आई एन वी सी ,
भोपाल,
प्रदेश की वर्तमान सत्तारुड़ भाजपा को आने वाले चुनाव में अपने निर्णय भारी पड़ सकते हैं। यह सब प्रशासनिक फेर बदल के चलते होगा। केंद्रीय चुनाव आयोग ने बदले जा रहे मैदानी अफसरों को वर्तमान पद से रिलीव करने से साफ इंकार कर दिया है।
आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि २४ जुलाई तक उन सभी प्रशासनिक अधिकारियों को रिलीव नहीं किया जा सकता, जो वर्तमान में मतदाता सूची संक्षिप्त पुनरीक्षण के कार्य में लगे हुए हैं। दरअसल, राज्य शासन ने हालही में तहसीलदार से लेकर अनुविभागीय अधिकारी (एसडीएम) के तबादले किए। सूची में ३६ तहसीलदार और ६५ संयुक्त कलेक्टर, डिप्टी कलेक्टर रैंक के अधिकारी शामिल हैं। आयोग फिलहाल प्रदेश के सभी जिलों में इन्हें चुनावी प्रक्रिया के बारे प्रशिक्षण दे रहा है।
-ऐसे बिगड़ेगा गणित
राज्य शासन ने करीब ६ माह पहले अफसरों की डीपीसी की थी। इसी के साथ मुख्य सचिव आर. परशुराम को भी छह माह एक्सटेंशन दे दिया। अब श्री परशुराम सितंबर में सेवानिवृत्त होंगे। यह एन चुनाव का माहौल होगा। दरअसल, संभावित १९ सितंबर से चुनाव आयोग प्रदेश में आचार संहिता लागू कर देगा। तब चुनाव आयोग अपने हिसाब से सीएस की नियुक्ति करेगा। इस बात से प्रदेश की आईएएस लॉबी पूरी तरह नाराज है। इसका कारण श्री परशुराम के स्थान पर तीन और अधिकारी सीएस की दौड़ में शामिल थे, जो प्रतिक्षा कर रहे थे।
-बिगाड़ का बड़ा कारण
राज्य शासन ने हालही में ३६ तहसीलदार और ६५ संयुक्त कलेक्टर, डिप्टी कलेक्टर रैंक के अधिकारियों के तबादले किए हैं। यह वर्तमान में चुनावा आयोग द्वारा दिए जा रहे प्रशिक्षण वर्ग में शामिल हैं। आयोग ने स्पष्ट कह दिया है, जो भी अधिकारी-कर्मचारी मतदाता सूची संक्षिप्त पुनरीक्षण व प्रशिक्षण में शामिल है, उन्हें वर्तमान पद व जिला २४ जुलाई तक न छोडऩे को कहा है। यह सभी २४ जुलाई के बाद यानी अगस्त में नवीन स्थान पर अपनी प्रशासनिक कमान संभालेंगे। नवबंर में चुनाव है, बताया जाता है, ऐसे में इन अफसरों की फील्ड में चुनावी पकड़ कमजोर ही रहेगी। कारण साफ किसी भी नए स्थान और वहां की प्रशासनिक काम के स्तर को समक्षने में अधिकारी को अमूमन दो माह से अधिक का वक्त लग जाता है।
वर्जन
जून-जुलाई में अक्सर प्रशासनिक फेरबदल होता है। प्रशासिनक अधिकारियों को कहीं दिक्कत नहीं आएगी।
एमएन बुच, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी
भाग्य के सहारे
भाजपा अपने भाग्य के सहारे चलने की कोशिश कर रही है। यह उसके लिए निश्चित तौर पर घातक सिद्ध होगा। यूपी में मायवती सरकार ने एक साथ ४० कलेक्टर्स के ताबादले किए थे। नतीजनत मायवती को मूहं की खानी पड़ी। कारण प्रशासनिक समझ रखने वाले अधिकारी उस दौरान स्थिति समझ नहीं पाते।
राजेन्द्र चतुर्वेदी, वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार
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