– तनवीर जाफरी –
वैसे हमारे देश में कहने को तो देश के राजनेता विभिन्न विचारधाराओं में कथित रूप से बंटे हुए हैं। कुछ स्वयं को गांधीवादी विचारधारा का पैरोकार बताते हैं तो कुछ सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का झंडा स्वयंभू रूप से उठाए नज़र आते हैं। कुछ समाजवादी विचारधारा के ध्वजावाहक बनते हैं तो कुछ साम्यवादी विचारों के पैरोकार। परंतु एक ‘विचारधारा’ जो इन सभी में सार्वलौकिक है वह यह है कि उपरोक्त सभी विचारधाराओं के अधिकंाश राजनेता कभी न कभी कहीं न कहीं किसी न किसी अपराध,घोटाले अथवा भ्रष्टाचार में संलिप्त ज़रूर पाए गए। यदि नेताओं की सीधी संलिप्तता ऐसे घोटालों या भ्रष्टाचार में न भी रही हो तो भी इनका संरक्षण अथवा इनकी अनदेखी अवश्य ऐसे घोटालों से जुड़ी दिखाई दी। परिणामस्वरूप आज हालात ऐसे हो चुके हंै कि हमारा यही देश जो कभी स्वयं को विश्वगुरू बताने में फूला नहीं समाता था आज उसी देश पर भ्रष्टाचार व घोटालों का ऐसा कलंक लग चुका है कि अब इसे भ्रष्टाचार व घोटालों का देश कहा जाने लगा है। पिछली यूपीए सरकार में 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला,कोयला घोटाला,कॉमनवेल्थ खेल से जुड़े घोटाले आदि कई बड़े घोटाले उजागर हुए थे। जिसके विरुद्ध प्रचार करते हुए सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने यूपीए सरकार को पूरी तरह से जनता के दरबार में खड़ा कर उसके हाथों से सत्ता छीन ली। परंतु मध्य प्रदेश में 2010 से अर्थात् भारतीय जनता पार्टी के ही शासनकाल में उजागर हुए व्यवसायिक परीक्षा मंडल(व्यापम)में व्याप्त भ्रष्टाचार की ओर इन्हीं भाजपाई नेताओं ने देखने तक का साहस नहीं किया। आज जिस प्रकार 46 लोग जो इस घोटाले से किसी न किसी रूप से जुड़े रहे हैं उनकी संदेहास्पद मौत के बाद सवाल यह उठने लगा है कि व्यापम महज़ एक घोटाले या भ्रष्टाचार का ही नाम है या फिर इसे एक आपदा भी स्वीकार किया जाना चाहिए?
व्यापम घोटाले को लेकर विपक्ष का तो यह कहना है कि इसमें अब तक 156 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि पुलिस इस संबंध में केवल 32 लोगों के मारे जाने की बात स्वीकार कर रही है। पुलिस द्वारा अब तक व्यापम घोटाले के 55 मामले दर्ज किए जा चुके हैं जिनमें 27 मामलों में चालान भी पेश कर दिया गया है। पुलिस के अनुसार अब तक इस संबंध में लगभग दो हज़ार लोगों की गिर$फ्तारियां भी हो चुकी हैं जबकि तकऱीबन 6सौ लोग अभी भी $फरार हैं जिनकी गिर$फ्तारी होनी शेष है। आश्चर्य की बात तो यह है कि न खाएंगे न खाने देंगे का दावा करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस मामले में कोई संज्ञान लेना तो दूर अभी तक इस विषय पर कोई बयान तक जारी नहीं किया गया है। उधर इस मुद्दे पर भाजपा के अंदर भी सबकुछ ठीक-ठाक अथवा सभी परिस्थितियां मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान के अनुकूल दिखाई नहीं दे रही हैं। उदाहरण के तौर पर केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने भी कांग्रेस द्वारा व्यापम मुद्दे को उठाए जाने को सही ठहराया है। उन्होंने यह भी कहा कि एसटीए$फ को जांच की जि़म्मेदारी देकर सरकार ने $गलती की है। उमा भारती ने कहा है कि मध्यप्रदेश का नौजवान इस विषय को लेकर मानसिक तनाव में है। और इसी मानसिक तनाव से मेरी मौत भी हो सकती थी। उन्होंने यह भी कहा कि मेरा नाम भी व्यापम घोटाले में आया था और मुझे भी डर लग रहा है। जबकि शिवराज सरकार का कहना है कि कांग्रेस पार्टी बिना किसी सुबूत के हर मौत को व्यापम से जोड़ रही है। परंतु एक बात तो बिल्कुल सच है कि जिस समय यह घोटाला उजागर हुआ उस दौरान इससे संबंधित विभाग मुख्यमंत्री शिवराज चौहान के पास ही थे। ठीक उसी प्रकार जैसेकि इसी भाजपा द्वारा कोयला खान आबंटन मामले में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम कोयला घोटाले में सि$र्फ इसीलिए खींचा जा रहा था क्योंकि कोयला खानों के आबंटन में बरती गई अनिमियततओं के समय कोयला मंत्रालय का प्रभार स्वयं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास था।
