पहला दिन – पहला शो
“नदिया के पार” देखने गया था लड़का, कॉलेज बंक कर के, अकेले !
उफ़! भीड़ पर्दा फाड़ रही थी, सिनेमा हाल अटा पड़ा था !
टिकट मिलने का चांस जीरो बटा सन्नाटा!!
लौट ही रहा था कि लेडिज की कतार पर नजर पड़ी !!
चल एक आखिरी कोशिश!!
भीड़ भरे कतार में बचते बचाते धीरे से छह रूपये बढ़ाते हुए अपनी आवाज में सेक्रिन घोलते हुए मीठे स्वर में बोला – प्लीज! एक टिकट मेरी भी !! प्लीज !!
क्यूँ! आप मेरे मुंह बोले भाई हो क्या!! हुंह! मुंह उठाये आ गये !
अरे नही !! इंटरवल में मूंगफली लाऊंगा न! ( हलकी मस्ती, मुस्कराहट के साथ)
लड़की को भी मुस्कुराना ही पड़ा !!
हाल में दोनों साथ में इंटरवल में मूंगफली खा रहे थे 🙂
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फिल्म में गूंजा और चन्दन की शादी अंततः हो जाती है:-)
रियलिटी में भी दो दिल कुछ पलों के लिए धडकते हैं 🙂 😛
लघु प्रेम कथा
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कक्षा -9, सेक्शन – बी, छठी घंटी !
बायोलोजी के क्लास में रेड स्केच से मैथ्स वाली सोच के साथ उलटी खोपड़ी के तरह डेस्क पर उसने दूर सामने बैठी लम्बे बालों वाली गौरवर्ण नकचढ़ी को देखकर अपने और सिरा रखते हुए पुरे प्यार से नम्बर तीन लिखा !
फिर उसने तीन के दोनों सिरे को स्वयं और वो सोच कर प्रेमसिक्त मन में बसाते हुए मिला दिया!!
उफ़ धड़कता हुआ दिल बन चूका था !!
ब्लैक बोर्ड पर भी मैडम हर्ट की एनाटोमी बता रही थी !!
तभी उस लड़की से झटके से बाल लहराया !!
लड़के ने भी प्रत्त्युत्तर में उस डेस्क पर बने दिल में फटाक से एक लम्बा झुका हुआ तीर बना दिया !! दिल को चीरते हुए !!
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प्यार क्यूँ बैगैरत होती है
लड़की ने अपनों से कह कर लड़के को स्कूल से बाहर पिटवा कर आउट ऑफ़ कोर्ट सेटलमेंट करने की कोशिश की !!
आह 😀
लघु प्रेम कथा
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मरखड गैया की तरह वो लड़की एल-शेप वाले मोड़ पर हेलमेट के साइड से लहराते बालों के साथ जूं से स्कूटर पर आई …
और, शांत ट्रैफिक वाले रास्ते पर धीमे चलाते उस अंकल टाइप के लड़के के अंकल-अंकल जैसे दिखते मारुती आल्टो के ड्राइवर सीट वाले दरवाजे पर ढपाक से टकराई ! 😉
कार की स्पीड इतनी कम थी कि कार का ब्रेक चर्र से लगा व एक मीटर भी नहीं घिसटा, पर वो स्कूटर, लड़की और उसका हेलमेट तीनो समकोण त्रिभुज के शीर्ष बिंदु की तरह चौक पर छितर गए थे!! निर्जीव हेलमेट शांत था, निर्जीव स्कूटर का पहिया घूमते हुए बता रहा था की अब भी उसमे दम है, पर सजीव लड़की दर्द से दस गुना ज्यादा चिल्ला कर बता रही थी,वो कितनी निरीह है, और उसकी गलती असंभव है !
बेचारा लड़का, गुस्से में तिलमिलाता हुआ, दरवाजा खोलना चाहा तो गैया यानी लड़की के स्कूटर ने इतना स्पीड से टक्कर मारा था की दरवाजा खुला ही नहीं ! कुनमुनाता हुआ लड़का दुसरे ओर से उतर कर नीचे आया, कुछ बोलता उससे पहले ही अलग सीन क्रियेट हो चुका है !
