Tag: साहित्य व शिष्टता से दूर होती पत्रकारिता
‘भगवा चोले’ का आतंक
निर्मल रानी**,,
किसी भी रंग को वैसे तो किसी धर्म या समाज विशेष की संपत्ति नहीं कहा जा सकता। परंतु उसके बावजूद तमाम रंग ऐसे...
बदलाव की राह पर भारतीय रेल
निर्मल रानी**,,
रेलमंत्री पवन बंसल ने पिछले दिनों रेल बजट 2013-2014 पर संसद में हुई चर्चा के दौरान कई महत्वपूर्ण बातें की हैं। उन्होंने यह...
बढ़ते धर्मोपदेशक और नैतिकता का होता पतन
निर्मल रानी**,,
भारतवर्ष किसी ज़माने में विश्वगुरु कहा जाता था। कोई इस बात को स्वीकार करे या न करे परंतु भारतीय प्राचीन संस्कृति तथा...
भारतीय रेल में व्यापक सुधार की दरकार
निर्मल रानी**,,
भारतीय रेलमंत्री पवन कुमार बंसल द्वारा पिछले दिनों रेल बजट संसद में पेश किया गया। परंपरा के अनुसार सत्तारुढ़ कांग्रेस द्वारा इसकी सराहना...
साहित्य व शिष्टता से दूर होती पत्रकारिता*
निर्मल रानी**
आधुनिकता के वर्तमान दौर में परिवर्तन की एक व्यापक बयार चलती देखी जा रही है। खान-पान, पहनावा,रहन-सहन,सोच-फिक्र, शिष्टाचार, पढ़ाई-लिखाई, रिश्ते-नाते, अच्छे-बुरे की परिभाषा...