– तनवीर जाफ़री –
इसी तरह देश का एक और जाना पहचाना व सम्मानजनक नाम डॉक्टर लक्ष्मी सहगल का भी है। आज़ाद हिन्द फ़ौज की प्रथम महिला कमाण्डर व अंग्रेज़ों के विरुद्ध संघर्ष करने वाली डॉक्टर सहगल देश की ऐसी महिला थीं जिन्होंने अपने जीवन के अंतिम क्षणों तक अपने चिकत्सकीय पेशे को निभाया। उन्होंने कानपूर में अपना चिकित्सालय चलाया जहां ग़रीब अमीर व धर्म जाति का भेद किये बिना मरीज़ों की निःशुल्क सेवा की जाती थी। आज तथाकथित स्वयंभू राष्ट्रवादी लोग कम्युनिस्टों को राष्ट्रविरोधी बताते हैं परन्तु डॉक्टर लक्ष्मी सहगल जैसे तमाम लोगों ने यह साबित किया है कि ग़रीब अमीर व धर्म जाति के बीच भेदभाव न करने वाले कम्युनिस्ट ही सही मायने में देशभक्त भी हैं और मानवीय मूल्यों को सम्मान देने वाले भी। नेताजी सुभाष चंद बोस के विश्वासपात्र व आज़ाद हिन्द फ़ौज के कर्नल प्रेम कुमार सहगल से विवाह करने वाली डॉक्टर लक्ष्मी सहगल ने ज़रूरत पड़ने पर प्रथम पंक्ति के स्वतंत्रता सेनानी हैसियत से अंग्रेज़ों के विरुद्ध संघर्ष भी किया और पार्टी के कहने पर डाक्टर ए पी जे अब्दुलकलाम के विरुद्ध राष्ट्रपति पद का चुनाव भी लड़ा परन्तु अपने चिकित्सकीय पेशे से कभी मुंह नहीं मोड़ा। इसी तरह आजकल डॉक्टर कफ़ील ख़ान ‘डॉक्टर्स ऑन रोड’ नामक राष्ट्रव्यापी मिशन चलाकर पूर्वी उत्तर प्रदेश,बिहार व बंगाल के उन सुदूर क्षेत्रों में अपनी बड़ी समर्पित टीम के साथ मरीज़ों की सेवा में लगे हैं जहाँ डॉक्टर्स तो क्या आम आदमी का भी पहुंचना मुश्किल है। परन्तु वे मुफ़्त इलाज,दवा और ज़रूरतमंदों को राशन भी बांटते फिर रहे हैं।
परन्तु इन सबके विपरीत पिछले दिनों डॉक्टर प्रवीण तोगड़िया का बी बी सी गुजराती सेवा से प्रसारित एक साक्षात्कार सुनने का मौक़ा मिला। स्वयं को कैंसर सर्जन बताने वाले डॉक्टर तोगड़िया को पूरा देश जानता तो ज़रूर है परन्तु एक सफल कैंसर विशेषज्ञ चिकित्सक के रूप में नहीं बल्कि विश्व हिन्दू परिषद् के एक फ़ायर ब्रांड वक्ता के रूप में। इसमें कोई शक नहीं कि आज भारतीय जनता पार्टी जिस धर्म आधारित ध्रुवीकरण के बल पर पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में है उसमें विश्व हिन्दू परिषद् के अंतर्राष्ट्रीय महामंत्री के रूप में डॉक्टर तोगड़िया के ज़हरीले व समाज को बाँटने वाले भाषणों का बहुत बड़ा योगदान है। यह अजब इत्तेफ़ाक़ है कि गुजराती व संघ परिवार के होने के बावजूद आज वे भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आँखों में खटकने वाले नेताओं की सूची में सर्वोपरि हैं। शायद तभी वे भी पेगासस जासूसी प्रकरण के शिकार लोगों में एक हैं। इसी पेगासस प्रकरण को लेकर जब बी बी सी ने उनसे बात की तो उनके अंदर का दर्द छलका और पेगासस से लेकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के हिन्दू-मुस्लिम के एक समान डी एन ए बताए जाने वाले बयान तक पर उन्होंने स्पष्ट शब्दों में अपनी राय रखी। इसी दौरान उन्होंने कहा कि हिन्दू मुस्लिम डी एन ए एक बता कर क्या 95 वर्षों तक संघ ने झूठ का प्रचार किया कि हिन्दू राष्ट्रीय व मुस्लिम अराष्ट्रीय हैं ? साथ ही उन्होंने इस बात पर भी दुःख जताया कि किस तरह उन जैसे कैंसर सर्जन का पूरा जीवन व कैरियर इसी ‘झूठ’ को प्रचारित करने के चक्कर में बर्बाद हो गया ? उनके साक्षात्कार का मर्म स्पष्ट था की इसी झूठ व प्रोपगंडा की राजनीति में न केवल उन जैसे डॉक्टर पेशा व्यक्ति जीवन बर्बाद किया गया बल्कि देश के करोड़ों हिन्दुओं को भी सत्ता के खेल के चलते ठगा गया ?
डॉक्टर तोगड़िया की ही तरह डॉक्टर हर्षवर्धन व डॉक्टर संबित पात्रा जैसे लोग भी हैं जो मरीज़ों की सेवा करने के लिए अपने बहुमूल्य ज्ञान व हासिल की गई चिकित्सकीय शिक्षा का सदुपयोग करने के बजाय सत्ता का आनंद उठाने व पार्टी व सत्ता के प्रवक्ता के रूप में अपने आप को जनता के समक्ष पेश करने में ज़्यादा ख़ुशी महसूस करते हैं। यहां तक कि पूरा कोरोना जैसा घोर संकट काल गुज़र जाने के बावजूद इन लोगों ने कोरोना मरीज़ों के इलाज हेतु कोई भी रचनात्मक कार्य नहीं किया। डॉक्टर हर्षवर्धन को तो उनकी कोरोना काल की असफलता के चलते अपना मंत्री पद भी गंवाना पड़ा। जबकि समाज में ज़हर घोलने का बख़ूबी दायित्व निभाने वाले संबित पात्रा का अभी इक़बाल बुलंद है। लोकसभा चुनाव हारने के बावजूद वे चिकित्सकीय क्षेत्र में नहीं बल्कि तेल और प्राकृतिक गैस निगम ONGC बोर्ड के स्वतंत्र निदेशक के पद पर विराजमान हैं। गोया 5 वर्षों तक चिकित्सकीय शिक्षा हासिल करने के बाद उन्होंने सत्ता की तथा विभाजनकारी राजनीति करना ज़्यादा मुनासिब समझा।आश्चर्य है कि डॉक्टर्स जैसे फ़रिश्ता रुपी ज्ञान हासिल करने व इस पेशे में आने के बाद भी किस तरह सत्ता लोभी चिकित्सक सियासत की काली व अँधेरी दुनिया में अपना भाग्य आज़माने लगते हैं। निश्चित रूप से यह चिकित्सा ज्ञान के व इस पेशे के साथ बड़ा अन्याय है।
About the Author
Tanveer Jafri
Columnist and Author
Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.
He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.
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