*पं . हरी ओम शर्मा हरी
सिटी मोन्टेसरी school (सी.एम.एस.), लखनऊ के नाम से आज कौन परिचित नहीं है। यूनेस्को द्वारा `’ाांति ि’ाक्षा पुरस्कार से सम्मानित´ एवं गिनीज book ऑफ वल्र्ड रिकार्ड होल्डर, लगभग 42000 छात्र संख्या वाला यह विद्यालय आज दे’ा ही नहीं अपितु वि’व में ि’ाक्षा के क्षेत्र में तो जाना ही जाता है, परंतु इसी के साथ-साथ उन आद’ाोzं, सिद्धांतों व विचारों के लिए भी जाना जाता है जिस पर मानवजाति गर्व कर सकती है। सी.एम.एस. के ध्येय वाक्य `जय जगत´ एवं `वसुधैव कुटुंबकम´ की भावना विद्यालय की प्रत्येक गतिविधि में सर्वत्र देखी जा सकती है, और इसका श्रेय जाता है डॉ॰ जगदी’ा गांधी को, जिनका स्वयं का व्यक्तित्व ही जीवन के उन प्रेरक गुणों का अनुपम समुच्चय है जो किसी को भी राह दिखाने में सक्षम है। कहने की आव’यकता नही कि आपके मार्गदर्शन में सी.एम.एस. अपने छात्रों को न सिर्फ किताबी ज्ञान से ओतप्रोत कर रहा है अपितु यह `व्यक्तित्व गढ़ने´ की अनूठी प्रयोग’ााला भी है जहां छात्रों का भौतिक, सामाजिक, नैतिक, चारित्रिक, आध्याित्मक व सर्वांगीण विकास कर समाज की दि’ाा व द’ाा बदलने का प्रयास किया जा रहा है। दरअसल एक वाक्य में कहा जाए तो रा”ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन मूल्य, आचार्य विनोबा भावे का चिंतन एवं भगवद्गीता का `कर्मयोग´, इन तीनों का समिन्वत स्वरूप `आधुनिक युग के गांधी – डॉ॰ जगदी’ा गांधी´ के व्यक्तित्व में बखूबी दिखाई देता है। सिटी मोन्टेसरी school के संस्थापक व वि’वविख्यात ि’ाक्षाविद् डॉ॰ जगदी’ा गांधी का जीवन दर्शन एक ऐसा प्रेरकतत्व है जिसे जानकर, समझकर एवं आत्मसात कर भावी पीढ़ी-युवा पीढ़ी मानवता के ि’ाखर पर आरुढ़ हो सकती है। “संकल्प-संघ”ाz-सृजन’ाीलता´´ की धुरी से गुजरता डॉ॰ जगदी’ा गांधी का जीवन एक ऐसा दृ”टांत है जो कठिन से कठिनतर परिस्थितियों में भी `मानव मात्र के कल्याण पथ´ से कभी डिगा नहीं और ‘ाायद यही कारण है कि जन-मानस द्वारा कई तरह के वि’ो”ाण आपके नाम के साथ जुड़ते चले गए यथा `ि’ाक्षा के गांधी´, `आधुनिक युग के गांधी´, `मानवता के पुजारी´, `वि’व एकता का अग्रदूत´ आदि-आदि। बात चाहे सृजन’ाीलता की हो अथवा संकल्प, रचनात्मक विचार, दृढ़ इच्छा’ाक्ति, अहंकार ‘ाून्यता, दयालुता आदि की, एक ही व्यक्तित्व में अनेक प्रेरकतत्व अनायास ही देखने को मिल जाते हैं। परंतु उनकी सबसे बड़ी वि’ो”ाता, जो मुझे अत्यंत प्रभावित करती है, वह है – मानव मात्र की कल्याण भावना से ओतप्रोत वि’वव्यापी सोच और संभवत: यही विचार उन्हें `आधुनिक युग का गांधी´ बनाते हैं। डॉ॰ गांधी के विचार समाज व