Home Tags भूख दरवाज़े के बाहर ही रही। थे भरे गोदाम पहरे में रहे। प्यास लंबी थी कतारों में सही। तृप्ति के ख़य्याम बजरे में रहे। थी कुटी में शीतल हरी हाङ तक। कंबलों के थान कमरे में रहे। जब सुधा तन्हाहु नर जंगल जल

Tag: भूख दरवाज़े के बाहर ही रही। थे भरे गोदाम पहरे में रहे। प्यास लंबी थी कतारों में सही। तृप्ति के ख़य्याम बजरे में रहे। थी कुटी में शीतल हरी हाङ तक। कंबलों के थान कमरे में रहे। जब सुधा तन्हाहु नर जंगल जल

सुधा राजे की गज़ल

0
भूख दरवाज़े के बाहर ही रही। थे भरे गोदाम पहरे में रहे।प्यास लंबी थी कतारों में सही। तृप्ति के ख़य्याम बजरे में रहे।थी कुटी में शीतल...

Latest News

Must Read