मुम्बई,,
सन १९९४ में दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले धारावाहिक ‘शान्ति’ से अपने अभिनय की शुरुआत करने वाले अभिनेता अमित बहल दर्शकों में एक लोकप्रिय नाम है. अब तक १२५ से भी अधिक धारावाहिकों में काम कर चुके अमित के इन दिनों एक साथ ३ धारावाहिको का प्रसारण हो रहा है जिनमे से एक चैनल वी पर ‘हमसे हैं लाइफ’, दूसरा कलर्स पर ‘वीर शिवाजी’ और तीसरा सोनी पर ‘देखा एक खवाब’ और जल्दी ही उनके चौथे धारावाहिक ‘उपनिषद गंगा’ का प्रसारण होने वाला है दूरदर्शन पर, जिसमें उन्होंने १३ चरित्र अभिनीत किये हैं . चिन्मय मिशन द्वारा निर्मित व डॉ चन्द्र प्रकाश द्वारा निर्देशित इसी धारावाहिक के सिलसिले में उनसे बातचीत हुई पेश हैं कुछ मुख्य अंश —-
- ‘उपनिषद गंगा’ में आपने कौन सा किरदार अभिनीत किया है?
मैं एक नही, दो नही बल्कि तेरह किरदारों को ‘उपनिषद गंगा’ में अभिनीत किया है मैंने भास्कराचार्य, विद्यारण्य, आचार्य सूर्य भद्र, आर्य भट्ट आदि अनेकों किरदारों को अभिनीत किया है. एक ही बार की शूटिंग में मैंने १३ किरदारों को निभाया है. जो की मेरे लिए बहुत ही शानदार अनुभव रहा.
- कैसे अवसर मिला आपको ‘उपनिषद गंगा’ से जुड़ने का ?
वैसे तो मैं और डॉ साहब तो बहुत पहले से एक दूसरे को जानते थे पर साथ में काम नही कर सके थे. ऐसे ही एक बार हम दिनेश ठाकुर के जन्मदिन की पार्टी में मिले. मेरे मुंडे हुए सिर को देख कर कि यह क्या हुआ उन्होंने मुझसे पूछा ? उस समय मैं एक ब्रिटिश सीरीज ‘शार्प’ में काम कर रहा था. डॉ साहब ने कहा मेरे साथ काम करोगे मैंने कहा हाँ क्यों नही? जब उनसे मिलने गया तो उन्होंने मुझे १३ एपिसोड की स्क्रिप्ट पकड़ा दी.
- तो आपका सिर मुंडाना आपके लिए फायदेमंद रहा ?
मेरे लिए तो फायदेमंद रहा ही और साथ में डॉ साहब के लिए भी रहा.
- आपका पसंदीदा चरित्र कौन सा है?
मेरा प्रिय चरित्र है विद्यारण्य, यह एक गणितग्य था, बहुत ही मज़ा आया है इसको अभिनीत करने में. इसके आलावा भास्कराचार्य के चरित्र को भी अभिनीत करना मेरे लिए अच्छा रहा. रोल ही अलग नही बल्कि गेटअप और सेटअप भी अलग था इसलिए बहुत ही मज़ा आया मुझे.
- क्या युवाओं को पसंद आएगा यह धारावाहिक ?
आना तो चाहिए अगर अच्छे से दर्शकों को हम ‘उपनिषद गंगा’ के बारे में बतायेगें. पूरे देश में दूरदर्शन की पहुंच है. आज के युवाओं को भी हमारे ऐतिहासिक धारावाहिक बहुत पसंद आते हैं. आज की तारीख में हम देखे तो वीर शिवाजी व चंद्रगुप्त की टी आर पी काफी अच्छी जा रही है और फिर ‘उपनिषद गंगा’ के साथ तो कितने ही बड़े नाम जुड़े हैं उन सबमें सबसे बड़ा नाम तो खुद डॉ साहब का है इसके बाद अभिमन्यु सिंह, के के रैना, मुकेश तिवारी, जया भट्टाचार्या. इला अरुण आदि अनेकों ही कलाकार इससे जुड़े हैं. पिछले १० – १२ सालों में किसी भी चैनल में इतने अच्छा काम नही हुआ है. जितना ‘उपनिषद गंगा’ के लिए डॉ साहब ने किया है जब दर्शक इसे देखेगें तो सच में यह महसूस करेगें.
- अरुणा जी के साथ कैसा रहा काम करना ?
बहुत ही अच्छा मैंने उनके साथ बहुत पहले भी काम कर चुका हूँ वो कैसी मंजी हुई अभिनेत्री हैं आप सभी जानते हैं. मैं खुशनसीब हूँ कि मुझे अरुणा जी, आशा पारेख जी और शम्मी जी जैसे अच्छे लोगों के साथ काम करने के अवसर मिला.
- अब तक आपने अनेकों चरित्र अभिनीत किये हैं सबसे ज्यादा आपको किस चरित्र को अभिनीत करने में मज़ा आया? और वो चरित्र आपके दिल के करीब भी रहा हो ?
एक सीरियल आया था ‘खिलाडी’ इसमें मैं फुटबॉल का खिलाडी बना था इसे करने में मुझे बहुत ही मज़ा आया. इसके लिए मैंने एक महीने तक ट्रेनिग ली. इसके आलावा मैंने ‘गीता रहस्य’ में बलराम का चरित्र अभिनीत किया था. सोनी पर आता था डायरेक्टर स्पेशल आता था ‘शोहरत नफरत और शो बिज’ इसे करने में मुझे बहुत मज़ा आया. कोरा कागज और शांति तो हैं ही.
- आपने टी वी, फिल्म और थियेटर सभी में भी काम किया है तो आपको सबसे ज्यादा कहाँ मज़ा आया ?
टी वी से मुझे नाम और काम सब मिला लेकिन सबसे ज्यादा आत्म संतुष्टि मुझे जो मिली वो थियेटर में.
- ‘उपनिषद गंगा’ में शूट करते समय कोई यादगार पल ?
दिसंबर का महीना था वाई में शूट कर रहे थे ४-५ डिग्री सेल्सियस तापमान था बहुत ठंड थी पानी के अंदर शूटिंग थी सुबह सवेरे. शूटिंग के समय मुझे संवाद बोलने थे और मैं महसूस कर रह था कि मेरे पैरों में कई सांप थे कोई मेरी धोती पर चल रहा, कोई मेरी पीठ पर. यह मेरा यादगार पल था.