सभी धर्मों के बीच सकारात्‍मक एवं पारस्‍परिक विचार-विमर्श रखें सभी लोग : हामिद अंसारी

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Interfaith Conference at Malappuramआई एन वी सी न्यूज़
केरला,

उपराष्‍ट्रपति एम. हामिद अंसारी ने आज विभि‍न्‍न धार्मिक परंपराओं एवं विचारों के लोगों से एक आपसी समझ और दूसरे के प्रति सम्‍मान विकसित करने की अपील की, जो उनके मतभेदों के बावजूद एक-दूसरे के साथ रहने और सहयोग करने की अनुमति देता है।

श्री अंसारी ने मलप्‍पुरम में एक अंतर-धर्म सम्‍मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि अंत: धार्मिक एवं अंत: विश्‍वास बातचीत का निहितार्थ केवल शब्‍दों एवं वार्ता से अधिक होना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि इसमें अनिवार्य रूप से मानवों के बीच आपसी संपर्क एवं आपसी संबंध शामिल होने चाहिए।

स्‍वामी विवेकानंद को उनकी जन्‍म शताब्‍दी पर उद्धृत करते हुए श्री अंसारी ने कहा कि केवल सहिष्‍णुता ही एक समावेशी और बहुवादी समाज के निर्माण के लिए एक मजबूत बुनियाद नहीं हो सकता। इसके साथ स्‍वीकार्यता एवं समझदारी का सहयोग भी होना चाहिए।

श्री अंसारी ने कहा कि हमें खुद को चुनौती देने की आवश्‍यकता है, जिससे कि हम उन परम्‍पराओं एवं पूर्व धारणाओं से आगे देख सकने में सक्षम हो सकें, जो हमें दूसरों को स्‍वीकार्य करने से रोकती हैं। बातचीत गलतफहमी को दूर करती है एवं एक-दूसरे के प्रति सहानुभूति तथा आपसी समझ को बढ़ावा देती है और इस महत्‍वपूर्ण दायित्‍व को निभाने में अंतर-धर्म बातचीत एक अहम भूमिका अदा करती है।

उन्‍होंने कहा कि अंतर-धर्म बातचीत का उद्देश्‍य दूसरी धार्मिक प्रणालियों एवं संस्‍थानों के बारे में समझ विकसित करना एवं उनका सम्‍मान करना है और उसके माध्‍यम से उनके मूल्‍यों के प्रति हमारी सराहना को बढ़ाना है। उन्‍होंने कहा कि एकल एवं संस्‍थागत दोनों ही स्‍तरों पर विभिन्‍न धार्मिक परम्‍पराओं के लोगों के बीच सहयोगात्‍मक एवं सकारात्‍मक संबंध होने चाहिए।

उन्‍होंने कहा कि ‘प्रत्‍येक पार्टी अपनी खुद की मान्‍यताओं को लेकर सच्‍ची बनी रहती है, और दूसरे लोगों के उनकी प्रथाओं में विश्‍वास रखने के अधिकार का सम्‍मान करती है।’

उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि भारत विश्‍व के सभी महान धर्मों का निवास स्‍थान है। उन्‍होंने कहा कि ‘हमारे समाज ने सदियों से एक अनूठा सामाजिक एवं बौद्धिक वातावरण मुहैया कराया है, जिसमें कई विशिष्‍ट धर्मों का न केवल शांतिपूर्ण सह-अस्तित्‍व रहा है, बल्कि उन्‍होंने एक-दूसरे को समृद्ध भी बनाया है।’

उन्‍होंने कहा कि केरल में धार्मिक बहुलवाद की लम्‍बी परम्‍परा रही है। इस राज्‍य में इस्‍लाम एवं भारत में ईसाई धर्म की सबसे पुरानी परम्‍परा रही है और यह विभिन्‍न धार्मिक समूहों के बीच आपसी सद्भाव के लिए जाना जाता है, जिसका इस राज्‍य में अस्तित्‍व रहा है।

पिछले वर्ष एक सार्वजनिक समारोह में प्रधानमंत्री द्वारा की गई टिप्‍पणियों का स्‍मरण करते हुए उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि बहुलवाद और सांस्‍कृतिक विविधता के समायोजन की भावना भारत के संविधान एवं देश की अहम राजनीतिक परिचर्चाओं में व्‍याप्‍त है।

उपराष्‍ट्रपति ने यह भी कहा कि स्‍वीकार्यता का अर्थ सहिष्‍णुता से एक कदम और आगे जाता है। यह एक व्‍यक्ति की किसी स्थिति की वास्‍तविकता को सहमति देना, परिवर्तित करने, विरोध करने या इससे बाहर हटने की बगैर कोशिश किए एक प्रक्रिया या स्थिति को स्‍वीकार करना है। आप किसी चीज को बगैर इसे स्‍वीकार किये बर्दाशत कर सकते हैं, लेकिन बिना इसे बर्दाशत किये, स्‍वीकार नहीं कर सकते।

उपराष्‍ट्रपति ने सम्‍मेलन की सफलता की कामना करते हुए कहा कि केरल में धार्मिक बहुलवाद की एक लम्‍बी परम्‍परा रही है और इस समारोह के आयोजक इस परम्‍परा के उत्‍तराधिकारी रहे हैं।

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