दे’ा की सीमाओं से परे संपूर्ण वि’व के कल्याण की कामना करते हैं और उनकी यह सोच मात्र विचारों तक ही सीमित नहीं है अपितु यथार्थ में, धरातल पर नज़र आती है और सच तो यह है कि चिंतन व कर्म का ऐसा समन्वय बहुत कम ही देखने को मिलता है। जरा सोचिए, वि’व में कौन सा ऐसा विद्यालय है जो वि’व के दो अरब से अधिक बच्चों के सुंदर व सुरक्षित भवि”य हेतु वि’व के न्यायविदों को प्रतिव”ाz आमिंत्रत करता है और इस ऐतिहासिक व अनूठी पहल के माध्यम से संपूर्ण वि’व बिरादरी में भावी पीढ़ी के सुखमय भवि”य का अलख जगा रहा है। यह डॉ॰ गांधी के ही अथक प्रयास का प्रतिफल है कि आपके मार्गदर्शन में सी.एम.एस. द्वारा `वि’व के मुख्य न्यायाधी’ाों का अंतर्रा”ट्रीय सम्मेलन´ 12 व”ाोz से लगातार लखनऊ में आयोजित किया जा रहा है जिसमें अभी तक दुनिया भर से 103 दे’ाों के 484 मुख्य न्यायाधी’ा तथा न्यायाधी’ागण उपस्थिति होकर संसार के 2 अरब से अधिक बच्चों के भवि”य को सुरक्षित व सुखमय बनाने के लिए अपना संकल्प दर्ज करा चुके हैं। दरअसल यह तो एक बानगी भर है डॉ॰ गांधी के बच्चों के सुखमय सुरक्षित भवि”य को समर्पित व्यक्तित्व की, अपितु इसकी ‘ाुरुआत तो उनके बचपन के दिनों में ही हो गई थी और जब सी.एम.एस. की स्थापना हुई तो आपने इसका ध्येय वाक्य `जय जगत´ चुना, जिसका तात्पर्य यही है कि सारे वि’व की जय हो अर्थात् कल्याण हो। वि’व एकता, वि’व ‘ाांति व वि’व के बच्चों का सुंदर भवि”य, यह विचार डॉ॰ गांधी के रग-रग में समाए हैं और यही विचार सी.एम.एस. के सभी 20 campस व 3000 ि’ाक्षक/कार्यकर्ता व लगभग 42000 छात्रों में सहज ही देखे जा सकते हैं। वास्तव में डॉ॰ गांधी के मार्गदर्शन में विद्यालय के प्रत्येक समारोह का ‘ाुभारंभ `सर्व-धर्म प्रार्थना´, `वि’व ‘ाांति प्रार्थना´ व `वल्र्ड पार्लियामेन्ट´ जैसी अनूठी प्रस्तुतियों से होना कोई सामान्य बात नहीं, अपितु यह वह अनुपम प्रयोग है जिसके माध्यम से विद्यालय के छात्र `वि’व एक परिवार´ की भावना से रूबरू होते हैं और ऐसी विलक्षण संस्कृति आज संसार के ‘ाायद ही किसी अन्य विद्यालय में देखने को मिलती हो। मानव सभ्यता के इतिहास में कभी-कभी ऐसा समय भी आता है जब `ि’ाक्षा´ सामाजिक परिवर्तन का स’ाक्त माध्यम बनती है और वह समय अब आ चुका है। डॉ॰ गांधी व्यावहारिक धरातल पर इस उक्ति को सच करने में पूरे मनोयोग से प्रयत्न’ाील हैं। सी.एम.एस. के तत्वावधान में विभिन्न वि”ायों पर आयोजित होने वाले 32 अंतर्रा”ट्रीय समारोह इस तथ्य को स्वयं ही प्रमाणित करते है जिसके माध्यम से दे’ा-दुनिया के छात्र एक मंच पर एक-दूसरे की भा”ाा, संस्कृति, सभ्यता, आचार-विचार आदि से परिचित होकर एक `नवीन वि’व व्यवस्था´ का निर्माण करते प्रतीत होते हैं। इतना ही नहीं, आपके ही मार्गदर्शन में सी.