Tag: निर्मल रानी का लेख
धर्म का ‘केंचुल’ लपेटे वासना के भूखे भेडिये
-निर्मल रानी-
दुनिया के कई देश भारतवर्ष को विश्व की उभरती हुई आर्थिक महाशक्ति के रूप में आंकते हैं तो कई देशों की नजरों में...
उज्जैन महाकुंभ: राजनैतिक आयोजन या धार्मिक ?
-निर्मल रानी-वैसे तो कुंभ व महाकुंभ जैसे विशाल संतों व भक्तों के समागम में विभिन्न राजनैतिक दलों के नेतओं का आना-जाना तथा मीडिया द्वारा...
खाताधारकों से हो रही ठगी के ज़िम्मेदार बैंक क्यों नहीं?
-निर्मल रानी-
जहां एक ओर सरकार द्वारा नागरिकों को इस बात के लिए प्रेरित किया जाता है कि वे अपना धन संग्रह बैंकों अथवा डाकघरों...
जनता का सरोकार योजनाओं से कम, चुनावी वादों से अधिक
- निर्मल रानी -देश की जनता को सब्ज बाग दिखाकर व यूपीए सरकार की नाकामियों की पीठ पर सवार होकर केंद्रीय सत्ता संभालने वाली...
कन्हैया पर हो रहे हमलों का औचित्य ?
- निर्मल रानी -
दिल्ली के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार का नाम देश के अब...
कृषि प्रधान देश’ में गहराता जल संकट
- निर्मल रानी -
हालांकि हमारे देश के कुछ राज्यों के कुछ इलाके सूखे जैसी प्राकृतिक विपदा का सामना हमेशा से ही करते रहे हैं।...
यह रूढ़ीवादी पूर्वाग्रही धर्माचार्य…
- निर्मल रानी -
हालांकि विश्व में लगभग 250 विभिन्न धर्म व विश्वास स्वीकार्य हैं। परंतु भारतवर्ष में बहुसंख्या में रहने वाला हिंदू समाज जो...
दादरी कांड: ताकि ध्रुवीकरण का खेल चलता रहे ?
- निर्मल रानी -
देश की राजधानी दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश राज्य के अंतर्गत् पडऩे वाले नोएडा के समीप बसे दादरी कस्बे के बिसाहड़ा...
रिश्ता: ‘आधुनिक अध्यात्म’ और व्यवसाय का ?
- निर्मल रानी -
भारतवर्ष को अध्यात्म के क्षेत्र में विश्व का सबसे बड़ा देश माना जाता है। हमारे देश में अनेक ऐसे तपस्वी व...
इंसानियत है मज़हब सबसे बड़ा जहां में
- निर्मल रानी -
इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत सहित पूरे विश्व में मानवता को शर्मसार करने वाली तमाम घटनाओं की खबरंे सुनने को...