आई एन वी सी,
रोहतक,
दक्षिणी एशिया के पत्रकारों की समस्याएं एवं मुद्दे लगभग एकसमान हैं, इसलिए इस क्षेत्र के सभी देशों को एकजुटता के साथ संघर्ष करने की जरूरत है। अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता लोकतन्त्र में बुनियादी संवैधानिक अधिकार हैं, इसकी रक्षा में मीडिया की सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका है। उक्त उद्गार हाल ही में काठमांडु (नेपाल) में सम्पन्न इन्टरनेशनल फैडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स द्वारा साऊथ एशियन मीडिया सोलिडिटी नेटवर्क के सौजन्य से आयोजित कार्यक्रम में नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स के उपाध्यक्ष संजय राठी ने व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में बीते दशक में 614 पत्रकारों की हत्याएं हुई हैं। जिनमें एक चौथाई दक्षिणी एशिया से हैं। अकेले पाकिस्तान में 93 पत्रकारों की हत्याएं की गई। जबकि भारत में 34 पत्रकार इस दौरान मारे गये। अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता पर हमलों में सामाजिक न्याय का मार्ग अवरूद्ध होता है। इसलिये खबरों में तथ्य एवं सत्य का समावेश होना आवश्यक है।
नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स की ओर से भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे संजय राठी ने अपने उदबोधन में आगे कहा कि श्रीलंका और नेपाल में पिछले कुछ सालों में सत्ता संघर्ष के कारण मीडियाकर्मियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है। अफगानिस्तान, पाकिस्तान तथा बंग्लादेश में अभी भी मीडियाकर्मियों के लिए काफी चुनौतियां हैं। जिसका प्रभाव इन देशों में सीधे रूप से सामाजिक न्याय तथा मानवाधिकारों पर पड़ रहा है। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संजय राठी ने कहा कि इन सभी देशों में मीडियाकर्मियों को बेहद कम वेतन तथा ठेके पर रखा जा रहा है। जिसका सीधा प्रभाव पत्रकारों की न्यायपूर्ण अभिव्यक्ति पर पड़ता है तथा जनपक्ष की अवहेलना होती है। अधिकांश पत्रकारों को सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन भी नहीं मिल पा रहा है। पैन्शन, ग्रेच्युटी एवं जीवन बीमा तक की सुविधाएं नहीं हैं। जिसके कारण पत्रकारों में अपने जीवन एवं भविष्य के प्रति सदैव असुरक्षा की भावना बनी रहती है। नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स के उपाध्यक्ष संजय राठी ने कहा दुनिया के सर्वाधिक बड़े लोकतान्त्रिक देश में पेड न्यूज के व्यापक प्रचलन के कारण न्यूज चैनलों तथा समाचार पत्रों की प्रतिष्ठा एवं विश्वसनीयता को भारी ठेस पहुंची है। इस कुप्रथा से पत्रकार भी प्रभावित हुए हैं। पेड न्यूज की रोकथाम के लिये भारत सरकार चुनाव आयोग व प्रैस कौंसिल ऑफ इंडिया मिलकर भविष्य में इसकी प्रभावी रोकथाम के लिए कटिबद्ध है। संजय राठी ने भारत में मजिठिया बेज बोर्ड की सिफारिशें अभी तक लागू न हो पाने के लिये मीडिया प्रबन्धन को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि अधिकांश मीडिया हाऊसिज बेज बोर्ड की सिफारिशों को अनदेखा करते आ रहे हैं। जिसके चलते मीडियाकर्मियों के शोषण का सिलसिला लगातार चालू है। ठेके पर पत्रकारों की भर्ती के शोषण परम्परा को आगे बढ़ा रही है। एन.यू.जे. उपाध्यक्ष संजय राठी ने इन्टरनेशनल फैडरेशन ऑफ जर्नलिस्टस की एशिया महाद्वीप की निर्देशिका जैकलिन पार्क तथा कार्यक्रम के संयोजक सुकुमार मुरलीधरन का दक्षिणी एशिया के पत्रकार संगठनों को उचित मंच प्रदान करने के लिए आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर उपस्थित दक्षिणी एशिया के सभी प्रतिनिधियों के भविष्य में एकजुट होकर कार्य करने के संकल्प के लिये बधाई दी।
Home literature world Literature News पूरे विश्व में बीते दशक में 614 पत्रकारों की हत्याएं हुई हैं...