एम.एस. के विभिन्न अंग-अवयव भी इसी एक लक्षय `भावी पीढ़ी के लिए एक आदर्श समाज´ की पूर्ति हेतु अपना योगदान दे रहे हैं जिनमें सी.एम.एस. का इनोवे’ान वing, पर्सनालिटी डेवलपमेन्ट तथा कैरियर कॉउिन्सling विभाग, वल्र्ड यूनिटी एजूकेशन डिपार्टment, दो एफ.एम. ‘ौक्षिक रेडियो स्टे’ान एवं मीडिया एवं फिल्म डिवीजन आदि प्रमुख हैं जो विभिन्न दृष्टिकोण से बच्चों के सर्वांगीण विकास में संलग्न है। यहां यह भी दीगर है कि यह सब-कुछ मात्र कुछेक व”ाोzं का परिणाम नहीं है अपितु यह 52 व”ाोzं की त्याग, तपस्या एवं लगन का परिणाम है। ऐसा नहीं है कि आपके जीवन में परिस्थितियां सदैव अनुcool ही रही हों, अपितु सच्चाई तो यह है कि प्रतिcoolताओं एवं संघ”ाz में भी चेहरे पर सदैव विराजमान रहने वाली मुस्कान, धैर्य, आत्मबल एवं सभी को साथ लेकर चलने की अद्वितीय क्षमता ने हर स्थिति-परिस्थिति पर विजय पाई है। सच कहा जाए तो डॉ॰ गांधी का जीवन संघ”ाोzं की ऐसी दास्तान रहा है जो बरबस ही अमेरिका के रा”ट्रपति अब्राहम linkन के जीवन की याद ताजा कर देती है परंतु यह भी एक ध्रुव सत्य है कि मानव मात्र के कल्याण के प्रति समर्पित चिंतन ने सदैव आपको नई राह भी दिखाई है। 10 नवंबर 1936 को उत्तर प्रदे’ा के अलीगढ़ जिले के बरसौली गांव में जन्में डॉ॰ जगदी’ा गांधी ने अपनी बाल्यावस्था में जहां प्रकृति के घातक प्रभावों को झेला तो वहीं कि’ाारोवस्था व युवावस्था में भी अनेक झंझावातों को सहन करने की मिसाल कायम की है। मां का साया बचपन में ही सिर से उठ गया और पिता का समीप्य भी आपको ज्यादा नसीब नही हुआ। चाचा श्री प्रभु दयाल जी के संरक्षण में आपने कि’ाारोवस्था में प्रवे’ा किया और किसी प्रकार इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण कर अपने चाचाजी की मदद से कुछ रूपए पड़ोसी से उधार लेकर भटकते हुए लखनऊ आ गए, जहां न रहने का ठिकाना, न खाने-पीने की व्यवस्था, पढ़ाई की सोचना तो दूर की बात थी। फिर चाहे गोमती किनारे रात बिताना हो या धर्म’ााला में भिक्षा के भोजन से भूख ‘ाांत करना, सारी स्थितियों-परिस्थितियों पर अपने संकल्प’ाक्ति व आत्मबल से विजय प्राप्त करते हुए सदैव `वि’व मानवता की सेवा´ लक्षय पर डिगे रहे और अंतत: उधार के 300 रुपए व पांच बच्चों से सिटी मोन्टेसरी school की स्थापना कर `वि’व एकता, वि’व ‘ाांति व भावी पीढ़ी के सुखमय´ युगानुcool लक्षय को ि’ाक्षा से साधने का सतत् प्रयास किया, जिसकी चरम परिणित आज पूरे वि’व में