चंडीगढ़ ,
पंजाब खादी बोर्ड के चेयरमैन हरजीत सिंह गरेवाल की ओर से वर्मन इंटरप्राइजेज के पार्टनरों के खिलाफ मानहानी का दावा किया गया है।
बुधवार चंडीगढ़ में एक पत्रकार वार्ता के दौरान श्री गरेवाल के वकील एमएस जंडियाला ने जानकारी दी। उन्होंने बताया कि श्री गरेवाल की ओर से वर्मन इंटरप्राइजेज के पार्टनरों, डायरेक्टरों अशोक कुमार मग्गू, दीपक मग्गू व विक्की मग्गू के खिलाफ माननीय एसीजीएम श्री केके जिन की अदालत में अलग-अलग धाराओं के अंतर्गत फौजदारी का मुकद्दमा दायर किया गया है। जिसकी सुनवाई 16 जून को होगी। एडवोकेट जंडियाला ने जानकारी दी कि इसी दिन गवाहों के बयान भी दर्ज किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि वर्मन इंटरप्राइजेज की ओर से ग्राम पंचायत टंगोरी को 90 कनाल 12 मरले जमीन लेकर पंजाब विलेज कामन लैैंड एंड रेगूलेशन एक्ट (1964) 6(3) तहत 33 वर्षों के लिए जमीन लेने की लिए दरखास्त दी। जहां इनकी तरफ से 12 वीं शिक्षा देने की बात कही गई। इस दौरान — को ग्राम पंचायत टंगोरी ने प्रस्ताव पास किया जिसमें जमीन अलाटमेंट के लिए जुमला मुशतरका मालिकान तहत जमीन देने की बात लिखी गई और यह प्रस्ताव ग्राम पंचायत की ओर से पंजाब सरकार के ग्रामीण विकास व पंचायत विभाग को भेज दिया गया। इस प्रस्ताव पर ग्रामीण विभाग के वित्त सचिव ने 4.11.2010 को आर्डर पास करते हुए उक्त जमीन वर्मन इंटरप्राइजेज को 25 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से 5 फीसदी वार्षिक वृद्धि के साथ अलाट कर दी गई। यह जमीन अलाट होने के बाद वर्मन कंपनी ने खुद एवीएस कादियां के जरिए केवल पटिशन — को फाइल की गई। इसके बाद वर्मन इंटरप्राइजेज की ओर से इस जमीन का इंतकाल कर लिया गया जिसको वर्मन इंटरप्राइजेज के ही एवीएस कादियां ने सर्टिफाइड किया। इस दौरान गांव के ही कुछ व्यक्तियों की ओर से माननीय हाईकोर्ट में इस जमीन के संबंध में —– के तहत केस कर दिया कि इस जमीन को गलत अलाट किया गया है क्योंकि इस जमीन का कब्जा उनके पास है। जिसपर माननीय हाईकोर्ट ने स्टे कर दिया व 16 फरवरी 2012 को इस संबंधी आर्डर पास हुआ। इसी दौरान माननीय हाईकोर्ट ने — को कहा कि यह फैसला दिया कि जमीन दोबारा सचिव ग्रामीण विकास विभाग को भेज दी जाए। इसके बाद ग्रामीण विकास विभाग के सचिव ने वर्मन कंपनी के मालिकों को बुलाया व 11.12. 2013 को आर्डर पास किए गए कि अंडरप पंजाब विलेज कामन एक्ट 1961 तहत इस जमीन को ग्राम पंचायत किसी को भी अलाट नहीं कर सकती। इस दौरान ग्रामीण विकास विभाग की ओर से यह भी कहा गया कि इस सारे मामले मेें जुमला मुश्तारका का किए का भी जिक्र नहीं किया गया। माननीय हाईकोर्ट में नूरपुर बेदी के एक केस का हवाला भी दिया गया जिससे यह सामने आया कि ग्राम पंचायत को कई हक नहीं कि वह किसी कंपनी या व्यक्ति को 32 वर्ष के लिए जुमला मुश्तरका जमीन अलाट करे।
इस पर फैसला देते हुए माननीय हाईकोर्ट ने यह प्रस्ताव रद्द कर दिया और इस सारे मामले में मेरे मुवक्किल हरजीत सिंह गरेवाल का कहीं भी नाम तक नहीं आया तो फिर वर्मन इंटरप्राइजेज की ओर से उनके खिलाफ किन बुनियाद पर प्रेस में जाकर उनका अक्स खराब करने की कोशिश की गई। उन्होंने कहा कि मेरे मुवक्किल के राजनीतिक करियर को खराब रने के लिए यह एक साजिश की गई है जिस कारण वर्मन इंटरप्राइजेज के खिलाफ मानहानी का दावा दायर किया गया है और यह माननीय हाईकोर्ट पर छोड़ा है कि वह मेरे मुवक्किल की रेपुटेशन के आधार पर मानहानी दिलवाए।