गौरतलब है कि व्यापम अर्थात व्यवसायिक परीक्षा मंडल,मध्य प्रदेश सरकार का एक ऐसा सरकारी संस्थान है जोकि प्री मेडिकल व प्री इंजीनियरिंग टेस्ट के साथ नापतौल भर्ती परीक्षा,एसआई,वनरक्षक भर्ती परीक्षा,आरक्षक भर्ती परीक्षा,संविदा शिक्षक वर्ग दो एवं संविदा शिक्षक वर्ग तीन एवं दुग्ध संघ भर्ती परीक्षा जैसी कई सरकारी नौकरियों के लिए परीक्षा लेता है। इन्हीं जैसी अधिकांश नौकरियों में व्याप्त धांधली के संबंध में भ्रष्टाचार उजागर हुए थे। इस संबंध में 2008 से लेकर 2013 तक के 1087 परीक्षार्थियों के मेडिकल प्रवेश टेस्ट रद्द किए जा चुके हैं। इसके अतिरिक्त प्री पीजी 2012 में आठ छात्रों की परीक्षाएं निरस्त कर दी गई हैं। सर्वप्रथम 2010 में यह घोटाला एक मात्र 19 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता आशीष चतुर्वेदी द्वारा उजागर किया गया था। उसके बाद से लेकर अब तक आशीष चतुर्वेदी पर भी 14 जानलेवा हमले हो चुके हैं। चूंकि आशीष स्वयं एक साधारण परिवार के हैं इसलिए वह प्राय: साईकल से ही कहीं आते-जाते हैं। जबकि उनकी सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मी भी उनके साथ साईकल पर ही चलते हैं। 2010 के बाद से जैसे-जैसे इस घोटाले में असरदार,अपनी ऊंची पहुंच रखने वाले तथा सत्ता से जुड़े लोगों के नाम सामने आने शुरु हुए वैसे-वैसे इस घोटाले से जुड़े तथा घोटाले के संबंध में जानकारी रखने वाले लोगों की संदेहास्पद परिस्थितियों में मौतों का सिलसिला भी शुरु हो गया। परंतु सबसे अधिक हंगामा पिछले दिनों उस समय खड़ा हुआ जबकि इस घटनाक्रम से किसी न किसी रूप से संबंध रखने वाले चार लोग चार दिनों तक लगातार एक-एक कर मौत की आग़ोश में जा पहुंचे। इनमें दिल्ली के एक प्रमुख चैनल के पत्रकार अक्षय सिंह व जबलपुर मेडिकल कॉलेज के डीन अरूण शर्मा की मौत ने सबसे ज़्यादा हंगामा बरपा किया।पत्रकार अक्षय सिंह की जिस समय मध्य प्रदेश के झबुआ में संदेहास्पद परिस्थितियों में मृत्यु हुई, अपनी मृत्यु से ठीक पहले वे इसी व्यापम घोटाले से संबद्ध एक मृतक युवती के परिजनों से उनका साक्षात्कार लेकर वापस लौटे थे।
आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने व्यापम घोटाले के संबंध में यह ट्वीट किया कि व्यापम में लगभग-‘2200 मुन्ना भाईयों को डॉक्टर बना दिया गया, योग्य छात्रों का ह$क मारा गया। मध्यप्रदेश की जनता इन्हीं भाईयों के हाथों मरने को मजबूर है’। संजय सिंह ने अपने एक दूसरे ट्वीट में सवाल किया है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ओएसडी और उनकी बेटी का नाम व्यापम में शामिल मंत्री गुलाब सिंह व उनके व्यापम के नियंत्रक सुधीर भदौरिया पर ए$फआईआर या कोई कार्रवाई अब तक क्यों नहीं हुई? यदि यह आरोप सही है तो सोचा जा सकता है कि अयोग्य व सि$फारशी डॉक्टरों की भर्ती कर राज्य सरकार ने मध्यप्रदेश की आम जनता की सेहत व उसकी जान के साथ खिलवाड़ करने का कितना बड़ा खेल खेला है। दूसरी ओर इन अयोग्य व सि$फारशी लोगों की भर्ती के परिणामस्वरूप योग्य तथा होनहार परीक्षार्थियों को किस प्रकार जनता की सेवा करने के अवसर से वंचित रखा गया तथा उन्हें बेरोज़गार रहने के लिए मजबूर किया गया। उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस विषय पर अपना मुंह बंद रखने को लेकर भी राजनैतिक हलक़ों में तरह-तरह के सवाल किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज चौहान तथा गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी पहले सीबीआई द्वारा मामले की जांच कराए जाने से आनाकानी कर रहे थे। परंतु इस विषय की गंभीरता को देखते हुए उच्चतम न्यायालय ने समूचे व्यापम प्रकरण की जांच सीबीआई द्वारा कराए जाने के आदेश दे दिए हैं। हालांकि सीबीआई भी अब तक देश में हुए कई प्रमुख व अति महत्वपूर्ण मामलों में किसी निष्कर्ष तक पहुंच पाने में असफल रही है। फिर भी देश की जनता सीबीआई की जांच पर का$फी हद तक भरोसा करती है। व्यापम घोटाला जो कि देश का अब तक का ऐसा सबसे बड़ा घोटाला बन चुका है जिसमें इस मामले से जुड़े लोगों की रिकॉर्ड मौतें हो चुकी हैं गोया यह विषय केवल भर्ती अथवा भ्रष्टाचार या घोटाले तक ही सीमित न रहकर एक आपदा का रूप ले चुका है। निश्चित रूप से इस मामले की गहरी छानबीन होनी चाहिए तथा मामले से जुड़े लोगों को बेन$काब कर उनका वास्तविक,घिनौना व $खूनी चेहरा सामने लाया जाना चाहिए।
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About the Author
Tanveer Jafri
Columnist and Author
Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.
He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also a recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.
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