आई एन वी सी न्यूज़
नई दिल्ली ,
अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार द्वारा गृहे गृहे यज्ञ अभियान को घर-घर पहुंचाने और यज्ञीय उपचार की उपयोगी वैज्ञानिक विधा को जन जन तक पहुंचाने के लिए व्याख्यान आयोजित किए जा रहे हैं। इसी ऑनलाइन व्याख्यान की दूसरी श्रृंखला में बोलते हुए गायत्री परिवार, मुंबई के डॉ ए एन वर्मा ने बताया कि भारत का यज्ञात्मक ज्ञान और विज्ञान भारत को स्वस्थ, स्वच्छ और दिव्य बनाने में बहुत मददगार है। वैदिक काल में लगभग सारे उपचार हमारे ऋषि मुनि यज्ञ के माध्यम से ही करते थे परंतु मध्यकाल में धीरे-धीरे यह विधा समाप्ति की ओर चली गई ।
बाद में युग ऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने शांतिकुंज में ब्रह्म वर्चस शोध संस्थान स्थापित कर इस विधा को पुनर्जीवित किया। तत्पश्चात इस शोध को देव संस्कृति विश्वविद्यालय, शांतिकुंज ने आगे बढ़ाया और यज्ञ पर अनेक शोध पत्र श्रद्धेय डॉ प्रणव पंड्या, कुलपति दे. सं वि वि और प्रति कुलपति डॉ चिन्मय पंड्या के निर्देशन में प्रकाशित किए जिनकी विस्तृत जानकारी इंटर्डिसिप्लिनरी जर्नल फॉर यज्ञ रिसर्च में प्रकाशित की गई है। भारत की परमाणु सुरक्षा एजेंसी के चेयरमैन एवं रावतभाटा हैवी वाटर संयंत्र के चेयरमैन रहे वैज्ञानिक डॉ वर्मा ने आगे बताया कि यज्ञ से जहां एक तरफ तमाम शारीरिक और मानसिक बीमारियों जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, तनाव आदि का इलाज किया जा सकता है वहीं यज्ञ से पर्यावरण को भी सुरक्षित रखा जा सकता है।
अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा संपन्न किए गए अश्वमेध यज्ञों में कुछ जगहों पर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मंडल और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल के साथ मिलकर वैज्ञानिक आंकड़े इकट्ठा किए गए और यह पाया गया कि यज्ञ के बाद वातावरण में सल्फर ऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी विषैली गैस की मात्रा में उल्लेखनीय कमी पाई गई। यहां तक कि यज्ञ के बाद पीएम 2.5 और पीएम 10 के स्तर में भी कमी मिली। आगे वर्मा ने यह भी बताया कि यज्ञ के ज्ञान विज्ञान की सारी जानकारी युग ऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने अपनी 500-500 पेज की दो पुस्तकों यज्ञ का ज्ञान विज्ञान और यज्ञ: एक समग्र उपचार प्रक्रिया में दे रखी है ।
इस ऑनलाइन प्रोग्राम में प्रधान मंत्री के स्वच्छ भारत मिशन एंबेसडर और आईएलओ में आईटी सलाहकार डॉ ( प्रो.) डी पी शर्मा ने भी शिरकत की और अपने संक्षिप्त उद्बोधन में कहा कि……. कि हमारा विज्ञान आदिकाल से ही उत्तिष्ठ है और यही कारण है कि दुनिया ने हमारी वैज्ञानिक सोच एवं विधाओं को फिलॉसफी यानी दार्शनिक ज्ञान को विज्ञान में ढालने की कोशिश की वहीं पश्चिमी विज्ञान आज अपने ज्ञान को दर्शन में ढालने की कोशिश कर रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत का ज्ञान दुनिया के श्रेष्ठतम ज्ञान में स्वीकार तो किया गया परंतु उसका आधुनिक पब्लिकेशन प्लेटफार्म पर संदर्भित नहीं किया गया जैसे विकिपीडिया जहां पर हमें ध्यान देने की आवश्यकता है।
प्रोग्राम में देव संस्कृति विश्वविद्यालय के डॉ विरल पटेल, हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अनिल झा, मुंबई गायत्री परिवार के डॉक्टर वरुण मानेक, आईआईटी जोधपुर के प्रोफेसर डॉक्टर विवेक विजयवर्गीय और कई ख्याति प्राप्त वैज्ञानिकों और डॉक्टरों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन गायत्री परिवार लखनऊ के श्री प्रेम सारस्वत ने किया।