बलवंत सिंह ,
आई एन वी सी ,
कानपुर ( क्राइम रिपोर्टर )
कानपुर की पुलिस ने एक बार फिर पुलिस एक्ट को किया दागदार मामला कानपुर के छावनी थाने का है जंहा पुलिस ने एक हफ्ते से बैनर पोस्टर लगाने वाले लड़के कमल को एक हफ्ते से बिना लिखा पढ़ी के बिठाये हुए है जब हमारे संवाददाता ने मामले की जाँच की तो पता चला की आज से करीब ७ महीने पहले कमल और उसका रिक्शे वाला बैनर लगाने के लिए जनरलगंज चौराहे पर गए थे जंहा रिक्शे वाला सीढ़ी से पैर फिसल जाने के कारण गिर गया और उसकी मौत हो गयी बेचारे कमल ने रिक्शे वाले को उसके रिक्शे पर लाद कर उसके घर पहुँचाया और साडी बात बताई उस समय पुलिस ने एक्सीडेंट का मामला दर्ज कर पोस्टमार्टम करा लिया था बीते शनिवार को कमल पटकापुर में बैनर लगा रहा था तो कुछ अज्ञात लोग कमल को उठा ले गए जब उसके १२ वर्षीय लड़के ने फीलखाने जाकर बताया तो पता चला कि कमल छावनी थाने में है तब से अब तक पुलिस ने न तो कमल कि कोई लिखा पढ़ी कि और न ही जेल भेजा थाना इंचार्ज छावनी का कहना है कि मामला फीलखान थाना का है | कमल कि बहन ज्ञानी देवी ने बताया कि कि कमल जिनके यंहा बोर्ड बैनर लगाने का काम करता है उन्होने ने ५०००० रुपये कि मांग कि है और न देने पर ३०२ के झूठे मुक़दमे में फंसाने की धमकी भी दी है | अब सवाल ये उठता है कि अगर मामला फीलखाने का है तो पुलिस उसे छावनी में क्यों बिठाये हुए है | अगर कमल के खिलाफ कोई मामला दर्ज है तो उसे अभी तक मजिस्ट्रेट के सामने पेश कर उसकी रिमांड / जेल क्यों नहीं भेजा | क्या फीलखाने में इस बात की सूचना दी गयी की आपके यंहा का एक कैदी हमारे यंहा है | और संजय शर्मा आखिर क्यों इतने पैसे की डिमांड कर रहे है | पुलिस एक्ट के अनुसार गिरफ्तारी के तुरंत बाद व्यक्ति को थाने के प्रभारी अथवा मजिस्ट्रेट के पास लाया जाना चाहिए। किसी भी स्थिति में, गिरफ्तार व्यक्ति को 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाना चाहिए।( इसमें गिरफ्तार व्यक्ति को गिरफ्तारी के स्थान से मजिस्ट्रेट के पास लाए जाने का समय शामिल नहीं है) किसी भी व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना, 24 घंटे से ज्यादा समय तक पुलिस हिरासत में नहीं रखा जा सकता है। ये सब बाते पुलिस की गतिविधियों को संदेह के घेरे में लाकर खड़ा करती है क्या पुलिस अपने अधिकार का गलत उपयोग कर रही है और गरीबों को झूठे मुक़दमे में फसानें का काम कर रही है ये अपने आप में एक सवाल है | सवाल है उस सरकार पर जंहा पुलिस गरीबों को संरक्षण देने की बजाये उनकी बक्ष्क बनी हुयी है |