कड़वी दवा का राग : क्यों और किसके लियें ?

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01072014_BitterMedicine{ सोनिका क्रांतिवीर } मैं लिखना तो नहीं चाहती पर मजबूर हो गई हूँ “कड़वी दवा” से, मोदी जी के अंधभक्त “कड़वी दवा” का राग अलाप रहे हैं| बिलकुल सही बात है, मरीज को ठीक करने के लिये कड़वी दवा पिलानी ही पड़ती है, उसमें कोई दो-राय नहीं, अगर ईलाज करवाते समय एक डॉक्टर की दवा से असर न पड़े तो हमें दूसरे डॉक्टर के पास जाना ही पड़ता है| यहाँ भी यही हुआ पहले डॉक्टर U.P.A. सरकार, वह हमें कड़वी दवा दे रही थी और उसकी दवा से हमारा ईलाज नहीं हो पा रहा था| दूसरे डॉक्टर पहले डॉक्टर पर आरोप लगा रहे थे कि वे ईलाज सही ढंग से कर नहीं रहा है| दवा के लिये दी गई पूँजी का उपयोग खुद का बैंक बैलेंस बढाने के लिये या स्विस बैंक में जमा करने के लिये कर रहे हैं, जो बिलकुल सही था और प्रमाणों के साथ अन्य डॉक्टरों ने हमें बताया हमने सोचा कि चलो इस डॉक्टर को छोड़ो, दूसरे डॉक्टर को पकड़ते हैं| अब
दूसरा डॉक्टर आया उसने भी कड़वी दवा दी लेकिन वह इस कड़वी दवा की कीमत ज्यादा माँग रहा है| हमारी समझ में यह नहीं आया, कि पहला डॉक्टर उसी पूँजी का उपयोग करके  कड़वी दवा तो हमें दे रहा था साथ ही स्विस बैंक में पैसा भी जमा कर रहा था(जैसा कि अन्य डॉक्टरों द्वारा कहा जा रहा था)| मगर अब ऐसा क्या हो गया कि उसी दवा की कीमत इतनी बढ गई कि पहले डॉक्टर को दी जा रही पूँजी से अधिक पूँजी की जरूरत पड़ रही है| इसका क्या मतलब समझा जाये? यह शायद अंधभक्तों की समझ में आता होगा|

चलिये मैं एक छोटे से उदाहरण द्वारा बताती हूँ, तो शायद समझ में आये| मान लीजिये एक ईवेन्ट रखा गया उसे करने के लिये ठेकेदारों को बुलवाया गया, चुननेवालों ने मिलकर उपस्थित 3-4 ठेकेदारों में से किसी एक को चुन लिया,ईवेन्ट पूरा करने के लिये| अब उस ठेकेदार की जिम्मेदारी थी कि सबसे रुपये लेकर ईवेन्ट पूरा करना| उसने कार्य शुरू कर दिया, कुछ ही काम किये तभी अन्य ठेकेदारों द्वारा चुने गये ठेकेदार पर आरोप लगाया जाने लगा कि चुना हुआ ठेकेदार पैसा चोरी करके स्विस बैंक में जमा कर रहा है| चुने गये ठेकेदार ने पैसा स्विस बैंक खाते में जमा करते हुये ईवेन्ट का काम पूरा किया मगर अन्य ठेकेदारों द्वारा चुने हुये ठेकेदार पर आरोप लगाने की वजह से अब की अगला ईवेन्ट करने के लिये दूसरे ठेकेदार को चुना मगर ईवेन्ट शुरू करने से पहले ही यह दूसरा ठेकेदार कहने लगा कि “मैं उतने पैसों में काम नहीं करूँगा जितने पैसों में पुराने ठेकेदार ने काम किया बल्कि मुझे ज्यादा पूँजी चाहिये”| जिन लोगों ने दूसरे ठेकेदार को चुना था, उन्होंने अपना सिर पीट लिया और कहने लगे “यह हमने क्या किया? अब इस ठेकेदार को तो हम बदल भी नहीं सकते”| पहले ठेकेदार ने चोरी के साथ-साथ ईवेन्ट तो पूरा किया था, इस दूसरे ठेकेदार ने ईवेन्ट शुरू होने से पहले ही ज्यादा पैसों की मांग कर ली| पहला ठेकेदार 65 वर्षों से ईवेन्ट कर रहा था और पैसा लूट-लूट कर, स्विस बैंक में जमा करते हुये कम से कम ईवेन्ट तो पूरे कर रहा था| क्या यह दूसरा ठेकेदार, पहले ठेकेदार द्वारा लूटे गये 65 वर्ष की पूँजी को इन 5 वर्षों में ही वसूल कर लेना चाहता है? कुछ समझ में नहीं आया, शायद अंधभक्त ही बेहतर तरीके से समझ सकते हैं|

