बीजिंग | भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद की वजह से पैदा हुआ तनावपूर्ण माहौल एक सहमति के जरिए कम होता दिखाई दे रहा है, क्योंकि दोनों देश अपनी-अपनी सेना को पीछे करने पर लगभग सहमत हो गए हैं। मगर चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने जो दावा किया है, उससे यह मामला फिर से उलझ सकता है। पूर्वी लद्दाख में तनावपूर्ण माहौल को कम करने की कवायदों के बीच चीन ने एक नया पैंतरा चला है और दावा किया है कि पूर्वी लद्दाख से पहले भारत अपने सैनिकों को हटाएगा। ग्लोबल टाइम्स ने दावा किया है कि चीन और भारत के बीच सेना और हथियारों को पीछे हटाने पर सहमति हो गई है और दोनों ही देश जल्द ही पारस्परिक सिद्धांत के तहत बारी-बारी से सीमा विघटन योजना यानी सैनिकों को हटाने की योजना का लागू कर देंगे। ग्लोबल टाइम्स ने यह भी दावा किया कि सेना को हटाने की योजना के मुताबिक, संघर्ष वाले बिंदू से सबसे पहले भारत को अपनी सेना को हटाना होगा। इसके बाद ही चीन अपनी सेना को पीछे हटाने पर विचार करेगा।
अज्ञात सूत्र का हवाला देते हुए सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी पीपुल्स के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने कहा, ‘भारत को सबसे पहले अपनी सेना को हटाना चाहिए, क्योंकि भारत ने अपनी सेना को सबसे पहले अवैध तरीके से पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर भेजा था। इसके बाद ही चीन उत्तरी छोर पर सेना हटाने पर विचार करेगा।’ बता दें कि ऐसी खबर है कि दोनों देशों के बीच डिस-एंगेजमेंट को लेकर बनी सहमति के बाद दोनों पक्ष अप्रैल-मई महीने के बाद पैंगोंग झील इलाके में बने सभी नए ढांचे को ध्वस्त करने जा रहे हैं। इसके अलावा, फिंगर 4 से लेकर फिंगर 8 के इलाके में कोई भी देश पैट्रोलिंग नहीं करेगा।
चीनी की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स द्वारा रिपोर्ट किए गए दावे पर नई दिल्ली स्थित चीनी दूतावास से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं मिली है। मगर भारत ने कूटनीतिक और सैन्य वार्ता के शुरुआती दौर के बाद ही यह स्पष्ट कर दिया था कि सीमा विवाद को गहराने और उकसाने वाले सबसे पहले चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिक थे, इसलिए भारतीय सैनिक पहले अपने कदम पीछे नहीं करेंगे।
शुक्रवार को प्रकाशित ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट एक दिन पहले प्रकाशित पिछली रिपोर्ट का अपडेटेड वर्जन था। शुक्रवार को ग्लोबल टाइम्स ने भारतीय मीडिया में आई दोनों सेना के पीछे हटने पर बनी सहमति वाली खबर का खंडन किया था। उसने दावा किया कि भारतीय मीडिया में आई इस तरह की खबरें गलत हैं। बता दें कि दो परमाणु शक्तियों वाले देश चीन और भारत पिछले पांच-छह महीने से सीमा विवाद को लेकर उलझे हुए हैं और इसी की वजह से सीमा पर तनाव जारी है। सीमा पर तनाव कम करने के लिए अब तक कई दौर की कूटनीतिक और सैन्य वार्ता विफल रही है।
