संजीबा के पाँच गीत
1-
मेरा बाप – बुरा माने
तो मान जाये ,
मैंने तो उन्हें कल फिर
साफ-साफ बोल दिया कि
अपनी मौत के बाद
घाट तक जाने का
अपना इंतजाम कर लेना ,क्यों कि – सम्बन्ध
हमारे आप के बीच अपनी जगह
लेकिन किसी भी हालत में
मेरे जिन्दा कन्धों पर
मरे हुये लोग नहीं चल सकते !
2-
“गाँधी” तुम्हारा अहिंसा का पाठ
कृष्ण अगर मानते – तो
महाभारत ही न हो पाता,
और धर्म पर अधर्म की
विजय हो जाती ………….“गाँधी” तुम्हारी अहिंसा की बात पर
राम अगर चलते – तो
युद्ध रोककर
सीता – रावण को ही सौंप कर
तसल्ली कर लेते ……………..
“गाँधी” तुम्हारी ग़लतफ़हमी है – कि
तुम्हारा अहिंसा का पाठ
दुनियां में पढ़ा जा रहा है
गाँधी सच तो ये है कि
तुम्हारा अहिंसा का प्रचार
सिर्फ वे लोग कर रहे हैं
जिन्हें खौफ है कि
भूखी-खूंख्वार भीड़
अपने हक़ के लिए कहीं एक दिन
उनकी देह पर आक्रमण न कर दें ………..
3-
तुम्हारे कुर्तों की लकालकी कलफ़ से
झुग्गी के बच्चों की
आँखों की रोशनी चली गई ,
तुम्हारे भाषणों से
मेरी बस्ती के लोगों के
कान के परदे कनपटी पर
चू-कर इस कदर बहे
कि उनकी जिन्दगी
अपनी ही आवाज़
सुनने को तरस गई
और अंत में तुम्हारे जूतों
के वजन से
आम आदमी का पेट
पीठ से क्या मिला
बेचारों की जीभ तक निकल गई ,
अब तो हर आदमी
रोज सूरज निकलते वक्त
4-
मुझे इन नेताओं से अच्छे
सुअर के बच्चे लगे
जो कम से कम रोजाना
मेरी गली तो घूम जाते हैं ……………….
और अपने स्तर से
गंदगी खाकर
साफ तो कर जाते हैं ………..
लेकिन वो कमबख्त आयेगा
सिर्फ चुनाव के वक़्त
बस वोट मांगने
और ये सफाई देने कि
मैं सुअर से अच्छा हूँ
और कुछ नहीं ……………………….
5-
अब झंडा झुका दो भारत में
सुबह- सुबह
एक वक़्त की रोटी के लिये
एक आदमी ने अपने बच्चे को बेच कर
बीबी किराये पर उठा दी…….
अब झंडा हटा दो – भारत में
भरी दोपहर में
अस्पताल में
एक गरीब बेटे ने
अपने बाप की लाश
लावारिस में दर्ज करा दी
अब झंडा जला दो – भारत में
शाम के वक़्त
अपना बच्चा गोद में बैठा कर
एक मजबूर औरत ने
तेल डाल कर आग लगा ली …………….हाथ जोड़ कर अपनी मौत तक
सकुचाकर मांगता है-सिर्फ
ये सोचकर कि शायद
इसे भी तुम देने से
इंकार न कर डॉ कहीं
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नुक्कड़ नाटक में गिनीज बुक में दर्ज
कई बार पुलिस के जुर्म का शिकार हुए
जिंदल पुरुष्कार से सम्मानित – 25 लाख
कानपूर में निवास करते हैं
संपर्क मोब. 093351939 10