आई एन वी सी न्यूज़
देहरादून / चंडीगढ़
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने उत्तराखंड के चीफ सेक्रेटरी तथा डीजीपी को देहरादून के मुख्य विकास अधिकारी तथा सिटी मजिस्ट्रेट के द्वारा एक दलित परिवार के साथ उत्पीड़न करने के मामले में नोटिस जारी कर चंडीगढ़ स्तिथ यू टी गेस्ट हाउस में 19 जून शुक्रवार को दोपहर तीन बजे तलब किया है।
आयोग के उपाध्यक्ष डॉक्टर राजकुमार वेरका ने बताया कि आयोग के पास बहुत ही गंभीर मामला सामने आया है। देहरादून स्तिथ रायपुर ब्लॉक कॉलोनी में रहने वाली बबिता देवी ने आयोग को शिकायत कर बताया कि वो उक्त एड्रेस पर पिछले 6 साल से रह रही है। वहीँ बिलकुल उनके नजदीक छह सात महीने पहले वहां के मुख्य विकास अधिकारी आलोक कुमार पाण्डेय तथा सिटी मजिस्ट्रेट ललित नारायण मिश्रा वहां रहने के लिए सरकारी घर में आये। बबिता ने बताया कि उसका पति विकास भवन के अधीन कार्यालय ग्राम्य विकास अभिकरण देहरादून में चौकीदार का काम करता है। बबिता ने बताया कि उक्त दोनों अधिकारीयों के घर का रास्ता उनके घर से होकर निकलता है इसलिए दोनों ने वो रास्ता ही बंद करने का फैसला किया और बॉउंड्री वाल करने की जिद्द करने लगे, जब उन्होंने इसका विरोध किया तो उन्हें जातिसूचक शब्द कहे गए और 27 जनवरी 2015 को एस ओ रायपुर अबुल कलाम को बुला लिया और काफी पुलिस फ़ोर्स बुलाकर बुनियाद खोदने लगे। जब उन्होंने इसकी शिकायत लिखती तौर पर मुख्यमंत्री को की, इस बात से गुस्से में आकर आलोक कुमार पाण्डेय ने अबुल कलाम और एस आई प्रियंका रावत और पुलिस फ़ोर्स के साथ उनके सहित उनकी तीन बेटियों को घर से घसीटकर बाहर लेकर आये और मारपीट की और जबरन मजिस्ट्रेट कार्यालय में उनसे हस्ताक्षर करवाये और रात 11.30 बजे उनको जेल भेज दिया गया।
बबिता के मुताबिक इस मामले की इन्क्वायरी वहां के पुलिस उप महानिरीक्षिक अपराध एस के शुक्ल ने की है और उनकी डीजीपी के नाम पर लिखित रिपोर्ट के अनुसार उनको भी इस मामले में किसी अन्य एजेंसी से जांच की जरूरत महसूस हो रही है। आयोग ने तथ्यों के आधार पर इस मामले पर नोटिस जारी कर चीफ सेक्रेटरी तथा डीजीपी को आयोग के समक्ष पेश होने के निर्देश दिए हैं।