निरंतर बदलावों से पत्रकारिता भी परिवर्तन के दौर में- उपराष्ट्रपति

आई.एन.वी.सी.,
इंदौर,

भारत के उपराष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद हामिद अंसारी के मुख्य आतिथ्य में आज इंदौर में आयोजित भाषायी पत्रकारिता महोत्सव में मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने मूर्धन्य पत्रकार स्व. श्री प्रभाष जोशी के नाम पर एक लाख रूपये के राज्य खेल पुरस्कार की घोषणा की। स्व. श्री प्रभाष जोशी के 75 वें जन्म दिवस के अवसर पर इंदौर प्रेस क्लब और प्रभाष परम्परा न्यास द्वारा आयोजित इस गरिमामय समारोह प्रभाष प्रसंग‘ में राज्यपाल श्री रामेश्वर ठाकुर, केन्द्रीय संसदीय कार्य राज्यमंत्री श्री राजीव शुक्ला, जनसम्पर्क एवं संस्कृति मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा, पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री सुरेश पचौरी महापौर श्री कृष्ण मुरारी मोघे तथा प्रभाष परम्परा न्यास के अध्यक्ष डॉ. नामवर सिंह मंचासीन थे।

समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति डॉ. अंसारी ने कहा कि राज्य-व्यवस्था टेक्नालॉजी और अर्थव्यवस्था में आ रहे निरंतर बदलावों से पत्रकारिता भी परिवर्तन के दौर में है। मीडिया की दशा और दिशा की समीक्षा के लिये एक तंत्र का होना जरूरी है। किसी भी सरकारी विनियामक के न होने से इस बात की जरूरत समझी जाने लगी है कि मीडिया की संस्थाएं स्वयं या सहकारी तौर पर आत्म-नियंत्रण करें।

उप-राष्ट्रपति डॉ. अंसारी ने कहा कि हाल के कुछ वर्षों में हमारे समाज, अर्थ-व्यवस्था और राज्य-व्यवस्था में बहुत तेजी से ऐसे बदलाव आए हैं जो इससे पहले कभी देखे नहीं गए। उन्होंने भारत के जन-संचार के निजाम को बदल कर रख दिया है, लेकिन इसके पैमाने, पहुँच और असर में जितनी बढ़ोतरी हुई है उसकी झलक गैर-तिजारती और गैर-बाजारी पहलुओं में दिखाई नहीं देती है। श्री प्रभाष जोशी का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि जोशी जी का कैरियर और उनकी जिन्दगी सभी पत्रकारों के लिये शानदार मिसाल है। वह न सिर्फ एक मशहूर संपादक थे बल्कि उनकी आवाज आम आदमी की आवाज थी। वह आम आदमी के मसले उठाने के लिये सादी जुबान में लिखते थे और मुकामी-मुहावरों का इस्तेमाल करते थे। वह मीडिया में नैतिक मूल्यों और पारदर्शिता के कट्टर समर्थक थे। उन्होंने कहा कि श्री जोशी के नजरिए को एक छोटे से जुमले, सब की खबर ले सब की खबर दे’ में बयान किया जा सकता है।

उप-राष्ट्रपति श्री अंसारी ने कहा है कि देश के पत्रकारिता परिदृश्य में एकल-आधिपत्य के स्थान पर बहु-आधिपत्य एवं परस्पर समूहों का आधिपत्य होना चाहिए। इससे आम जनता की आवाज को अधिक मुखरता मिलेगी। उप-राष्ट्रपति ने बाजार के आगे लेखनी के नतमस्तक नहीं होने का आव्हान किया। उन्होंने पत्रकारों से यह अपेक्षा भी की कि सत्ता की जटिलताओं और मोहजाल से वे स्वयं को अप्रभावित रखें।

राज्यपाल श्री रामेश्वर ठाकुर ने इस मौके पर श्री प्रभाष जोशी के कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पत्रकार सच्चे अर्थों में देश के पथ-प्रदर्शक होते हैं। पत्रकारिता आज नये-नये आयाम स्थापित कर रही है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय चेतना के प्रसार में मीडिया प्रतिनिधियों को अपनी लेखनी का इस्तेमाल इस तरह करना चाहिए कि उसकी विश्वसनीयता भी बनी रहे और अनिवार्यता भी। राज्यपाल श्री ठाकुर ने पत्रकारिता की असीम ताकत पर भरोसा जताते हुए कहा कि भाषाई पत्रकारिता आज के दौर में उतनी ही प्रासंगिक है जितनी गुजरे दौर में थी। अपनी पैनी कलम से पत्रकार देश को दिशा दें और राष्ट्रहित के मुद्दों को आमजन तक पहुंचाये। उन्होंने इंदौर प्रेस-क्लब द्वारा प्रभाष जी की परम्परा को आगे बढ़ाने के लिए इस वार्षिक आयोजन की सराहना की। उन्होंने कहा कि हर अंचल के विकास में भाषाई पत्रकारिता का विशिष्ट महत्व है। उन्होंने प्रभाषजी से जुड़े संस्मरण दौहराते हुए कहा कि विनोबा के भूदान-ग्रामदान-ग्राम-स्वराज्य के भव्यस्तर क्रांति-प्रयास को समझने और उसमें प्रतिनिधित्व करने की कोशिश में प्रभाष जी की पत्रकारिता का संस्कार जन्मा था। कलम हाथ में और पैर गांव में कुछ ऐसा दौर भी उन्होंने पार किया। जोशी जी देश के जाने-माने स्पष्टवादी पत्रकारों में गिने जाते थे। उन्होंने भाषाई पत्रकारिता के महत्व को राष्ट्र के सामने रखा।

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