“ हर घंटे में 2 बलात्कार “ यह कथन अचंभित करने वाला तो है साथ ही सत्य भी है ! अगर राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ो पर नज़र डाले तो सारे तथ्य और भी गंभीर खुलासा करने वाले मिलेंगे ! राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकडे बताते हैं की पूरे देश में हर रोज़ लगभग 50 या उससे ज़्यादा बलात्कार के केस पुलिस स्टेशन में पंजीकृत होते हैं ! यह किसी भी देश को शर्मसार करने वाला आकंडा है ! यह आंकडा इस ओर इशारा करता है कि उस देश में महिलाओं की इज़्ज़त कितनी महफूज़ है ! राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकडे तो सिर्फ उन्ही बलात्कारो के बारे बताते हैं जो पंजीकृत हुए हैं !
महिलाओं के शोषण और बलात्कार की फेहरिस्त बहुत ही लम्बी है ! हर घंटे में दो बलात्कार सिर्फ वह आकडे हैं जो पंजीकृत होते है पर अगर हम दूरदराज़ या फिर भारत के ग्रामीण परिवेश में नज़र डाले तो महिलाओं के हालात बहुत ही बदतर हैं ! यहाँ खाप ,पंचायतो , दबंगों और लचर पुलिसिया रवैय्ये का बोल बाला है ! खाप ,पंचायतो , दबंगों और लचर पुलिसिया रवैय्ये के कारण यहाँ महिलाओं का न सिर्फ बलात्कार ही होता है बल्कि उनको हर तरह का मानसिक शोषण भी बर्दाश्त करना पड़ता है ! यहाँ महिलाओं के पास अपना आत्मसम्मान बचाने का कोई सजग मार्ग उपलब्ध नहीं है ! यहाँ न मीडिया हैं , न ही दिल्ली और दूसरी मेट्रो सिटी की तरह महिलाओं के हक़ में सड़कों पर उतरने वाला सामाजिक हुजूम ! न कोई चैनलिया डिबेट ओर न ही कोई ऐसा बुद्धिजीवी और सामाजिक कार्यकर्ता जो इनकी दर्द से करहाती ,मजबूर ,लाचार चींखो को देश और राज्य के साथ साथ न्यायपालिका को भी इनके हक़ में कोई फैसला करने पर मजबूर कर दे !
महिलाओं के खिलाफ खाप ,पंचायतो , दबंगों और लचर पुलिसिया रवैय्ये का हर रोज़ कोई न कोई किस्सा सामने आ ही जाता है ! इन तथाकथित पंचायतों के फैसले इतने महिला विरोधी होते हैं कि इनको अगर लिखा जाए तो कुल दुनिया का सारा साइबर स्पेस कम पड़ जाएगा ! महिलाओं के खिलाफ लिये गए अगर इनके फैसलों की फेहरिस्त तय्यार की जाए तो कई सालों का वक़्त लगेगा ! पर पता नहीं “ क्यूँ ” अभी तक देश के साथ साथ सभी राज्य सरकारें और न्यायपालिका अभी तक इन तथाकथित पंचायतो के कर्मो पर “ मौन ” व्रत धारण किये हुयें हैं ?
जब भी चनाव आते हैं हर पार्टी अपने अपने घोषणा पत्र में महिला सुरक्षा और महिलाओं के लिये बहुत बड़े बड़े ,लम्बे चौड़े वादे तो करतीं ही हैं साथ ही अपनी चुनावी रैलियों में महिलाओं के हक़ में जम कर भाषणबाजी भी होती है पर चुनाव के साथ साथ सब घोषणा पत्र और चुनावी वादे माहिलाओं की हालत की तरह फिर वही पुराने रूटीन ढर्रे पर लौट आते हैं ! फिर कोई खाप पंचायत या धार्मिक संगठन महिलाओं के खिलाफ कोई फरमान जारी कर रहे होते हैं और सरकार के साथ साथ न्यायपालिका भी अपने अपने काम में महिलाओं के मुद्दों से परे अपने अपने काम कर रहे होते हैं !
सत्ता में कोई भी पार्टी हो सबकी महिलाओं के लिये मानसिक स्तिथि एक जैसी ही होती हैं ! सभी पार्टी महिलाओं का वोट पाकर सत्ता पर काबिज़ तो होना चाहती हैं पर खाप पंचायतों ,महिलाओं के खिलाफ घार्मिक संगठनों पर कोई भी कार्यवाही करने से एक दम कतराती रहती हैं ! महिलाओं पर विपक्ष एक दम सक्रिय भूमिका निभाते हुये धरना प्रदर्शन के अलावा संसद की कार्यवाही को भी रोक कर महिलाओं के सम्मान में बड़ी बड़ी बाते तो करेगा पर वहीँ सत्ता पक्ष का कोई सेनापति किसी खाप और धार्मिक संगठन के साथ बैठ कर वोट बैंक की रणनीति को साध रहा होगा ! महिला आयोग में भी हालात कोई बहुत अच्छे नहीं हैं ! देश के तक़रीबन सभी आयोगों की तरह महिला आयोग की अध्यक्षा के साथ साथ और कई सदस्यों की नियुक्ति भी राजनीतिक नियुक्ति है ! महिला आयोग में यह राजनीतिक नियुक्तियाँ महिलाओं की चिंता से ज़्यादा , ये नियुक्त सदस्या अपनी अपनी कुर्सी की चिंता में ज़्यादा रहती हैं !
