नवरात्रि इस बार 17 अक्टूबर से शुरू हो रही है 25 अक्टूबर को समाप्त हो रही है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि में सात्विक भोजन करने का विधान है. आप व्रत करें या न करें, भोजन आपको सात्विक ही करनी चाहिए. इसके पीछे तर्क यह है कि आहार से ही हमारी कोशिकाओं का विकास होता है उन्हीं कोशिकाओं से हमारे शरीर में रस (हार्मोन) का क्षरण होता है. हार्मोन से हमारी सोच बनती है. हम जिस तरह का आहार ग्रहण करेंगे, उसी तरह का विचार हमारे मन में पैदा होता है.
वैसे तो मनुष्य को हमेशा सात्विक भोजन ही करना चाहिए लेकिन नवरात्रि में यह बहुत जरूरी हो जाता है. इन दिनों में आप गुड़ मीठी चीजों का सेवन करें. रोटी खाएं पर बासी भोजन से परहेज करें. आप क्रोधी हैं तो प्याज, लहसुन मांस-मछली का त्याग करना चाहिए. इन्हें तामसी भोजन कहा जाता है. अगर आप तनावग्रस्त रहते हैं तो दूध दूध से बनी चीजों का सेवन करें. अनाज कम सब्जियां अधिक खाएं. आपके दिमाग में बुरे ख्याल घर कर जाते हैं तो मांस, मछली, प्याज, लहसुन मसूर की दाल के सेवन से परहेज करें.
‘सत्व’ से सात्विक शब्द बना है, जिसका अर्थ शुद्ध, प्राकृतिक ऊर्जावान होता है. सात्विक भोजन से मन को शांति मिलती है. सात्विक भोजन में आप शुद्ध शाकाहारी सब्जियों, फल, सेंधा नमक, धनिया, काली मिर्च जैसे मसालों का इस्तेमाल कर सकते हैं. नवरात्रि में सात्विक खाना खाने के पीछे तर्क यह है कि यह अक्टूबर-नवंबर महीने में आता है, जिस समय मौसम में बदलाव आता है. गलत खान-पान से इस बदलते मौसम में बुरा प्रभाव पड़ता है. इसी कारण सात्विक भोजन को सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है.
क्या है सात्विक आहार
सभी प्रकार की अनाजें दाल
दूध इससे निर्मित पदार्थ
सभी प्रकार की सब्जियां
फल मेवे
ये चीजें सात्विक नहीं हैं
प्याज, लहसुन
सरसों का साग, मशरूम
मांस, मछली, मादक पदार्थ
डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ
बासी खाना PLC.