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डॉ. विवेक सिंह ‘बैरागी’ की पाँच कविताएँ

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 पाँच कविताएँ1. शब्द 'नारी' तुम सृष्टि हो प्रेम, स्नेह की उत्पत्ति हो शक्ति का पुंज तुम्ही हो तुम्ही मखमली ओस हो कच्ची मिट्टी सी ठोस हो जीवन की ओट हो एक कहानी...

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