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अनूदित जर्मन कहानी ” दंपति ” : लेखक : फ़्रैंज़ काफ़्का

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           ' दंपति '                                   ...

सुशांत सुप्रिय की कविताएँ

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कविताएँ 1. विडम्बना कितनी रोशनी है फिर भी कितना अँधेरा है कितनी नदियाँ हैं फिर भी कितनी प्यास है कितनी अदालतें हैं फिर भी कितना अन्याय है कितने ईश्वर हैं फिर भी कितना...

सुशांत सुप्रिय की हे राम और अन्य चार कविताएँ

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 कविताएँ 1. हे राम ! उनके चेहरों पर लिखी थी ' भूख ' उनकी आँखों में लिखे थे ' आँसू ' उनके मन में लिखा था ' अभाव ' उनकी काया पर...

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