आई एन वी सी न्यूज़
लखनऊ,
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने आज संत बाबा आसूदाराम साहिब के 58वें निर्वाण दिवस के अवसर पर शिव शांति आश्रम आलमबाग जाकर अपनी आदरांजलि व्यक्त की। इस अवसर पर महापौर डाॅ0 संयुक्ता भाटिया, शिव शांति आश्रम के साईं चाण्डूराम साहिब जी, रायपुर आश्रम के साईं युधिष्ठिर लाल जी, स्वामी गंगादास जी, उत्तर प्रदेश सिंधी सभा के अध्यक्ष मुरलीधर आहूजा, मीर अब्दुल्ला जाफर सहित अन्य विशिष्ट एवं श्रद्धालुगण उपस्थित थे। राज्यपाल ने इस अवसर पर श्री गोविन्द जी द्वारा लिखित पुस्तक ‘द सिंधीज’ का लोकार्पण भी किया।
राज्यपाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि संत बाबा आसूदाराम साहिब हमारे देश के ऐसे महान संत थे जिन्होंने निःस्वार्थ भाव से मानव सेवा की है तथा समाज में व्याप्त कुरीतियों के विरूद्ध लोगों को जागृत किया। संत आसूदाराम साहिब ने अपने आचरण और व्यवहार से यह प्रमाणित किया कि विचारों की श्रेष्ठता तथा सद्व्यवहार जैसे मानवीय गुणों से ही मनुष्य महान बनता है न कि जन्म एवं व्यवसाय से छोटा या बड़ा। भारत ऋषि-मुनियों का देश है जहाँ असंख्य महापुरूषों ने जन्म लेकर मानवता के कल्याण के लिये प्रेम, एकता एवं वसुधैव कुटुम्बकम् का पावन संदेश दिया है। भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता अनेकता में एकता तथा विभिन्नता में एकता की द्योतक रही है। उन्होंने कहा कि संत आसूदाराम जी के दिखाये रास्ते आज भी प्रासंगिक हैं।
श्री नाईक ने सिंधी समाज की सेवाओं पर प्रकाश डालते हुये कहा कि सिंधी समाज सिंध सभ्यता से जुड़ा हुआ है। देश के विभाजन के बाद सिंध हमारे देश का हिस्सा नहीं है। सिंध के निवासी अपनी मातृभूमि छोड़कर भारत आये हैं। सिंधी समाज ने अपनी भूमि छोड़ी है पर संस्कृति नहीं छोड़ी है। देश के विकास में सिंधी समाज का महत्वपूर्ण योगदान है। सिंधी समाज के संत केवल सिंधी समाज के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के संत हैं। राज्यपाल ने बताया कि मुंबई के हशु आडवाणी एवं झमटमल वाधवानी का उनके राजनैतिक जीवन में बड़ा योगदान है। सिंधी समाज के लोगों ने मुंबई में स्वामी विवेकानन्द एजुकेशनल सोसायटी की स्थापना की। राज्यपाल ने कहा कि सिंधी समाज की मांग पर डाॅ0 राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय फैजाबाद में सिंधी भाषा को पाठ्यक्रम में शामिल करने हेतु उन्होंने अनुमति प्रदान की है।
राज्यपाल ने कहा कि उनके मराठी संस्मरण संग्रह ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ का सिंधी भाषा में भी अनुवाद हो रहा है जिसका विमोचन सिंधी समाज के बीच होगा। राज्यपाल ने बताया कि उनकी पुस्तक का हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, एवं गुजराती भाषा में लोकार्पण राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी की उपस्थिति में 2016 में तथा संस्कृत भाषा में लोकार्पण संस्कृत एवं संस्कृति की नगरी वाराणसी में राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद द्वारा मार्च 2018 में सम्पन्न हुआ। उनकी पुस्तक का जर्मन, अरबी एवं फारसी भाषा में अनुवाद भी पूरा हो चुका है जिसका लोकार्पण भी निकट भविष्य में होगा। उन्होंने पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ के सिंधी अनुवाद के लिये प्रसन्नता व्यक्त करते हुये धन्यवाद भी दिया।
उत्तर प्रदेश सिंधी सभा के अध्यक्ष श्री मुरलीधर आहूजा ने स्वागत उद्बोधन देते हुये राज्यपाल के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि राज्यपाल श्री राम नाईक ने अपने व्यवहार से उत्तर प्रदेश के लोगों के बीच अपनी विशेष पहचान बनाई है।
इस अवसर पर अंग वस्त्र एवं स्मृति चिन्ह देकर सिंधी समाज द्वारा राज्यपाल का सम्मान भी किया गया।
