महिला और बाल विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती कृष्णा तीरथ ने बताया कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने देश के विभिन्न विशेष गृहों तथा पर्यवेक्षण गृहों में रह रहे बच्चों की संख्या का पता लगाने के लिए अभी तक कोई व्यापक अध्ययन नहीं कराया है। तथापि, मंत्रालय कानून का उल्लंघन करने वाले बच्चों सहित कठिन परिस्थितियों में रह रहे बच्चों हेतु समेकित बाल संरक्षण स्कीम आईसीपीएस नामक एक केंद्रीय प्रायोजित स्कीम चला रहा है, जिसके तहत अन्य चीजों के साथ-साथ ऐसे बच्चों के पुनर्वास एवं पुनर्समेकन हेतु पर्यवेक्षण गृहों एवं विशेष गृहों सहित विभिन्न प्रकार के गृहों की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। वर्ष 2012-13 में कुल 5613 बच्चों को लाभ प्रदान करने वाले 183 पर्यवेक्षण गृहों एवं विशेष गृहों को और वर्ष 2012-13 में कुल मिलाकर 5449 बच्चों को लाभ प्रदान करने वाले 203 पर्यवेक्षण गृहों एवं विशेष गृहों को वित्तीय सहायता प्रदान की गई। उन्होंने बताया कि मंत्रालय विशेष गृहों से रिहा किए गए बच्चों का कोई आंकड़ा नहीं रखता है, तथापि इाईसीपीएस के तहत, बच्चों को जब ऐसे गृहों में रखा जाता है, तो उन्हें उनका दीर्घकालीन पुनर्वास कल्याण एवं विकास सुनिश्चित करने के लिए आश्रय, भोजन, शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण, परामर्श आदि जैसी सेवाएं प्रदान की जाती हैं। इसके अलावा, स्कीम, गृहों को छोडने वाले बच्चों को सहायता देने के लिए बच्चों की देखरेख सेवाएं प्रदान करती है, क्योंकि वे संस्थागत जीवन से जीवन की मुख्य धारा में पारगमन करते हैं। ऐसे बच्चों को दिए जाने वाली सेवाओं में अन्य बातों के साथ-साथ आवास सुविधा व्यावसायिक प्रशिक्षण, कार्य स्थापन, परामर्श एवं वृत्तिका आदि शामिल हैं।
बाल सुधार गृह – बच्चों का कोई आंकड़ा नहीं : कृष्णा तीरथ
दिल्ली,