हालांकि, भारतीय अधिकारियों ने पुष्टि की है कि दोनों पक्ष लद्दाख में तनाव को कम करने के लिए एक व्यापक विघटन योजना के हिस्से के रूप में संवेदनशील पैंगोंग त्सो इलाके में सैनिकों और सैन्य उपकरणों की चरणबद्ध वापसी के प्रस्ताव पर विचार कर रहे थे। अगर यह प्रस्ताव आगे बढ़ता है, तो यह चार महीनों से अधिक समय से जारी वार्ता में पहला महत्वपूर्ण कदम होगा। गालवान घाटी में जुलाई की शुरुआत में विघटन हुआ, मगर इसका असर तनाव वाले अन्य क्षेत्रों में नहीं दिखा। प्रस्ताव पर पहली बार चर्चा 6 नवंबर को चुशुल सेक्टर में दोनों सेनाओं के कोर कमांडर-रैंक के अधिकारियों के बीच सैन्य वार्ता के आठवें दौर के दौरान की गई थी।
वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के भारतीय हिस्से में छह नवंबर को चुसूल में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच आठवें दौर की उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता के दौरान सैनिकों को पीछे हटाने और अप्रैल से पहले की स्थिति बहाल करने के विशेष प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया गया। सूत्रों ने बताया कि भारतीय सेना और चीन की सेना (पीएलए) कोर कमांडर स्तर पर होने वाली अगली वार्ता में समझौता पर पहुंचने की उम्मीद कर रही है। सैन्य स्तर पर नौवें दौर की वार्ता अगले कुछ दिनों में होने की संभावना है।
पूर्वी लद्दाख में विभिन्न पर्वतीय क्षेत्रों में भारतीय सेना के करीब 50,000 जवान तैनात हैं क्योंकि गतिरोध सुलझाने के लिए दोनों पक्षों के बीच हुई वार्ता के अब तक ठोस परिणाम नहीं निकल सके हैं। अधिकारियों के मुताबिक चीन ने भी इतने ही जवान तैनात किए हैं । दोनों पक्षों के बीच मई की शुरुआत में गतिरोध आरंभ हुआ था। सूत्रों ने बताया कि समझौता होने पर पहले कदम के तौर पर तीन दिनों के भीतर दोनों पक्ष टैंक, बड़े हथियारों, बख्तरबंद वाहनों को एलएसी के पास गतिरोध वाले स्थानों से पीछे के बेस में ले जाएंगे। दूसरे के कदम के तौर पर पीएलए के सैनिक पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर फिंगर चार के अपने मौजूदा स्थान से फिंगर आठ क्षेत्र में चले जाएंगे जबकि भारतीय सैनिक धान सिंह थापा चौकी के करीब तैनात होंगे।
उन्होंने बताया कि सेनाओं के बीच बनी सहमति के तहत व्यापक रूप से तीन दिनों में हर दिन करीब 30 प्रतिशत सैनिकों की वापसी होगी। तीसरे चरण में पैंगोग झील के दक्षिणी किनारे पर रेजांग ला, मुखपारी और मगर पहाड़ी जैसे क्षेत्रों से सैनिक पीछे हटेंगे। भारतीय सैनिकों ने पैंगोग झील के दक्षिणी किनारे के आसपास रणनीतिक लिहाज से महत्वपूर्ण मुखपारी, रेजांग ला और मगर पहाड़ी जैसे क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया है। एक उच्चस्तरीय सूत्र ने बताया, ‘ये सब प्रस्ताव है। समझौते पर अभी दस्तखत नहीं हुआ है।’
सूत्र ने कहा कि सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया के अंतिम चरण में दोनों पक्ष विस्तृत सत्यापन करेंगे जिसके बाद सामान्य गश्त बहाल होने की उम्मीद है। पीएलए के साथ कोर कमांडर स्तर पर आठवें दौर की वार्ता के पहले शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने सैनिकों के पीछे हटने और पूर्वी लद्दाख में तनाव घटाने के लिए प्रस्तावों पर विचार विमर्श किया था। ‘फिंगर इलाके में सैनिकों के पीछे हटने के प्रस्ताव का मतलब होगा कि गतिरोध के समाधान तक फिंगर चार और आठ वाले इलाके के बीच गश्त की इजाजत नहीं होगी। PLC.