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भावी भारत, युवा और पण्डित दीनदयाल उपध्याय
- डाॅ0 सौरभ मालवीय -1947 में जब देष स्वतंत्र हुआ तो देष के सामने उसके स्वरूप की महत्वपूर्ण चुनौती थी कि अंग्रेजों के जाने...
वसंतोत्सव : प्रेम का पर्व
- डॉ . सौरभ मालवीय -प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति में ऋतुओं का विशेष महत्व रहा है. इन ऋतुओं ने विभिन्न प्रकार से...
12 जनवरी राष्ट्रीय युवा दिवस पर विशेष : देश और समाज के उत्थान में...
-डॉ. सौरभ मालवीय - यूवा शक्ति देश और समाज की रीढ़ होती है. युवा देश और समाज को नए शिखर पर ले जाते हैं. युवा...
अटलजी, जिन्होंने कभी हार नहीं मानी
-डॉ. सौरभ मालवीय-टूटे हुए तारों से फूटे वासंती स्वर
पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर
झरे सब पीले पात
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दीनदयाल उपाध्याय की जन्मशती वर्ष पर विशेष : मानवता के कल्याण का विचार...
- डॉ. सौरभ मालवीय - मनुष्य विचारों का पुंज होता है और सर्व प्रथम मनुष्य के चित्त में विचार ही उभरता है। वही...
भारतीय समाज में भाषा का पासा और तथाकथित बुद्धिजीवियों का भम्र जाल
- डॉ. सौरभ मालवीय -भारतीय समाज में अंग्रेजी भाषा और हिन्दी भाषा को लेकर कुछ तथाकथित बुद्धिजीवियों द्वारा भम्र की स्थिति उत्पन्न की जा...