Tag: सुनील दत्ता लेखक
किसानो के सब्सिडी की असलियत
- सुनील दत्ता -कृषि सब्सिडी अर्थात खाद , बीज , सिंचाई आदि पर दी जाने वाली सरकारी सहयाता को कृषि व किसानो को दी...
यह है आधुनिक बीजो , तकनीको वाली खेती की असलियत |
- सुनील दत्ता -
27 अगस्त के हिंदी दैनिक ' बिजनेस स्टैन्डर्ड ' में यह सूचना प्रकशित की गयी है कि ' बीज तकनिकी क्षेत्र...
किसानो की वित्तीय फाँस
- सुनील दत्ता -1947 – 50 से पहले जमीदारो को लगान चुकाने तथा अपनी आवश्यकताओ को पूरा करने के लिए रियाया एवं स्वतंत्रत किसानो...
आधुनिक बाज़ार व्यवस्था और जनसाधारण
- सुनील दत्ता -
हम आधुनिक युग में जी रहे है | आधुनिक युग की बाज़ार व्यवस्था में जी रहे है | क्योंकि हमारे भोजन...
धनाढ्यो की उलटबासी
- सुनील दत्ता -कबीर की उलटबासिया जनमानस में प्रचलित रही है और लोकोत्तियो का हिस्सा रही है | लोग अपने अपने हिसाब से उसका गूढ़...
सडको का विकास विस्तार और भूमि अधिग्रहण
- सुनील दत्ता -
देश में चारो तरफ सडको का विस्तार किया जा रहा है | 2 लेंन की सडको को 4 लेंन में ,...
समाज में किस पहचान को प्रमुखता दी जानी चाहिए ?
- सुनील दत्ता -
( विडम्बनापूर्ण स्थिति यह है कि मजदूर के रूप में , किसान के रूप में , दस्तकार , दुकानदार आदि के...
किसानो की आत्महत्या जिम्मेदार कौन ?
- सुनील दत्ता -
महाराष्ट्र में जनवरी 2015 से लेकर अक्तूबर 2015 के दस महीनों में 2590 किसानो की तथा दिसम्बर तक के 12 महीनों...
देश की व्यवस्था आम आदमी को छलती रही
- सुनील दत्ता '' कबीर " -
14 नवम्बर 2015 के दैनिक जागरण में ' दुनिया में सम्पत्ति के बटवारो को लेकर कुछ आंकड़े...
शिक्षा ———प्रसंगवश एक बात
- सुनील दत्ता - वर्तमान शिक्षा प्रणाली के औपनिवेशिक गुलामी के दौर की शिक्षा प्रणाली में अंग्रेजी भाषा को सर्वोच्च महत्व दिए जाने के बाद भी...