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राजेश कुमार सिन्हा की कविताएँ
1. सवाल करती है मुझसे
कई बार सवाल करती है मुझसे
मेरी कविता
मै क्यों लिखता हूँ
मै क्यों पन्ने रंगता हूँ
मै पशोपेश मे पड़ जाता हूँ
क्या जबाब...
डॉ राजीव राज की कविताएँ
कविताएँ1 सब जले
आचार जले सुविचार जले।
मानवी लोक व्यवहार जले।
हर चौखट पर लपटंे लिपटीं,
अवतारों के दरबार जले।
परिवर्तन की तोड़ खुमारी जाग बाबरे जाग।
आग लगी है...
डॉ राजीव राज के मुक्तक
डा0 राजीव राज के मुक्तक- मुक्तक -हैं सियासी गिद्ध नभ में नोंचने को बोटियाँ।
बिछ गयीं देखो बिसातें चल रहे हैं गोटियाँ।
जल रहा है अन्नदाता...