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने आज संत बाबा आसूदाराम साहिब के 58वें निर्वाण दिवस के अवसर पर शिव शांति आश्रम आलमबाग जाकर अपनी आदरांजलि व्यक्त की। इस अवसर पर महापौर डाॅ0 संयुक्ता भाटिया, शिव शांति आश्रम के साईं चाण्डूराम साहिब जी, रायपुर आश्रम के साईं युधिष्ठिर लाल जी, स्वामी गंगादास जी, उत्तर प्रदेश सिंधी सभा के अध्यक्ष मुरलीधर आहूजा, मीर अब्दुल्ला जाफर सहित अन्य विशिष्ट एवं श्रद्धालुगण उपस्थित थे। राज्यपाल ने इस अवसर पर श्री गोविन्द जी द्वारा लिखित पुस्तक ‘द सिंधीज’ का लोकार्पण भी किया।
राज्यपाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि संत बाबा आसूदाराम साहिब हमारे देश के ऐसे महान संत थे जिन्होंने निःस्वार्थ भाव से मानव सेवा की है तथा समाज में व्याप्त कुरीतियों के विरूद्ध लोगों को जागृत किया। संत आसूदाराम साहिब ने अपने आचरण और व्यवहार से यह प्रमाणित किया कि विचारों की श्रेष्ठता तथा सद्व्यवहार जैसे मानवीय गुणों से ही मनुष्य महान बनता है न कि जन्म एवं व्यवसाय से छोटा या बड़ा। भारत ऋषि-मुनियों का देश है जहाँ असंख्य महापुरूषों ने जन्म लेकर मानवता के कल्याण के लिये प्रेम, एकता एवं वसुधैव कुटुम्बकम् का पावन संदेश दिया है। भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता अनेकता में एकता तथा विभिन्नता में एकता की द्योतक रही है। उन्होंने कहा कि संत आसूदाराम जी के दिखाये रास्ते आज भी प्रासंगिक हैं।
श्री नाईक ने सिंधी समाज की सेवाओं पर प्रकाश डालते हुये कहा कि सिंधी समाज सिंध सभ्यता से जुड़ा हुआ है। देश के विभाजन के बाद सिंध हमारे देश का हिस्सा नहीं है। सिंध के निवासी अपनी मातृभूमि छोड़कर भारत आये हैं। सिंधी समाज ने अपनी भूमि छोड़ी है पर संस्कृति नहीं छोड़ी है। देश के विकास में सिंधी समाज का महत्वपूर्ण योगदान है। सिंधी समाज के संत केवल सिंधी समाज के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के संत हैं। राज्यपाल ने बताया कि मुंबई के हशु आडवाणी एवं झमटमल वाधवानी का उनके राजनैतिक जीवन में बड़ा योगदान है। सिंधी समाज के लोगों ने मुंबई में स्वामी विवेकानन्द एजुकेशनल सोसायटी की स्थापना की। राज्यपाल ने कहा कि सिंधी समाज की मांग पर डाॅ0 राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय फैजाबाद में सिंधी भाषा को पाठ्यक्रम में शामिल करने हेतु उन्होंने अनुमति प्रदान की है।
राज्यपाल ने कहा कि उनके मराठी संस्मरण संग्रह ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ का सिंधी भाषा में भी अनुवाद हो रहा है जिसका विमोचन सिंधी समाज के बीच होगा। राज्यपाल ने बताया कि उनकी पुस्तक का हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, एवं गुजराती भाषा में लोकार्पण राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी की उपस्थिति में 2016 में तथा संस्कृत भाषा में लोकार्पण संस्कृत एवं संस्कृति की नगरी वाराणसी में राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद द्वारा मार्च 2018 में सम्पन्न हुआ। उनकी पुस्तक का जर्मन, अरबी एवं फारसी भाषा में अनुवाद भी पूरा हो चुका है जिसका लोकार्पण भी निकट भविष्य में होगा। उन्होंने पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ के सिंधी अनुवाद के लिये प्रसन्नता व्यक्त करते हुये धन्यवाद भी दिया।
उत्तर प्रदेश सिंधी सभा के अध्यक्ष श्री मुरलीधर आहूजा ने स्वागत उद्बोधन देते हुये राज्यपाल के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि राज्यपाल श्री राम नाईक ने अपने व्यवहार से उत्तर प्रदेश के लोगों के बीच अपनी विशेष पहचान बनाई है।
इस अवसर पर अंग वस्त्र एवं स्मृति चिन्ह देकर सिंधी समाज द्वारा राज्यपाल का सम्मान भी किया गया।