महिला आयोग की सभी नियुक्त सदस्या अपनी पार्टी की राजनीतिक विचारधारा के खिलाफ कभी कुछ नहीं बोलती हैं ! न ही नियुक्त सदस्या अपनी पार्टी या अपने पोलिटिकल आका के खिलाफ कुछ कर पाती हैं ! महिला आयोग भी विपक्ष और सत्ता पक्ष की अपनी अपनी पार्टी के लिये काम करने मशगूल रहती हैं ! क्योकि जिस दिन महिला आयोग किसी भी नियुक्ता सदस्या ने अपनी पार्टी की विचारधारा के खिलाफ कोई भी काम किया उसी दिन इनको न सिर्फ महिला आयोग से ही बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा बल्कि आगे का राजनीतिक जीवन खतरे की घंटी से बांध जाएगा ! महिलाओं के हक़ के लिये अब कोई भी राजनीतिज्ञ अपना पोलिटिकल करियर दांव पर तो लगाने से रहा ?
‘’निर्भय काण्ड’’ के बाद देश में कई क़ानून बने पर उनका समाज के साथ साथ बलात्कारी व्यवस्था पर क्या फर्क पड़ा ! क्या बलात्कार होने बंद हुये या फिर पंजीकृत बलात्कार के केसों में कोई कमी आई “ नहीं ” ! फिर देश में कोई ऐसा क़ानून क्यों नहीं बनता की इस क़ानून के बाद किसी की बलात्कार तो क्या किसी महिला की तरफ आँख उठाने की हिम्मत नहीं हो ! आज देश में सरकार बहुत सारे सिस्टम दूसरे देशो से अपडेट कर रहीं हैं तो क्यूँ हम महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के लिये किसी और मुल्क का क़ानून सिर्फ बलात्कारियों को सज़ा देने के लिये अपना ले ! क्यूँ कोई सरकार इतना हौसला दिखाती हैं कि महिला आयोग को राजनितिक नियुक्तिओं से आज़ाद कर दे ! ताकि महिला आयोग को किसी भी अपने पोलिटिकल आका के साथ साथ पार्टी की विचार धारा का ख्याल से ज़्यादा महिलाओं के हक़ का ज़्यादा ध्यान हो ?
मुस्लिम समाज में महिलाओं की क्या स्तिथी है यह बात जग ज़ाहिर हैं पर अगर हम बांग्लादेश और पाकिस्तान के अलावा कुछ और देशों के अपवाद को दूर कर दे तो सयुंक्त अरब अमीरात और दूसरे खाड़ी देशो में बलात्कार के लिये इतने सख्त क़ानून और सज़ा हैं की यहाँ बलात्कार का आंकडा बाकी कुल दुनिया से सबसे नीचे हैं ! हमारे देश में अब क्या न्यायपालिका के साथ सभी राजनीतिक पार्टियाँ उस दिन का इंतज़ार कर रहे हैं जिस दिन इस देश में महिलायें और बद से बदतर हालात में आ जायेंगी ?
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सोनाली बोस
उप – सम्पादक
इंटरनेशनल न्यूज़ एंड वियुज़ डॉट कॉम
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अंतराष्ट्रीय समाचार एवम विचार निगमSonali Bose
Sub – Editorinternational News and Views.Com
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International News and Views Corporationसंपर्क –: sonali@invc.info & sonalibose09@gmail.com
क्या कभी महिला आयोग राजनितिक नियुक्ति से मुक्त हो पायेगा ? आपका लेख पढ़ने बाद तो अब यहीं सवाल मन में उठा हैं ! साभार सोनाली जी !
आपके लेख ,आपकी कलम ,आपकी सोच और आपकी बेबाकी को सलाम ! शानदार तरीके से आपने सारे मुददे जो उठाएं हैं उनसे मैं सहमत हूँ !
सोनाली जी आप सिस्टम , न्यायपालिका और राजीनीतिक आलोचना का सबसे कामयाब चेहरा है ! लेख में जो लिखा उससे हमें सहमत होना ही पडा !
लेख सरकारी सिस्टम के साथ न्यायपालिका के संज्ञानों और महिला आयोग की नियुक्ति पर जो सवाल उठाता हैं वह सटीक और सही हैं ! राजनितिक नियुक्तिओं ने देश के सामाजिक सिस्टम को बिगाड़ कर रख दिया हैं !
आपके सभी लेख पढ़े हैं मैंने आपके सभी लेखो को पढ़के लगा की आप फ़िज़ूल में नहीं लिखती हैं हर बार कोई न कोई मुददा उठाती हैं ! साभार और आपकी कलम को नमन
शानदार लेख ,आपनी कलम के बारे क्या लिखूं …बस आप इसी तरहा लिखती रहियें …आज नहीं तो कल समाज जग ही जाएगा !
सोनाली जी आप जैसे पत्रकारों और आलोचकों की देश को बहुत ज़रुरत हैं ! आपने जो निसाना साधा हैं वह आज नहीं तो कल आपना काम ज़रूर करेगा ! साभार
महिला आयोग की हालत इतनी खस्ता क्यूँ हैं अब समझ में आया ! सभी राजनितिक दलों को चाहियें की महिलाओं के भले के लियें सभी आयोगों में राजनितिक नियुक्तियां बंद कर देनी चाहियें ,महिला आयोग में तो तुरंत ! साभार आपके लेख के लियें !
AAPKA PRASHNA GAMBHEER CHINTAN KARNE YOGYA NAA KEE FACEBOOK ME EK LIKE KAA ADHIKAAREE……SAAMAJIK SAMVEDNA AUR ANERDWAND PER AAPKAA ALEKH VAASTA ME ANOKHA HOTA HAI..KEEP IT UP.
सोनाली जी ,आपकी कलम को सलाम ! आप सच में वहाँ से लिखना शुरू करती जहां से हर बुद्धिजीवी की कलम आकर टूट जाती हैं ! साभार