‘मारो साले को’- देख कर नहीं चलते ये चार पहिये वाले, इन्होने सड़क को बाप का समझ रखा है…………….उफ़ बेचारी को देखो, कित्ती प्यारी सी है, इसको भी नहीं छोड़ा ! जरुर जानबूझ कर मारा होगा !
लड़का भी सहम गया
कभी कभी परिस्थितियां आपको मजबूर कर देती है, फिर आप खुद-बखुद ऐसे सोचने लगते हो, जरुर गलती मेरी ही रही होगी!
लड़की की खूबसूरती और उसके चेहरे पर दर्द का कोकटेल बियर के ग्लास से ढभकते बुलबुले की तरह लड़के पर प्यार का फुहार कर चुका था !
लड़के ने हाथ बढ़ा कर लड़की को उठाया,
लड़की ने भी हलके से व्हिस्पर किया – सॉरी, ताकि भीड़ को सुनाई न पड़े ! 🙂
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कुछ देर बाद दोनों पास के गैरेज से कार और स्कूटर ठीक करवा रहे थे,
बिल मध्यम आय वर्गीय लड़के ने अपने क्रेडिट कार्ड से पे किया ! 😛
कुशल कारीगरों ने डेंट-पेंट से स्कूटर और कार के जख्मों के निशान तो मिटा दिए थे पर दिलों पर पडे निशान नहीं छिपाये जा सके! दो लम्बे स्टील के ग्लास में लस्सी पीते हुए लड़का-लड़की एक दुसरे के वाहन को देख रहे थे, शायद प्यार या साथ की वजह वो स्कूटर या कार जो थी 🙂
लघु प्रेम कथा
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कॉलेज के उसी खास दरख़्त के नीचे लीजर पीरियड में समय काटते हुए लड़के ने अपने दिमाग में प्रेम व विज्ञान के घालमेल के साथ बोला – ओये ! अच्छा ये बताओ दो हाइड्रोजन एटम एक ऑक्सीजन के एटम के साथ क्रिया-प्रतिक्रिया करH2O यानि जल में परिवर्तित हो जाता है,
तो वैसे ही मान लो कि तुम ऑक्सीजन हो और मैं एक हाइड्रोजन !!
अब बड़ा प्रश्न ये है कि ये साला दूसरा हाइड्रोजन कौन है ??? 😉
बेवकूफ वो देख, कॉलेज गेट पर सायकल टायर पेंचर बनाने वाला गठीला सांवला नौजवान! क्या ख्याल है उसे दूसरा हाइड्रोजन समझने में – लड़की इतराते हुए मुस्कायी ^_^
हुंह !!
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लड़के ने फिर से बकैती की – अगर इन एटम्स ने लिंग परिवर्तन कर लिया !!
ऐसे सोच कि मैं वो एक ऑक्सिजन और तू एक हाइड्रोजन तो दूसरी हाइड्रोजन कौन ? 😛
तब बेटा, दुनिया में पानी ही नही होता ! क्योंकि तुममे ऐसा आकर्षण कहाँ की दूसरा हाइड्रोजन रूपी लड़की चिपके ! बड़ा आया कैमिकल रिएक्शन वाला 😉
दोनों कॉलेज कैंटीन चल पड़े पानी से बनी चाय पीने 😉
लघु प्रेम कथा
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बनारस की गलियों में अपने एक्सामिनेशन सेंटर को ढूंढने के बाद एक मासूम सा पढ़ाकू लड़का ख़ूबसुरत भविष्य का सपना संजोये यूपीपीसीएस की प्रिलिमनरी परीक्षा में जीके का पेपर देने एक छोटे से पुराने स्कूल की बेंच पर बैठा ही था कि एक खनकती सी ,पतली आवाज उसके कानों में पड़ी
– सर! अपना ये किताबों का झोला आगे रख दीजिये !
समवयस्क बेहद ख़ूबसूरत शिक्षिका को देख घबड़ा कर लड़के ने कहा –
मेम, प्लीज् यही रहने दीजिये न, बेकार में भुला-वुला गया तो ! एग्जाम में थोड़ी बैग छूने का समय मिलेगा, वैसे ही सिर्फ दो घंटे का समय है !