गुंजायमान हो रही है। यहां आपके जीवन के उन महत्वपूर्ण घटनाओं का उल्लेख करना भी समीचीन होगा जिसने जगदी’ा प्रसाद अग्रवाल को जगदी’ा गांधी बना दिया। इसमें से पहली घटना उस समय की है जब डॉ॰ गांधी मात्र 11 व”ाz के थे। उस समय द्वितीय वि’वयुद्ध के दौरान 6 अगस्त 1945 को अमेरिका द्वारा हिरोि’ाम (जापान) पर गिराए गए परमाणु बम की विभीि”ाका से डॉ॰ गांधी का मन तड़पकर रह गया था। दूसरी घटना उस समय की है जब वे कक्षा 6 में पढ़ते थे। आजादी के छ: महीने के अंदर ही 30 जनवरी, 1948 को महात्मा गांधी की हत्या की हृदय-विदारक घटना का जगदीश प्रसाद अग्रवाल के कोमल मन-मस्ति”क पर इतना गहरा प्रभाव पड़ा कि उन्होंने उसी समय से महात्मा गांधी की ि’ाक्षाओं को अपने जीवन का आदर्श बनाने का निर्णय लिया और अपना नाम जगदी’ा प्रसाद अग्रवाल से बदलकर जगदी’ा गांधी रख लिया। तीसरी घटना उस समय की है जब डॉ॰ गांधी 11वीं कक्षा के छात्र थे। उस समय राजा महेंद्र प्रताप द्वारा प्रकाि’ात पत्रिका `संसार संघ´ में छपे लेखों ने डॉ॰ गांधी के मन में `वि’व एकता´ स्थापित करने की ज्योति जलाई। चौथी घटना व”ाz 1974 की है जब बहाई धर्म स्वीकार करने के बाद भी डॉ॰ गांधी पुन: व”ाz 1977 में विधान सभा का चुनाव लड़ने के लिए लालायित हो गए थे। डॉ॰ गांधी व”ाz 1969 से 1974 तक उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य रहे हैं। बहाई धर्म अपनाने के प’चात् उनकी बेटी गीता ने उन्हें यह स्मरण दिलाया कि बहाई धर्म के अनुयायी का जीवन अपनी आत्मा के विकास, मानव मात्र की सेवा तथा हृदयों की एकता के लिए होता है। बेटी गीता के इन ‘ाब्दों का डॉ॰ गांधी के हृदय पर इतना गहरा प्रभाव पड़ा कि उन्होंने राजनीति से पूरी तरह से सदैव के लिए सन्यास ले लिया। इसके साथ ही, `सादा जीवन उच्च विचार´ की कहावत को यदि यथार्थ में अनुभव करना हो तो डॉ॰ गांधी का जीवन इसका एक जीवंत उदाहरण है। गरमी हो या जाड़ा, बरसात हो या आए तूफान, डॉ॰ गांधी का वि’व एकता अभियान सदैव अनवरत चलता रहता है। सी.एम.एस. ‘ाायद विश्व का पहला ऐसा विद्यालय है जिसका प्रधान कार्यालय पिछले लगभग 52 व”ाोzं से कभी बंद नहीं हुआ है। किसी ने सही ही कहा है कि “संसार में वही व्यक्ति महान है जो दूसरों के हित के लिए अपने सुखों का त्याग कर दें।