महीने औसत दैनिक मामलों में वृद्धि ने एक सवाल खड़ा कर दिया है- क्या तीसरी लहर की शुरुआत हो चुकी है? स्थिति पर करीब से नजर रख रहे महामारी और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि अगर दो हफ्ते और बढ़ोतरी जारी रहती है तो अगली लहर शुरू हो गई है. अभी के लिए, त्योहार और साल के अंत में होने वाले समारोहों की वजह से जारी सामाजिक आयोजनों और भीड़ के कारण कोरोना के मामलों में इजाफा हो रहा है.महामारी विशेषज्ञ और स्वास्थ्य प्रणाली विशेषज्ञ डॉ चंद्रकांत लहरिया ने कहा, “एक और दो सप्ताह के लिए निरंतर वृद्धि यह स्पष्ट कर देगी कि क्या शहर ने एक नई लहर देखना शुरू कर दिया है.” उन्होंने कहा, “यदि आप एक ग्राफ पर संख्याओं को रखते हैं, तो कोरोना मामलों की निरंतर वृद्धि एक ऊपर की ओर वक्र दिखाएगी, जो एक लहर का संकेतक होगा. फिलहाल, शहर के अधिकारियों को इस प्रवृत्ति को करीब से देखना चाहिए.”डॉ लहरिया ने कहा कि हर परिस्थिति में एक अलग चलन का अनुभव होने की संभावना है. उदाहरण के लिए, जहां पिछले कुछ दिनों में मुंबई और दिल्ली में मामलों में तेजी दर्ज की गई है, वहीं देश के कुल आंकड़ों ने ऊपर की ओर रुझान नहीं दिखाया है.
मुंबई के औसत दैनिक कोरोना मामलों में इजाफा
मुंबई के औसत दैनिक मामलों में वृद्धि चिंताजनक रही है. दिसंबर के पहले सप्ताह में, शहर के औसत दैनिक मामले 185 थे. दूसरे सप्ताह (7-14 दिसंबर) में यह संख्या बढ़कर 212 और तीसरे सप्ताह (15-21 दिसंबर) में 270 हो गई. चिंता की बात यह है कि 22 से 26 दिसंबर के बीच मुंबई का पांच दिन का औसत 671 पर पहुंच गया जो पिछले सप्ताह की तुलना में 148% अधिक है.
‘ओमिक्रॉन की मौजूदगी में कोरोना मामलों के बढ़ने की उम्मीद थी’
महामारी विज्ञानी डॉ जयप्रकाश मुलियिल, जो भारत में टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) के सदस्य भी हैं, ने कहा, “अत्यधिक तेजी से फैलने वाले ओमिक्रॉन वेरिएंट की उपस्थिति में कोरोना मामलों में वृद्धि की उम्मीद पहले से थी.” उन्होंने कहा, “अगर हम इन नंबरों को एक ग्राफ में उतारते हैं, तो यह एक नई लहर की शुरुआत की तरह दिखेगा. लेकिन हमें इंतजार करना चाहिए और रुझान देखना चाहिए.”
‘नई लहर का गंभीर असर होने की संभावना कम’
डॉ मुलियिल के अनुसार, जो मायने रखता है वह यह है कि क्या लहर का कोई असर है. उन्होंने कहा, “वैश्विक स्तर पर, ओमिक्रॉन वेरिएंट डेल्टा की जगह ले रहा है, लेकिन यह एक हल्की बीमारी पैदा कर रहा है और इससे अस्पताल में भर्ती होने की संख्या में वृद्धि नहीं हुई है. भारतीयों में वायरस के प्रति प्रतिरोधक क्षमता के साथ-साथ टीकाकरण को देखते हुए, यह संभावना है कि नई लहर का कोई असर नहीं हो सकता है.” PLC