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चंडीगढ़,
हरियाणा के सिरसा जिला में गेहूं व अन्य सभी प्रकार की फसलों की कटाई के उपरांत बची हुई तुड़ी व बचे अवशेषों के जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। जिलाधीश डा. जे गणेसन ने बताया कि ने दंड प्रक्रिया नियमावली 1973 की धारा 144 द्वारा प्रदत्त शक्तियों के अंतर्गत जिला में आदशों की अवेलहना में अगर कोई व्यक्ति दोषी पाया जाता है तो उसके विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 188 सपठित वायु बचाव एवं प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम 1981 के तहत दंड भागी होगा और तुरंत प्रभाव से दोषी व्यक्ति के विरुद्ध संबंधित अधिकारी कार्यवाही करेगा। उन्होंने बताया कि जिला की सीमा के भीतर गेहूं व अन्य प्रकार की फसलों की कटाई के बाद बची हुई तुड़ी व उनके अवशेषों को जलाने से होने वाले प्रदूषण से मनुष्य का स्वास्थ्य, संपत्ति की हानि, तनाव, मानव जीवन को भारी खतरे की संभावना रहती है तथा इन फसलों की कटाई के बाद बची हुई तुड़ी व अन्य सभी प्रकार के फसलों के बचे हुए अवशेषों को जलाने से जिला में पशुओं के चारों की भी कमी होने की संभावना भी रहती है। उन्होंने बताया कि भारतीय दंड प्रक्रिया नियमावली 1976 की धारा 144 के अंतर्गत जिला में आदेश लागू कर दिए गए है। उन्होंने किसानों से अपील की है कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक हों और अपने खेतों में बचे धान व गेंहू के अवशेषों को न जलाएं। उन्होंने बताया कि पर्यावरण सरंक्षण को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2003 में खेतों में फसल के अवशेषों को जलाना कानूनी रूप प्रतिबंध कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि कार्बनडाईआक्साईड, राख सल्फर डाईआक्साईड जैसी गैसे भूसे के जलने के कारण वायुमण्डल में घुल जाती हैं जो कि पर्यावरण के लिए काफी खतरनाक है। इसके साथ-साथ फसल का भूसा जलाने से जहां भूमि में मित्र कीट मर जाते हैं वहीं कार्बनिक पदार्थो की कमी होती है इससे भूमि की उपजाऊ शक्ति कम हो रही है। किसानों को चाहिए कि पर्यावरण एवं भूमि की उर्वरकता शक्ति को मद्देनजर रखते हुए खेतों में फसल के भूसे को न जलाएं। यदि कोई किसान ऐसा करता पाया जाता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएगी।