आई.एन.वी.सी,,
नोएडा,,
अनियमितताओं और कमियों के बावजूद धड़ल्ले से प्रवेश लेना अब गलगोटियाज विश्वविद्यालय को भारी पड़ने वाला है। वॉइस ऑफ पॉलिटइकस हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र एवं एजूकेशन जंगल डॉट काम पर इस बाबत दी जा चुकी एक्सक्लुसिव न्यूज के बाद यूनिवर्सीटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) ने इसे गंभीरता से लिया है। खबर का असर कुछ ऐसा हुआ कि बुधवार 17 अगस्त को यूनिवर्सीटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) की टीम ने ग्रेटर नोएडा स्थित गलगोटियाज कॉलेज कैंपस और यूनिवर्सीटी में छापेमारी की। जहां पर नियमविरोधी कई कमिय पाई गई। सूत्रों के अनुसार यूजीसी की टीम अपने लाव-लस्कर के साथ विवि. में फैली अनियमितताओं की जांच करने के लिए पहुंची। टीम के सदस्यों ने प्रबंधन से समस्त कागजों और दस्तावेजों को मंगाया और अब तक बन चुके विश्वविद्यालय परिसर की इमारत की भी जांच की। जानकारी के मुताबिक टीम के सदस्यों ने विवि से संबंधित समस्त कागजों की जांच करने के साथ ही प्रबंधन को कमियों के कारण जमकर फटकार भी लगाई। दोपहर में पहुंची टीम के सदस्यों ने शुरु हो रहे विवि के नए सत्र और निर्माणाधीन परिसर के बाबत तमाम प्रश्न पूछ कर प्रबंधन को परेशान कर दिया। इस बारे में यूनिवर्सीटी प्रशासन ने कुछ भी बताने से साफ़ मना कर दिया। यूनिवर्सीटी की बिल्डिंग अभी तैयार नहीं और क्लासेज शुरू हो चुकी। इतना ही नहीं मैनेजमेंट ने अप्रैल में ही शपथ पत्र देकर कहा था कि 24000 स्क्वायर मीटर में यूनिवर्सीटी तैयार है और प्रयोगशाला में 5 करोड़ रूपए के एक्वाप्मेंट भी लगाए गए हैं। लेकिन हकीकत में यह सब विश्वविद्यालय परिसर में है ही नहीं। गौरतलब है कि विवि. में करीब 1300 से ज्यादा छात्रों को प्रवेश दिया जा चुका है। जबकि हकीकत यह है कि यहां यूनिवर्सीटी सिर्फ कागजों पर ही बनी है। आलम यह है कि विवि. में एडमिशन लेने वाले छात्रों को गलगोटिया कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में पढ़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है। हालांकि इस बारे में गौतमबुद्ध नगर जिलाधिकारी ने एसडीएम सदर अंजु लता के निर्देशन में एक टीम गठित की है जो कि इस बाबत जांच कर रही है। वहीं गलगोटियाज यूनिवर्सीटी को लेकर लखनऊ का सियासी गलियारा भी काफी उफान पर है। माना जा रहा है कि गलगोटियाज यूनिवर्सीटी के बनने से लेकर अब तक तथ्यों को छुपाकर ही शासन और प्रशासन को गुमराह किया गया। इतना ही नहीं राज्यपाल और शासन की ओर से एक समिति का गठन आगरा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. केएन त्रिपाठी की अध्यक्षता में गठित की गई। इस समिति ने अपनी झूठी रिपोर्ट दव्काल की। जिसमें उन्होंने लिखा कि विवि. प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि फरवरी 2011 तक आवश्यक भवन निर्माण पूरा कर लिया जाएगा। इसी रिपोर्ट के आधार पर शासन से सत्र प्रारंभ करने की अनुमति मांगी। इसमें भी गलगोटियाज यूनिवर्सीटी के चांसलर सुनील गलगोटिया ने झूठा शपथ पत्र दाम्कल किया। वहीं प्रो. केएन त्रिपाठी को उन्हें ईनाम स्वरूप चार लाख रूपए प्रति माह के पगार पर गलगोटियाज विश्वविद्यालय में बतौर वाइस चांसलर रंग लिया गया। काबिलेगौर है कि एक ही दिन में सारी कार्रवाई एवं औपचारिकताएं पूरी की गई। हांलाकि गलगोटियाज यूनिवर्सीटी की कमियों को छुपाने के लिए स्थानीय एवं इलेक्ट्रोनिक मीडिया को manage किया गया। जगत फार्म उत्तथान एक दैनिक समाचार पत्र के ब्यूरो चीफ ने पत्रकारिता की सारी मर्यादाएं तोड़ते हुए सुनील गलगोटिया की शान में कसीदे पढ़ने शुरू कर दिए और जमकर एडमिशन में दलाली करने की चर्चा जोरों पर हैं। इस मामले को लेकर कुछ संगठन जनहित याचिका दायर करने की तैयारी भी कर रहे हैं। जारी …