Tag: article by nirmal rani
राष्ट्रवाद व सदाचार के ‘प्रवचन’ केवल गरीबों के लिए?
- निर्मल रानी -
इस बात से आिखर कौन इंकार कर सकता है कि देश के प्रत्येक नागरिक में राष्ट्रवाद तथा सदाचार की भावना का...
अहंकार व अत्याचार के प्रतीक :रावण और यज़ीद
- निर्मल रानी -इन दिनों पूरे विश्व में हिंदू व मुस्लिम दोनों ही प्रमुख धर्मों के अनुयायी दशहरा तथा मोहर्रम एक साथ मना रहे...
बेपर्दा होता फ़र्ज़ी राष्ट्रवाद का ढोंग
- निर्मल रानी -जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू),दिल्ली के तत्कालीन छात्र संघ अध्यक्ष व ऑल इंडिया स्टुडेंट फेडरेशन के नेता कन्हैया कुमार को फरवरी 2016...
सच को सच कह दोगे अगर तो फांसी पर चढ़ जाओगे
कट्टरपंथ के विरोध तथा धर्मनिरपेक्षता के पक्ष में निरंतर उठने वाली एक और आवाज़ हमेशा के लिए खामोश कर दी गई।- निर्मल रानी...
पुलिस प्रशासन निष्क्रिय-चोर सक्रिय
- निर्मल रानी -
वैसे तो किसी भी प्रकार की सामाजिक अच्छाई अथवा बुराई के आंकड़ों का सीधा संबंध बढ़ती हुई जनसंख्या की दर से...
सडक़ों पर बिकता ‘ज़हर’:शासन-प्रशासन मौन?
- निर्मल रानी -आजकल हमारे देश के प्रमुख टीवी चैनल मोदी,योगी,तीन तलाक,गाय,गंगा,मंदिर-मस्जिद,अज़ान,जैसे विषयों पर चर्चा करने में इतना व्यस्त हैं कि उन्हें शायद आम...
क्या हों अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमाएं?
- निर्मल रानी -दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध रामजस कॉलेज में पिछले दिनों आयोजित होने जा रहे एक सेमिनार का विरोध किया जाना तथा उसके...