Tag: poet Shailja Pathak
शैलजा पाठक की कविता
हमारे बुजुर्गों के पास
बची हैं कुछ
झुर्रीदार जिंदगी
उनकी गहरी पीली आँखों के
कोटरों में हमारे बचपन के खिलौने
उनके माथे की लकीरों में
बीते तमाम बरस के किस्से
उनकी...
शैलजा पाठक की कविता
दो सखियाँखेलती हैंमाचिस के डब्बों में बंदरंगीन चूड़ियों केटुकड़ो सेफिर टुकड़ों मेंबिखर करबंद हो जाती हैदो अलग अलगडिब्बों में ...ये टूट कर जीती हैं
और...