दो मासूम नजर टकराई, बिन बोले हामी थी !
समय पूरा होते-होते , लड़के ने बिना नजर उठाये अपना प्रश्नपत्र हल किया ,, पर कुछ प्रश्न अभी बाकी थे और थोड़ा समय भी बचा था ! क्लास का माहौल मित्रवत था !
लड़के ने धीरे से बैग से किताब निकालने की कोशिश भर की, टीचर की नजर शायद पहले से उसपर टिकी थी, मुस्कुराते हुए बोल पड़ी
– अरे सर, ये क्या कर रहे हो, क्यों मेरी नौकरी लेने पर तुल गए !
– क्या मेम ! आप भी न, अगर मैंने इस परीक्षा को कम्पीट किया तो, स्कूल इंस्पेक्टर बन कर आपका ऑफिसर बन सकता हूँ,सोच लीजिये !!
पूरा क्लास हलकी सी आवाज के साथ खिलखिला उठा !!
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एग्जाम के बाद टीचर जा रही थी, पीछे से उस लड़के ने आवाज़ लगाई -अरे मेम ! सुनिए तो, क्या आपको बाबा विश्वनाथ मंदिर का रास्ता पता है (शायद लड़का जानबूझ कर वेट कर रहा था )
– मेरे साथ चलिए, उधर ही जा रही हूँ, दबी जुबान में टीचर ने कहा
ऐसा लगा रास्ते में रेड कारपेट बिछ गया हो, और एक प्यारा सा जोड़ा सीधा बढ़ता चला गया हो !!
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जन्म : 4 सितम्बर 1971 (बेगुसराय, बिहार)
शिक्षा : बी.एस.सी. (गणित) (बैद्यनाथधाम, झारखण्ड)
इ-मेल: mukeshsaheb@gmail.com
ब्लॉग: “जिंदगी की राहें” (http://jindagikeerahen.blogspot.in/ )
( 2014-15 के सौ श्रेष्ठ हिंदी ब्लॉग में शामिल )
“मन के पंख” (http://mankepankh.blogspot.in/ )
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निवास: लक्ष्मी बाई नगर, नई दिल्ली 110023
वर्तमान: सम्प्रति कृषि राज्य मंत्री, भारत सरकार, नई दिल्ली के साथ सम्बद्ध I
संग्रह : “हमिंग बर्ड” कविता संग्रह (सभी ई-स्टोर पर उपलब्ध) (बेस्ट सेलर)
सह- संपादन: “कस्तूरी”, “पगडंडियाँ”, “गुलमोहर”, “तुहिन” एवं “गूँज” (साझा कविता संग्रह)
प्रकाशित साझा काव्य संग्रह:
1.अनमोल संचयन, 2.अनुगूँज, 3.खामोश, ख़ामोशी और हम, 4.प्रतिभाओं की कमी नहीं (अवलोकन 2011), 5.शब्दों के अरण्य में , 6.अरुणिमा, 7.शब्दो की चहलकदमी, 8.पुष्प पांखुड़ी
9. मुट्ठी भर अक्षर (साझा लघु कथा संग्रह), 10. काव्या
सम्मान:
- तस्लीम परिकल्पना ब्लोगोत्सव (अंतर्राष्ट्रीय ब्लोगर्स एसोसिएशन) द्वारा वर्ष 2011 के लिए सर्वश्रेष्ठ युवा कवि का पुरुस्कार.
- शोभना वेलफेयर सोसाइटी द्वारा वर्ष 2012 के लिए “शोभना काव्य सृजन सम्मान”
- परिकल्पना (अंतर्राष्ट्रीय ब्लोगर्स एसोसिएशन) द्वारा ‘ब्लॉग गौरव युवा सम्मान’ वर्ष 2013 के लिए
- विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ से हिंदी सेवा के लिए ‘विद्या वाचस्पति’ 2014 में
- दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल 2015 में ‘पोएट ऑफ़ द इयर’ का अवार्ड
- प्रतिमा रक्षा सम्मान समिति, करनाल द्वारा ‘शेर-ए-भारत’ अवार्ड मार्च, 2016 में
शुक्रिया इस प्रकाशन के लिए 🙂