सोनाली बोस,
आई एन वी सी,
दिल्ली,
ऐसा लगता है कि भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित होते ही नरेंद्र मोदी के प्रति ब्रिटेन और अमेरिका के रुख में आश्चर्यजनक बदलाव आना शुरू हो गया है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरून ने गुजरात के मुख्यमंत्री मोदी से दोस्ताना संबंध विकसित करने की इच्छा ज़ाहिर की है। जबकि अमेरिका के शीर्ष राजनयिक रहे कार्ल एफ इंडरफर्थ ने ओबामा सरकार को सलाह दी है कि वह भी ‘नमो ‘से संपर्क कायम करने का रास्ता खोजे, क्योंकि भाजपा ने 2014 के चुनावों के लिए उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया है।’गरवी गुजरात’ समाचार पत्र समूह के प्रकाशन ‘ईस्टर्न आई’ से साक्षात्कार में ब्रिटिश प्रधानमंत्री कैमरून ने मोदी से दोस्ताना संबंध विकसित करने पर ज़ोर दिया। उनका कहना था, ‘गुजरात में निहित ब्रिटेन के व्यापक हितों को देखते हुए मोदी से नज़दीकी रिश्ते कायम करना अब बेहद ज़रूरी है।’ मोदी को वीज़ा देने के सवाल पर कैमरून का कहना था, ‘हर वीज़ा आवेदन पर हम गुणवत्ता के आधार पर विचार करते हैं।भारत के साथ दोस्ताना संबंधों पर हमारा ज़ोर रहता है। इसके तहत द्विपक्षीय बैठकों में भाग लेने के लिए ब्रिटेन आने पर भारतीय प्रधानमंत्री का स्वागत करना भी शामिल है।’ कैमरून के पूर्व ब्रिटिश विदेश मंत्री ह्युजो स्वायर ने भी अहमदाबाद जाकर मोदी से भेंट की थी।जबकि 1997 से 2001 तक दक्षिण एशियाई मामलों के लिए अमेरिका के सहायक विदेश मंत्री रहे इंडरफर्थ ने कहा, ‘पीएम उम्मीदवार घोषित होने के बाद मोदी अब राष्ट्रीय हस्ती बन गए हैं। उनकी अनदेखी भारत में अमेरिकी हितों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।मेरा मानना है कि ओबामा सरकार को मोदी से संपर्क बनाने के रास्ते जरूर खोजने चाहिए।’ ध्यान रहे कि 2002 दंगों के बाद अमेरिका और ब्रिटेन सहित कई यूरोपीय देशों ने मोदी को वीज़ा देने पर रोक लगा दी थी।लेकिन अब मामला उल्टा होता प्रतित हो रहा है।