते हुए सार्वजनिक रूप से मांफी मांगे.

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कार में चलने वाले पत्रकार द्रोपदी रूपी पत्रकारिता का चीरहरण कर रहे हैं। और यही वो लोग हैं जो अपने आगे दूसरों को कुछ नहीं समझते। और बेबुनियाद आरोप लगाते हैं। अमेरेंद्र ने जो कहा है उसकी बात सही हैं आरोप लगाने वालों को उनकी लिस्ट सार्वजनिक करनी चाहिये।