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संगीता शर्मा की कविता

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विजयी भवःकभी नहीं देखा ऐसा मंज़र और न कभी देखना चाहती हूँ चश्म दीद नहीं बनना चाहती ऐसी किसी भी आपदा का / शाश्वत सत्य का.......... दृढ /...

सरिता शर्मा की कविता

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मैं नदी हूँ मैं तुम्हारे पास आऊंगी तुम समन्दर हो तुम्हे क्यों कर बुलाऊंगी मैं तटों के बीच बहती आ रही कल.कल नाम लेती है तुम्हारा हर लहर चंचल तुम...

सरिता शर्मा की कविता

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कट गया लो एक टूटा और बिखरा दिन बढ़ गया फिर दर्द का कुछ ऋण !फिर समन्दर का अहम आहत हुआ दर्द से दुहरी हुई नदिया होठ...

मंजू दिनेश की कविता – पक्षी कहाँ उड़ जाते हो

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रे पक्षी सीमाओं से परे उड़ कहाँ जाते हवाओं संग बैठ हवा के पंखों पर अनजान देश दोस्ती की महक लें खोज लेते अपना नीडनभ के काजल ले पारिजात घूमते परदेश सीमा न कोई...

वीणा की कविता “संतुष्टि“

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वह बोला मेरे खेतों में सोना है मैं हँसी ये सोच कर कि यह अक्ल से कितना बौना है सोना होता ,तो क्या इस के कपड़ों में पैबन्द होता...

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