´´ और सचमुच डॉ॰ गांधी उन चंद लोगों में से हैं जिन्होंने विश्व के दो अरब बच्चों तथा आगे जन्म लेने वाली पीढ़ियों के सुंदर एवं सुरक्षित भवि”य देने के लिए भौतिक सुखों का लगभग त्याग ही कर दिया है। खादी के साधारण कपड़ों में एक छोटे से कमरे में बैठकर कार्यालय का काम करते रहना आदि ऐसी चीजें हैं जो आपके त्याग तथा समाज की अनवरत सेवा भावना की तरफ स्वयं ही इशारा करते हैं। फिर भी एक प्र’न जो अभी भी अनुत्तरित है, वह यह कि आखिर वह कौन सी ‘ाक्ति है जो डॉ॰ गांधी को अभूतपूर्व आत्मबल प्रदान करती है और उन्हें सदैव बच्चों के अधिकारों व मानव मात्र के कल्याण हेतु कार्य करने को निरंतर प्रेरित करती है। इसका उत्तर भी डा गांधी के ही संबोधन में मिलता है। बकौल गांधी जी, “क्योंकि युद्ध के विचार मनु”य के मस्ति”क में पैदा होते हैं इसलिए हमें बचपन से ही मनु”य के मस्ति”क में ‘ाांति के बीज बोने होंगे।´´ और ‘ाायद यही कारण है कि सी.एम.एस. स्वयं को न सिर्फ वि’व के दो अरब बच्चों का प्रतिनिधि मानता है अपितु इस तथ्य को समय-समय पर उद्घाटित भी करता है। भावी पीढ़ी के लिए आदर्श समाज के लिए प्रतिबद्ध डॉ॰ गांधी के अतुलनीय योगदान को सारे वि’व ने सराहा है। जिस विवेक व आत्मबल से डॉ॰ गांधी विश्व के प्रत्येक बच्चे को विश्व का प्रकाश बनाते हुए उनके सुंदर एवं सुरक्षित भवि”य के लिए प्रयासरत् हैं, उसकी कहानी उन्हें रा”ट्रीय एवं अंतर्रा”ट्रीय स्तर पर मिले हुए अनेकों अवार्ड व उपाधियां जिनमें जर्मनी का न्यूक्लीयर फ्री फ्यूचर स्पे’ाल एचीवमेन्ट अवार्ड, स्वीडन का वल्र्ड चिल्ड्रेन्स प्राइज़ फंार दी राइट्स अंाफ दी चाइल्ड, दुबई का अमन पीस प्राइज, डेरोज़ियो अवार्ड, सांप्रदायिक सौहार्द के लिए वारिस अली ‘ााह पुरस्कार, यू.पी. रत्न अवार्ड, बौद्ध धर्म गुरू दलाई लामा की धम्म सोसायटी इंडिया द्वारा `मानवता की आशा´ पुरस्कार, एि’ायन नोबेल प्राइज कहे जाने वाले फिलीपीन्स के अत्यंत प्रतिि”ठत सम्मान `गुसी पीस प्राइज´ व रूस की प्रख्यात `बक्सीर स्टेट पोडागोगिकल यूनिवर्सिटी´ द्वारा डाक्टरेट की उपाधि आपके अतुलनीय प्रयासों की कहानी स्वयं ही कहते हैं। हां, यह अलग बात है कि बड़े से बड़ा पुरस्कार हो, उपाधि या फिर सम्मान, डॉ॰ गांधी ने कभी भी सफलता का सेहरा अपने सर नहीं बांधा, उनकी प्रत्येक उपाधि अथवा पुरस्कार-सम्मान आदि सदैव विद्यालय के ि’ाक्षकों, कार्यकर्ताओं व छात्रों को समर्पित रहे, तभी तो विद्यालय के समस्त ि’ाक्षक/कार्यकर्ता इत्यादि उन्हें अपना आध्याित्मक गुरू मानते हैं जिनके हृदय में न सिर्फ सी.एम.एस. परिवार के लिए अपितु सारी वि’व वसुधा व वि’व के प्रत्येक छोटे-बड़े नागरिक के लिए प्यार, सम्मान व वात्सल्य का सागर हिलारें मारता है, और कहने की आव’यकता नहीं कि आपका यही वैयक्तिक एवं आंतरिक सौंदर्य आपको जगदी’ा गांधी से `आधुनिक युग का गांधी´ बनाता है।
पं . हरी ओम शर्मा हरी
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