पंजाब खादी बोर्ड के चेयरमैन हरजीत सिंह गरेवाल की ओर से वर्मन इंटरप्राइजेज के पार्टनरों के खिलाफ मानहानी का दावा किया गया है।
बुधवार चंडीगढ़ में एक पत्रकार वार्ता के दौरान श्री गरेवाल के वकील एमएस जंडियाला ने जानकारी दी। उन्होंने बताया कि श्री गरेवाल की ओर से वर्मन इंटरप्राइजेज के पार्टनरों, डायरेक्टरों अशोक कुमार मग्गू, दीपक मग्गू व विक्की मग्गू के खिलाफ माननीय एसीजीएम श्री केके जिन की अदालत में अलग-अलग धाराओं के अंतर्गत फौजदारी का मुकद्दमा दायर किया गया है। जिसकी सुनवाई 16 जून को होगी। एडवोकेट जंडियाला ने जानकारी दी कि इसी दिन गवाहों के बयान भी दर्ज किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि वर्मन इंटरप्राइजेज की ओर से ग्राम पंचायत टंगोरी को 90 कनाल 12 मरले जमीन लेकर पंजाब विलेज कामन लैैंड एंड रेगूलेशन एक्ट (1964) 6(3) तहत 33 वर्षों के लिए जमीन लेने की लिए दरखास्त दी। जहां इनकी तरफ से 12 वीं शिक्षा देने की बात कही गई। इस दौरान — को ग्राम पंचायत टंगोरी ने प्रस्ताव पास किया जिसमें जमीन अलाटमेंट के लिए जुमला मुशतरका मालिकान तहत जमीन देने की बात लिखी गई और यह प्रस्ताव ग्राम पंचायत की ओर से पंजाब सरकार के ग्रामीण विकास व पंचायत विभाग को भेज दिया गया। इस प्रस्ताव पर ग्रामीण विभाग के वित्त सचिव ने 4.11.2010 को आर्डर पास करते हुए उक्त जमीन वर्मन इंटरप्राइजेज को 25 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से 5 फीसदी वार्षिक वृद्धि के साथ अलाट कर दी गई। यह जमीन अलाट होने के बाद वर्मन कंपनी ने खुद एवीएस कादियां के जरिए केवल पटिशन — को फाइल की गई। इसके बाद वर्मन इंटरप्राइजेज की ओर से इस जमीन का इंतकाल कर लिया गया जिसको वर्मन इंटरप्राइजेज के ही एवीएस कादियां ने सर्टिफाइड किया। इस दौरान गांव के ही कुछ व्यक्तियों की ओर से माननीय हाईकोर्ट में इस जमीन के संबंध में —– के तहत केस कर दिया कि इस जमीन को गलत अलाट किया गया है क्योंकि इस जमीन का कब्जा उनके पास है। जिसपर माननीय हाईकोर्ट ने स्टे कर दिया व 16 फरवरी 2012 को इस संबंधी आर्डर पास हुआ। इसी दौरान माननीय हाईकोर्ट ने — को कहा कि यह फैसला दिया कि जमीन दोबारा सचिव ग्रामीण विकास विभाग को भेज दी जाए। इसके बाद ग्रामीण विकास विभाग के सचिव ने वर्मन कंपनी के मालिकों को बुलाया व 11.12. 2013 को आर्डर पास किए गए कि अंडरप पंजाब विलेज कामन एक्ट 1961 तहत इस जमीन को ग्राम पंचायत किसी को भी अलाट नहीं कर सकती। इस दौरान ग्रामीण विकास विभाग की ओर से यह भी कहा गया कि इस सारे मामले मेें जुमला मुश्तारका का किए का भी जिक्र नहीं किया गया। माननीय हाईकोर्ट में नूरपुर बेदी के एक केस का हवाला भी दिया गया जिससे यह सामने आया कि ग्राम पंचायत को कई हक नहीं कि वह किसी कंपनी या व्यक्ति को 32 वर्ष के लिए जुमला मुश्तरका जमीन अलाट करे।
इस पर फैसला देते हुए माननीय हाईकोर्ट ने यह प्रस्ताव रद्द कर दिया और इस सारे मामले में मेरे मुवक्किल हरजीत सिंह गरेवाल का कहीं भी नाम तक नहीं आया तो फिर वर्मन इंटरप्राइजेज की ओर से उनके खिलाफ किन बुनियाद पर प्रेस में जाकर उनका अक्स खराब करने की कोशिश की गई। उन्होंने कहा कि मेरे मुवक्किल के राजनीतिक करियर को खराब रने के लिए यह एक साजिश की गई है जिस कारण वर्मन इंटरप्राइजेज के खिलाफ मानहानी का दावा दायर किया गया है और यह माननीय हाईकोर्ट पर छोड़ा है कि वह मेरे मुवक्किल की रेपुटेशन के आधार पर मानहानी दिलवाए।