Tag: Jayshree Roy’s short story: national pride
जयश्री रॉय की कहानी : खंडित आस्था
खंडित आस्था - जयश्री रॉय -मधु ने उसके सामने गर्म कांजी की थाली रखी थी, “मुंह में कुछ दे रूपा, उस नन्ही सी जान के...
जयश्री रॉय की कहानी : प्रायश्चित
- प्रायश्चित -
जंगल में जगह-जगह लगी भट्टियों में बनती शराब की गंध से ग्रीष्म ऋतु की संध्या मदिर हो उठी है। वर्ष के...
जयश्री राय की लघु कथा चाँद समंदर और हवा
जयश्री रॉय की लघु कथा चाँद समंदर और हवा - चाँद समंदर और हवा -
मेरी ने फिर बाहर जाकर देखा – सूरज डूब चुका है।...
जयश्री रॉय की लघु कथा राष्ट्रीय स्वाभिमान
जयश्री रॉय की लघु कथा : राष्ट्रीय स्वाभिमान- राष्ट्रीय स्वाभिमान -
सुबह-सुबह चाय की चुस्कियां लेते हुये मैं अख़बार पढ़ रहा था. आज मैं बहुत...