चलिये एक कहानी जो हम सब ने बचपन में सुनी है, उसे सुनिये| एक बुजुर्ग और उसके तीन जवान बेटे थे, चारों मजदूरी करते थे, मजदूरी में उन्हें 500 ग्राम चना और गुड़ मिलता था| वो चना और गुड़ खाकर सो जाते थे, घर अस्त-व्यस्त रहता था, फटे-हाल कपड़ों में रहते थे, किसी की शादी नहीं हो रही थी| आखिर किसी तरह बड़े बेटे की शादी हुई, बहु काफी समझदार थी उसने पूरा घर संभाला साफ-सफाई करके चूल्हा तैयार किया और रसोई का सामान लिया, उसने चारों को मिलने वाले चने में से आधा चना दुकान पर जाकर बेच दिया और उसके बदले में नमक-मसाला ले आई, बाकी चने को पीस कर रोटी बना ली| जब सभी थके-मांदे घर आये तो उन्हें गर्मागर्म रोटी सब्जी के साथ खिलाई| दूसरे
दिन काम पर जाते समय भी सबको नाश्ता दिया और खाना भी बांध कर दिया| कुछ ही दिनों में उसने मिलनेवाले आधे चने को बेच-बेच कर घर का सामान लाना शुरू कर दिया और जिस घर में कुछ भी गृहस्थी का सामान नहीं था वहाँ हर सुख-सुविधा होती चली गई| बुजुर्ग को मजदूरी करने जाने से रूकवा दिया और उसे एक छोटी सी दुकान खुलवा दी| दुकान अच्छी चलने लगी, दोनों देवरों की शादी भी करवा दी, पूरे गांव में इन मजदुरों को जिन्हें कोई पूछने वाला नहीं था| एक अच्छी गृहिणी की वजह से हर जगह आवभगत होने लगी और झोपड़ी की
जगह हवेली ने ले ली|

अब अंधभक्तों से केवल यह समझना है, कि एक अच्छी गृहिणी उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करके किस प्रकार झोपड़े को महल बना सकती है| हमारा इन अंधभक्तों से यही कहना है कि मोदी जी को समझायें, कि एक अच्छी गृहिणी किस प्रकार उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करके झोपडे को महल बना सकती है| बस, इससे आगे मुझे कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है| अभी रक्षा विभाग में F.D.I. को जो आमंत्रण दिया जा रहा है उसपर बोलना है अगले लेख में !

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HealthUnlocked—- सोनिका क्रांतिवीर
sonikashiv@yahoo.com

भ्रष्टाचार विरूद्ध भारत जागृति अभियान से जुडी हुईं हैं !
सोनिका क्रांतिवीर का खुद के बारे में कहना हैं : मैं एक आम इन्सान हूँ इस देश में भ्रष्टाचार या कुछ यूँ कहा जाये, कि इन भ्रष्टाचारी नेताओं ने पूरे देश में भ्रष्टतंत्र का जाल तैयार कर दिया है, जिसमें ऊपर से लेकर नीचे तक कोई न कोई किसी न किसी रूप में बिक रहा है या बिकने को तैयार हैं| मगर आम इन्सान इस भ्रष्ट तंत्र द्वारा कुछ इस तरीके से बंध गया है कि वह इस चाहकर भी इसका विरोध करने का साहस नहीं कर पाता क्योंकि उसके पास इतना वक्त ही नहीं बच पाता है और गरीब परिवार तो खुद भूखे मरने की स्थिती में रहते हैं, तो वह क्या विरोध कर पायेंगे|

हमारा संगठन इन आम इन्सानों की लड़ाई के लिये जिम्मेदार अधिकारियों को अपने काम के प्रति ईमानदारी बनाये रखने के लिये कलम, विश्लेषण व कानून का सहारा लेकर मजबूर करने के लिये तत्पर है|

———*Disclaimer : The views expressed by the author in this feature are entirely her own and do not necessarily reflect the views of INVC.

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