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‘ दिल की लगी ‘ व् अन्य चार कविताएँ
कवि हैं ...संजय सरोज "राज" - कविताएँ -1. दिल की लगी...................दिल की लगी आज बुझाने चला हूँ
तडपता है दिल ये तेरी याद बनकर i
रोता है...
पांच कविताएँ : कवि संजय सरोज
पांच कविताएँ1. सपनो की दुनिया
सुबह सुबह जब नींद से जागा
उठ कर बैठ गया बिस्तर पर
बेल बजी तब दरवाजे की
नींद हो गयी थी रफू चक्कर
बेमन...
पांच कविताएँ : कवि संजय सरोज ” राज “
पांच कविताएँ1. उनके तस्वीर को अपने सीनेसे लगाये बैठे हैउनके आने की ख़ुशी में एक आस लगाये बैठे है
उनके तस्वीर को अपने सीने से...
छ कविताएँ : कवि संजय सरोज
कविताएँ1.हया
आज इस मुल्क और शहर को हुआ क्या है
सोचता हूँ की बाकी अब बचा क्या है
खुलेपन और सौंदर्य की चाह में
भूले, मान-मर्यादा और हया...